फीफा वर्ल्ड कप: फ्रांस कैसे पहुंचा फाइनल में और आखिर क्या है टीम की सफलता का राज? जानिए
By भाषा | Published: July 11, 2018 03:24 PM2018-07-11T15:24:31+5:302018-07-11T15:29:04+5:30
फ्रांस ने 2006 में फाइनल में हार का मुंह देखा जब जिनेदिन जिदान को ‘हेडबट’ प्रकरण के कारण लालकार्ड देखना पड़ा था।
सेंट पीटर्सबर्ग, 11 जुलाई: इरादे आसमान को छूने के, हौसला किसी से नहीं हारने का और जज्बा ऐसा कि दुश्मन भी लोहा मान ले। ये है फ्रांसीसी फुटबाल की युवा ब्रिगेड जिसकी नजरें अब रविवार को विश्व कप जीतकर अपने हुनर पर मोहर लगवाने पर टिकी है।
काइलियान एमबाप्पे, पाल पोग्बा और फ्रांस को यह मौका मिला जब उसने मंगलवार रात बेल्जियम को हराकर विश्व कप फाइनल में जगह बना ली। दर्शक दीर्घा में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैन्युअल मैकरोन भी मौजूद थे। मैच के बाद फ्रांस के फारवर्ड अंतोइने ग्रीएजमैन ने चिल्लाते हुए कहा, 'वीवे ला फ्रांस। वीवे ला रिपब्लिक (लांग लिव फ्रांस)।'
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गोल करने वाले उमटिटी ने कहा, 'गोल भले ही मैने किया लेकिन यह जीत टीम प्रयास का नतीजा है।'
युवा खिलाड़ी हैं फ्रांसीसी टीम की जान
फ्रांस की युवा टीम की औसत उम्र 26 बरस है जिसका सामना अब इंग्लैंड या क्रोएशिया से होगा। फ्रांस ने 2006 में फाइनल में हार का मुंह देखा जब जिनेदिन जिदान को ‘हेडबट’ प्रकरण के कारण लालकार्ड देखना पड़ा था। इसके बाद 2016 यूरो फाइनल में टीम पुर्तगाल से हार गई थी। ऐसे टूर्नामेंट में जिसमें लियोनेल मेसी, क्रिस्टियानो रोनाल्डो और नेमार जैसे सितारे अर्श से फर्श पर आ गिरे, एडेन हेजार्ड और एमबाप्पे जैसे नये सितारे उभरे हैं।
बेल्जियम के कप्तान हेजार्ड का जादू सेमीफाइनल में नहीं चल सका लेकिन एमबाप्पे मैच में बने हुए थे। 19 बरस का यह स्टार उस समय पैदा भी नहीं हुआ था जब फ्रांस ने 1998 में आखिरी बार विश्व कप जीता था। अब इस युवा पीढी के पास मौका है, उस लम्हे को फिर जीतने का जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाता है और सालों साल नयी नस्ल को प्रेरित करता है फिर उस पल को दोहराने के लिये।
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