यदि पर आप एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं तो आपको सावधान हो जाने की आवश्यकता है क्योंकि एक अध्ययन के अनुसार इन दवाओं और पार्किंसन बीमारी के बीच संबंध है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस बीमारी का संबंध आंत संबंधी लाभकारी जीवाणुओं के नष्ट होने से हो सकता है।
फिनलैंड में हेलसिंकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों समेत अनुसंधानकर्ताओं ने 1998 से 2014 के दौरान राष्ट्रीय रजिस्ट्रियों में दर्ज पार्किंसन बीमारी के करीब 14000 मरीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया। 'मूवमेंट डिसॉर्डर्स' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि कुछ एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से लोगों को पार्किंसन बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
हेलसिंकी विश्वविद्यालय अस्पताल के मुख्य अनुसंधानकर्ता फिलिप शेफरजन्स ने कहा, 'हमारा अध्ययन में पता चला कि आंत के 'माइक्रोबायोटा' को प्रभावित करने वाली और आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली कुछ एंटीबायोटिक खतरे का कारण हो सकती हैं।'
एंटीबायोटिक्स क्या है?
एंटीबायोटिक्स को एंटीबैक्टिरियल भी कहा जाता है। आजकल एंटीबायोटिक्स के उपयोग धड़ल्ले से हो रहे हैं। लेकिन यह हर बीमारी में कारगर साबित नहीं होता और बार-बार इस्तेमाल से इसके प्रभाव कम हो जाते हैं।
जब बैक्टीरिया का इन्फेक्शन बहुत गंभीर हो जाता है तो अकेले प्रतिरोधकतंत्र के लिए उससे लड़ना आसान नहीं रह जाता। ऐसे में एंटीबायोटिक्स की सहायता ली जाती है जो बैक्टीरिया को समाप्त कर देते हैं या फिर उनकी ग्रोथ को धीमा कर देते हैं। यानि ये वे दवाएं हैं जो बैक्टीरिया के विकास को रोकती या धीमा करती हैं।
हमेशा डॉक्टर की सलाह पर लें एंटीबायोटिक्स
एंटीबायोटिक्स तभी लें, जब ज़रूरी हो और जब डॉक्टर ने आपसे कहा हो, वरना वो बेअसर हो जाएगी। दरअसल, एंटीबायोटिक्स लेने से सभी बैक्टीरिया नहीं मरते और जो बच जाते हैं, वे और ताकतवर हो जाते हैं। बचे बैक्टीरिया को उस एंटीबायोटिक्स से मारना असंभव हो जाता हैऔर ये एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया कहलाते हैं।
एंटीबायोटिक्स के नुकसान
बिना किसी कारण एंटीबायोटिक्स दवाइयों का सेवन खतरनाक भी हो सकता है। एंटीबायोटिक्स के निर्धारित कोर्स को पूरा करना आवश्यक है, भले ही आप बेहतर महसूस करें, जब तक कि आपके डॉक्टर स्वयं आगे इन्हें लेने से आपको मना नहीं करते।
एंटीबायोटिक दवाएं लेने से पेट खराब हो जाता है और लिवर, किडनी पर असर पड़ता है। अगर इनकी कोई समस्या है तो डॉक्टर को जरूर बताएं। इन दवाओं के रिएक्शन भी होती हैं, इसलिए अगर आप एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो दूसरी दवाओं का इस्तेमाल न करें।
एंटीबायोटिक दवाओं से दिमाग को नुकसान
अगर आप बहुत लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते है तो इससे आपके दिमाग पर बहुत बुरा असर हो सकता है। अगर आप कभी-कभी इन दवाओं का सेवन करते हैं तो इससे कोई नुकसान नहीं होता है, पर अगर आप अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल न करें.
इन बातों का रखें ध्यान
- एंटीबायोटिक्स डॉक्टर की सलाह के बगैर न लें। हर बीमारी के लिए अलग प्रकार के एंटीबायोटिक्स होते हैं, जिसे डॉक्टर की सलाह से ही समझ सकते हैं।- जितनी मात्रा में और जिस समय डॉक्टर बताएं, उसी अनुसार एंटीबायोटिक्स लें, क्योंकि बताई गई मात्रा और समय का ध्यान न रखना नुकसान पहुंचा सकता है।- डॉक्टर जितने समय के लिए एंटीबायोटिक्स कोर्स करने की सलाह दें, उसे अवश्य पूरा करें, तबीयत ठीक लगने पर बीच में ही इनका सेवन बंद न कर दें।- अगर आप उपचार तुरंत बंद कर देंगे तो कुछ बैक्टीरिया जीवित बच जाएंगे और आपको पुन: संक्रमित कर देंगे।