लाल-पीले रंग का चमचमाता पैक और उसपर नीले रंग से 2 मिनट इंस्टेंट नूडल्स का छाप देखते ही मैगी खाने की इच्छा और भी बढ़ जाती है। दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे हों या अपने शहर की सड़क पर अनायास ही घूम रहे हों, घर पर अकेले हों या ऑफिस की शिफ्ट कर रहे हों, हर जगह अपनी भूख को शांति करने के लिए और कुछ टेस्टी खाने के लिए आप मैगी का ही सहारा लेते हैं। 2 मिनट में झट से बन जाने वाली इस मैगी का हमसे अजीब सा रिश्ता बन गया है। खुशी हो या गम, ये हमेशा हमारे साथ रहती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस मैगी का इतिहास क्या है? कभी सोचा है कि ये भारत में कहां से आई और किस तरह से पॉपुलर हो गई? आज बड़े से बड़े रेस्टोरेंट से लेकर सड़क किनारे की छोटी दुकानों पर भी यह मिल जाती है। आज हम आपको मैगी के इतिहास से रूबरू कराने जा रहे हैं जो अब हमारे दिल और पेट के सबसे करीब हो गयी है।
1863 में हुई थी शुरुआत
मैगी के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत होती है 19वीं सेंचुरी से। ये वो समय था जब स्विट्ज़रलैंड में इंडस्ट्रियल रेवेल्युशन चल रहा था। इस समय में महिलायें अपने घर से निकलकर फैक्ट्रियों और ऑफिसों में काम करती थीं। ऐसे में उन महिलाओं के पास घर पर रहकर खाना बनाने का टाइम नहीं बच पाता था। इसी समस्या को देखते हुए स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसाईटी ने 'जूलियस मैगी' नाम की इंस्टेंट फूड की शुरुआत की।
इसे बनाने का मोटो ये रहा कि जूलियस मैगी खाने में भी टेस्टी हो, बने भी जल्दी और जिसे पचाने में भी आसानी हो। इसके बाद बहुत से इनस्टेंट फूड बनने की शुरुआत हुई जिसमें सूप और बीन सूप शामिल हैं। इसके बाद 1882 में मैगी को इंस्टेंट फूड के रूप में लांच किया गया। इसके बाद मैगी ब्रांड ने कई तरह के सूप और नूडल्स को लांच किया। मैगी आज के समय में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले इंस्टेंट फूड में से एक है जिसे भारत में नेस्ले के नेतृत्व में रखा गया है।
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भारत के अलावा इन शहरों में भी धड़ा-धड़ बिकती है मैगी
सिर्फ ऐसा नहीं है कि भारत में ही मैगी की दीवानगी देखी जाती है बल्कि भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, ब्रूनेई, न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलिपिन्स और फिजी में भी मैगी के दीवाने हैं। इन सब में से कुछ देशों में मैगी, 'मैगी मी' के नाम से भी बिकती है। मैगी के अलावा ये ब्रांड सूप, केचप और मिल्क पाउडर भी बेचता है जिसे लोग बहुत पसंद करते हैं।
1983 में भारत आई मैगी
जिस साल भारत ने वर्ल्ड कप जीता था उसी साल भारत में मैगी ने जन्म लिया था। इंस्टेंट नूडल्स के इस कांसेप्ट को भारत के लोगों ने पहले पसंद नहीं किया था लेकिन जैसे-जैसे समय बदला और भारत में फास्ट फूड का कल्चर आया वैसे-वैसे मैगी ने भी लोगों के दिलों में अपना घर बना लिया। 2 मिनट में बनने वाली इस मैगी का प्रचार महिलाओं को सेंट्रिक कर के बनाया गया था।
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क्वालिटी पर सवाल उठने के बाद भी लोगों के दिल पर छाई रही मैगी
भारत में मैगी नूडल्स को लॉन्च करने के कुछ ही सालों बाद भारतीय मार्केट में मैगी की हिस्सेदारी 75% तक हो गई मतलब मैगी को खाने वाले 100 में से 75 लोग सिर्फ भारत से ही थे। हालांकि 2015 में हुए कई टेस्ट में मैगी नूडल्स के अन्दर लीड का अमाउंट काफी ज्यादा पाया गया जिस वजह से फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मैगी पर बैन लगा दिया था। इसके 5 महीने बाद मैगी मार्केट में वापस लौटा और लोगों ने भी इस खुशी का इजहार सोशल मीडिया पर जमकर किया।