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Black Fungus risk factors: डॉक्टरों की चेतावनी, मास्क से जुड़ी ये एक गलती आपको बना सकती है 'ब्लैक फंगस' का मरीज

By उस्मान | Updated: May 24, 2021 09:31 IST

ब्लैक फंगस के कई कारण हो सकते हैं जिनमें गंदा मास्क पहनना भी शामिल है। 

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ठळक मुद्दे ब्लैक फंगस के कई कारण हो सकते हैं जिनमें गंदा मास्क पहनना भी शामिलदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामलेकोरोना के मरीजों को इसका अधिक खतरा

भारत में कोरोना वायरस महामारी के बीच ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस का खतरा बढ़ रहा है। कई राज्यों में इसे महामारी घोषित किया गया है। देश में इसके करीब दस हजार से ज्यादा मामले हो गए हैं और सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। 

बताया जा रहा है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों को इसका अधिक खतरा हो सकता है लेकिन यह किसी आम इंसान को भी हो सकता है। ब्लैक फंगस के कई कारण हो सकते हैं जिनमें गंदा मास्क पहनना भी शामिल है। 

बिजनेस स्टैण्डर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कई प्रमुख अस्पतालों के चिकित्सा पेशेवरों ने खुलासा किया है कि ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस लंबे समय तक बिना धुले मास्क पहनने से भी हो सकता है और ऐसे कई मामले मिले हैं। 

यहां के कई प्रमुख अस्पतालों के डॉक्टरों ने कहा कि ब्लैक फंगस से पीड़ित कोरोना के ऐसे कई मरीज मिले हैं, जिन्होंने लंबे समय बिना धुले मास्क पहनने के साथ साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा था। 

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट, ईएनटी डॉ सुरेश सिंह नरुका के अनुसार, 'मुझे लगता है कि साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखना जैसे बिना धोए लंबे समय तक मास्क पहनना, या खराब हवादार कमरों जैसे बेसमेंट, या कम हवादार कमरों में रहना आदि ब्लैक फंगस का कारण बन सकते हैं।

म्यूकोर्मिकोसिस उन लोगों में अधिक आम है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है, डायबिटीज के रोगी, गुर्दे की बीमारी, लीवर या हृदय संबंधी विकार, उम्र से संबंधित विकार, रुमेटीइड आर्थराइटिस जैसे ऑटो-इम्यून से पीड़ित हैं। 

भारत में कोविड-19 रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस के मामलों में तेज वृद्धि के बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह फंगल संक्रमण कोविड के बिना भी हो सकता है और इसलिए जिन्हें हाई ब्लड शुगर की समस्या है, उन्हें सतर्क रहना चाहिए।

नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि यह एक ऐसा संक्रमण है जो कोविड से पहले भी मौजूद था। ब्लैक फंगस के बारे में मेडिकल छात्रों को जो सिखाया जाता है, वह यह है कि यह डायबिटीज के मरीजों को यह संक्रमित करता है।  

डायबिटीज की गंभीरता के बारे में बताते हुए डॉ पॉल ने कहा कि जब ब्लड शुगर लेवल 700-800 तक पहुंच जाता है, तो उस स्थिति को डायबिटीज  केटोएसिडोसिस के रूप में जाना जाता है. ब्लैक फंगस बच्चों या वृद्ध लोगों में होना आम है।

डॉ पॉल ने कहा कि निमोनिया जैसी कोई अन्य बीमारी स्थिति को बढ़ा देती है। कोरोना इसका एक बड़ा कारण है लेकिन इसके अलावा स्टेरॉयड का उपयोग आता है। इन सभी ने स्थिति को जटिल बना दिया है, यह साफ है कि कोरोना के बिना लोगों को भी म्यूकोर्मिकोसिस हो सकता है।

एम्स के डॉ निखिल टंडन ने कहा है कि स्वस्थ लोगों को इस संक्रमण के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, जिन लोगों की प्रतिरक्षा कमजोर होती है, उन्हें केवल अधिक जोखिम होता है।

टॅग्स :ब्लैक फंगसकोरोना वायरसहेल्थ टिप्समेडिकल ट्रीटमेंट
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