शुक्रवार को अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं पर जबरदस्त काम किया है। गोयल ने कहा कि नतीजतन दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना 'आयुष्मान भारत योजना' का 10 लाख लोगों ने मुफ्त लाभ उठाया है।
वित्त मंत्री के अनुसार, इस योजना से जनता के करीब 3 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। गोयल के अनुसार इस योजना के तहत बनाए गए जन औषधि केन्द्रों में मुफ्त में मिल रहे इलाज और दवाओं का लाखों लोगों ने फायदा उठाया है।
गोयल द्वारा पेश किये गये बज़ट को विभिन्न जानकार चुनावी बज़ट मान रहे हैं। अगले तीन महीने के अंदर लोक सभा चुनाव होने वाले हैं। बज़ट पेश करने से पहले गोयल ने पिछले पांच साल में मोदी सरकार द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियों को गिनाया। लेकिन वित्त मंत्री के दावों की ज़मीनी हक़ीक़त क्या है? इस कड़ी में आइए देखते हैं कि आयुष्मान भारत से जुड़े केंद्रीय मंत्री के दावे की सच्चाई क्या है?
'आयुष्मान भारत योजना' की हक़ीक़त
पिछले आम बजट में मोदी सरकार ने 'भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई)' की घोषणा की थी और इस योजना को पिछले साल सितंबर में कुछ राज्यों को छोड़कर देशभर में लॉन्च कर दिया गया।
1 जनवरी को इस योजना को शुरू हुए 100 दिन हुए हैं। इस अवसर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया था कि इस योजना के तहत पहले 100 दिनों में, 6.85 लाख रोगियों को अस्पताल में उपचार प्रदान किया गया है।
लेकिन बजट में पीयूष गोयल ने इस योजना के लाभार्थियों की संख्या 3 लाख ज्यादा यानी 10 लाख बताई है।
अब सवाल यह है कि 100 दिनों में 6.85 लाख लोगों का इलाज करने वाली मोदी सरकार ने सिर्फ एक महीने के भीतर 3.15 लाख लोगों का इलाज कैसे कर दिया है?
स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों की हक़ीक़त
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए मोदी सरकार ने 'आयुष्मान भारत योजना' के तहत देशभर में साल 2022 तक 1.5 लाख सेंटर खोलने की घोषणा की थी। इस योजना के लिए 1200 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2019 तक केवल 6,193 सेंटर चल रहे हैं, जिसमें 2,500 से ज्यादा केवल आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में हैं। मोदी सरकार द्वारा देश में कुल 10 हजार सेंटर बनवाये गए हैं लेकिन 2018-19 तक 15,000 सेंटर बनाने का वादा भी पूरा नहीं हो पाया है।