रिपोर्ट में खुलासा, चमगादड़ से नहीं फैलता निपाह वायरस, यह है सही वजह
By उस्मान | Published: May 26, 2018 04:49 PM2018-05-26T16:49:33+5:302018-05-26T16:49:33+5:30
ऐसा कहा जा रहा था कि यह जानलेवा वायरस चमगादड़ से फैलता है।
निपाह वायरस के चपेट में आने से अब तक 12 लोगों की मौत हो गई है। ऐसा कहा जा रहा था कि यह जानलेवा वायरस चमगादड़ से फैलता है। लेकिन जांच में यह बात सामने आई है कि इस वायरस के फैलने की वजह चमगादड़ नहीं है। इस बात का खुलासा भोपाल स्थित उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला ने की है। यहां चमगादड़ और सूअरों के कुल 21 नमूने भेजे गए थे और सभी नमूने नकारात्मक पाये गये हैं।
केंद्रीय पशुपालन आयुक्त एसपी सुरेश की अगुआई वाली एक टीम ने प्रभावित क्षेत्रों में जानवरों की जांच के बाद कहा कि जानवरों में निपाह वायरस की किसी तरह के घटना की पहचान नहीं हुई है और इस वायरस से सिर्फ इंसान प्रभावित हुए हैं।
भोपाल लैब में कई सैंपल्स भेजे गये थे, जिनमें वह चमगादड़ भी शामिल था, जो पेरम्बरा गांव में निपाह वायरस के पीड़ित मूसा के घर मिले थे। बता दें कि मूसा के दोनों बेटों और रिश्तेदार की भी इस वायरस से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि सभी 21 सैंपल पेरम्बरा और उसके आस-पास के इलाके से इकट्ठा किये गये थे।
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अध्ययनों ने चमगादड़ को ही माना था कारण
हालांकि कई अध्ययन इस बात के पुष्टि करते हैं कि इस वायरस के मूल स्रोत फ्रूट बैट यानी फल खाने वाले चमगादड़ ही थे। सबसे पहले निपाह वायरस 1988 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव में पाया गया था। खजूर खाने वाले लोगों तक सबसे पहले यह वायरस पहुंचा। मलेशिया में चमगादड़ मानव बस्तियों से दूर हमेशा से जंगलों में ही रहते थे। उन्हें जब तक भोजन मिलता रहा, तब तक वो वहां रहे। डबल्यूएचओ के अनुसार, चमगादड़ों से मनुष्यों और जानवरों में वायरस संक्रमण होने की वजह यह है कि चमगादड़ों के प्राकृतिक पर्यावास यानी स्रोत और ठिकाने खत्म हो गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में निपाह वायरस के फैलने के डर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए एडवायजरी जारी की है। इसमें यह बताया गया है कि इन्हें अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए और साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है और इसके क्या लक्षण होते हैं। मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी, जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने और इस्तेमाल में ना लाए जा रहे कुओं में ना जाने तथा केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है।
(फोटो- सोशल मीडिया)