बारिश का मौसम बीत गया है और जल्द ही ठंड आने वाली है। यानी आजकल मौसम न ज्यादा गर्म है और न ही ठंडा। इस मौसम में सबसे ज्यादा मच्छर पैदा होते हैं। यही वजह है कि पूरा भारत इन दिनों मच्छरों के काटने से होने वाली डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जीका वायरस जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में है। अगर आप या आपके घर में कोई इन बीमारियों से पीड़ित है, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। दिल्ली के मशहूर जरनल फिजिशियन डॉक्टर अजय लेखी और डाइटीशियन और न्यूट्रिशनिश्ट शिखा ए शर्मा आपको कुछ ऐसे आसान उपाय बता रहे हैं जिनके जरिए आप इन बीमारियों के लक्षणों को कम कर सकते हैं और जल्दी ठीक हो सकते हैं।
मलेरिया यह रोग प्लाज्मोडियम नामक परजीवी मादा मच्छर के काटने से फैलता है जोकि संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर से वाहक होता है। मलेरिया होने पर तेज बुखार और कंपकंपी होती है। मलेरिया के कारण शरीर की रेड ब्लड सेल्स नष्ट होने लगती हैं और रोगी की हालत गंभीर होने लगती है। लेकिन मलेरिया का पूर्ण रूप से और आसानी से इलाज संभव है। बुखार के दौरान प्लेटलेट्स कम होना इसका मुख्य लक्षण है। सही समय पर इलाज नहीं कराने से मौत हो भी सकती है।
अदरक है इलाजअदरक आपके इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करता है। जिससे आपको इन्फेक्शन से लड़ने की ताकत मिलती है और रोग से जल्दी आराम मिलता है। अदरक में सक्रिय घटक जिंजरोल होता है जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, यही वजह है कि अदरक को मलेरिया समेत कई बीमारियों के इलाज के लिए सबसे प्रभावी प्राकृतिक उपचारों में से एक माना जाता है।
चिकनगुनिया चिकनगुनिया वायरस जनित बीमारी है और ये इंफेक्टेड एडिस मच्छर के काटने से फैलती है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि मच्छरों के काटने से बचकर रहें। अपने आस-पास सफाई रखें। पूरे कपड़े पहनें और सतर्क रहें। वैसे तो चिकनगुनिया जानलेवा नहीं होती है पर पीड़ित इंसान तेज भुखार, बहुत दर्द और कमजोरी से गुजरता है। यह बीमारी सेहत पर लम्बे समय तक असर डाल सकती हैं।
गिलोय कैप्सूल हैं इलाजइसके लक्षणों को कम करने के लिए आप गिलोय कैप्सूल ले सकते हैं। डॉक्टर की सलाह पर रोजाना खाने के बाद एक ग्राम के दो कैप्सूल लें। वैज्ञानिक रूप से इसे टिनसपोरा कॉर्डिफोलिया कहा जाता है। इसे आम भाषा में 'गुडुची' कहा जाता है। इस पौधे का विभिन्न बीमारियों से जुड़े बुखार का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक और हर्बल दवाओं में उपयोग किया जाता है। इसके एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी आर्थराइटिक गुणों से लक्षणों से राहत मिलेगी। इसमें एंटीमाइक्रोबायल गुण भी होते हैं जो संक्रमण से तुरंत राहत दिलाते हैं।
डेंगूडेंगू बीमारी ऐसा बुखार है जिसे महामारी के रूप में देखा जाता है। बड़ों के मुकाबले बच्चों में यह रोग जल्दी फैलता है। डेंगू जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू में ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ता है। सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना इसके आम लक्षण हैं। यह बुखार जानलेवा साबित भी हो जाता है। डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के 3 से 14 दिनों के बाद स्पष्ट हो पाते हैं। डेंगू का मच्छर गंदे पानी की बजाय साफ पानी में ही पनपता है। इसलिए घर के अंदर या घर के आसपास पानी ना जमने दें। बरसात में गमलों, कूलरों, टायर आदि में एकत्रित हुए पानी में यह मच्छर ज्यादा पाया जाता है।
पपीते के पत्ते हैं इलाजपपीता खाने के ढेरों फायदे आप सभी जानते होंगे लेकिन क्या आप पपीते के पत्तों के फायदे जानते हैं। कई बीमारियों में पपीते के पत्ते का रस फायदे देता है। डेंगू, मलेरिया आदि के अलावा पपीते के पत्ते का जूस हार्ट अटैक, मधुमेह, डेंगू व कैंसर से बचाता है। रिसर्च के मुताबिक पपीते के पत्ते के रस में डेंगू के बुखार और बीमारी की अवधि को कम करने की क्षमता है। साथ ही इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाकर यह इंफेक्शन से बचाने में करता है। इतना ही नहीं इसके पत्तों का रस पीने से कब्ज जैसी समस्या से बचने में भी मदद मिलती है। चलिए जानते हैं कि इससे आपकी सेहत को और क्या-क्या फायदे होते हैं।
जीका वायरस जीका वायरस से होने वाली बीमारी जितनी खतरनाक है उतनी ही आसानी से यह हमें प्रभावित भी करती हैं। जीका वायरस मच्छरों के काटने से होने वाली एक वायरल बीमारी है। इसका वाहक येलो फीवर फैलाने वाले एडीज इजिप्टी मच्छर होते हैं। जीका वायरस जानलेवा नहीं होता लेकिन इसके कारण गर्भवती महिलाओं को बहुत खतरा होता है। इस वायरस की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे का मस्तिषक पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है और यह एक स्थाई समस्या बन जाती है। जीका वायरस से प्रभावित शख्स को काफी तेज बुखार आता है, जोड़ों में दर्द होता है और शरीर पर रेशेज (लाल धब्बे) हो जाते हैं।
जीका वायरस का इलाजइस वायरस का कोई टीका नहीं है, न ही कोई उपचार है। इस संक्रमण से पीड़ित लोगों को दर्द में आराम देने के लिए पैरासिटामॉल (एसिटामिनोफेन) दी जाती है। जीका वायरस को फैलाने वाले मच्छर से बचने के लिए वही उपाय हैं जो आप डेंगू से बचने के लिए करते आए हैं। जैसे मच्छरदानी का प्रयोग, पानी को ठहरने नहीं देना, आस-पास की साफ-सफाई, मच्छर वाले एरिया में पूरे कपड़े पहनना, मच्छरों को मारने वाली चीज़ों का इस्तेमाल और खून को जांचे बिना शरीर में ना चढ़वाना।