2050 तक इन गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे करीब 60 करोड़ भारतीय
By उस्मान | Updated: August 29, 2018 13:51 IST2018-08-29T13:51:27+5:302018-08-29T13:51:27+5:30
एक अध्ययन के अनुसार, आयरन कमी के कारण 50.2 करोड़ महिलाओं और बच्चों के इससे संबंधित बीमारियों के चपेट में आने का खतरा है।

फोटो- पिक्साबे
भारत में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल बढ़ने के कारण 2050 तक करोड़ों लोगों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने का खतरा है क्योंकि एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि इस गैस के कारण चावल और गेहूं जैसी मुख्य फसलें कम पौष्टिक होती जा रही हैं।
अमेरिका के हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि मानव गतिविधियों से सीओ 2 के स्तर में हो रही वृद्धि से दुनिया भर में 17.5 करोड़ लोगों में जिंक की कमी और 12.2 करोड़ लोगों में प्रोटीन की कमी हो सकती है।
'नेचर क्लाइमेट चेंज' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि एक अरब से अधिक महिलाओं और बच्चों के खाने आयरन तत्व की उपलब्धता में भारी कमी हो सकती है। इससे उनके एनीमिया और अन्य बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययन में पाया गया है कि भारत को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है और करीब पांच करोड़ लोगों में जिंक की कमी होने का अनुमान जताया गया है।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक भारत में 3.8 करोड़ लोगों में प्रोटीन की कमी हो सकती है और आयरन कमी के कारण 50.2 करोड़ महिलाओं और बच्चों के इससे संबंधित बीमारियों के चपेट में आने का खतरा है।
उन्होंने कहा है कि दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के अन्य देशों पर भी इसका विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है।

