बिहू 2018:असम में ऐसे मनाते हैं बिहू, इन खास व्यंजनों के साथ करते हैं नए साल का स्वागत

By मेघना वर्मा | Published: April 13, 2018 10:08 AM2018-04-13T10:08:21+5:302018-04-13T10:28:50+5:30

बोहाग बिहू या रोंगाली के महत्व को फसलों की कटाई से जोड़कर देखा जाता है। इसके साथ ही वसंत की शुरुआत होती है।

Bihu 2018: know about date, Importance, significance, history and famous dishes | बिहू 2018:असम में ऐसे मनाते हैं बिहू, इन खास व्यंजनों के साथ करते हैं नए साल का स्वागत

बिहू 2018:असम में ऐसे मनाते हैं बिहू, इन खास व्यंजनों के साथ करते हैं नए साल का स्वागत

भारत में अनेकों संस्कृतियों की झलक मिलती है। कहीं रंग-बिरंगा राजस्थान दिखता है तो कहीं लखनवी नवाबी अंदाज। संस्कृति के साथ भारत में त्यौहार की भी विविधता दिखती है। इन त्योहारों के साथ देश में नए साल की भी शुरुआत मानी जाती है और इसी के चलते भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में असम का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार 'बिहू' का जश्न आज से ही दिखाई देने लगा हैं. इस त्योहार के साथ ही नये साल की शुरुआत मानते हैं। इस दिन सूर्य मेष में गोचर करता है, इसलिए नये सौर कैलेंडर की शुरुआत माना जाता है इसे। इस साल यह 15 अप्रैल को मनाया जाएगा।

'बिहू' जश्न से भगवान को कहते हैं शुक्रिया

वैसाखी की ही तरह बिहू भी किसानों का त्योहार होता है। अपने फसल की कटाई करके आज के दिन किसान ईश्वर को फसल के लिए बधाई देते हैं। असम में आज के दिन सभी घरों में नए अनाज से ही स्वादिष्ट पकवान तैयार किया जाते हैं। हालाकिं बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है क्यूंकि साल में तीन बार अनाजों की कटाई होती है लेकिन इस समय पड़ने वाले बिहू को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा पहला होता है भोगाली बिहू या माघ बिहू, दूसरा होता है बोहाग बिहू या रोंगाली और तीसरा होता है कोंगाली बिहू। बोहाग बिहू अप्रैल के महीने में मनाई जाती है। बैसाखी, विषु और तमिलनाडु के नये साल की तरह।

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हर दिन का अपना अलग होता है महत्त्व

बोहाग बिहू या रोंगाली के महत्व को फसलों की कटाई से जोड़कर देखा जाता है। इसके साथ ही वसंत की शुरुआत होती है। इस दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं, गाना गाते हैं और नृत्य करते हैं। इस त्योहार में असम के लोग बिहू डांस भी करते हैं। यह एक दिन का नहीं, बल्कि सात दिनों का त्योहार है और इसके हर दिन का अलग ही महत्व है। त्योहार मनाने के लिए लोग सुबह जल्दी उठते हैं और स्नान कर लेते हैं। नहाने के लिए वह कच्ची हल्दी और उड़द दाल के पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं। 

इन स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ होता है जश्न

खार

असम के लोगों के लिए खास बहुत ही महत्वपूर्ण डिश है। इसमें अल्केलाइन या कहें कि क्षारीय तत्व डाला जाता है और पपीते के साथ-साथ जले हुए केले के तने का इस्तेमाल भी किया जाता है। इससे पेट की सफाई हो जाती है।

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खोये का पिट्ठा

अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो ये रेसिपी आपके लिए हैं। आज हम आपको बनाना सिखाएंगे 'खोये का पिट्ठा'।

आलू पितिका

आलू पितिका सबसे आरामदायक डिश में से एक है। बिहार में इसे चोखा कहते हैं। उबले आलू को मसलकर, उसमें प्याज, हरी मिर्च, हरी धनिया पत्तियां, नमक और सरसों तेल डाला जाता है। आमतौर पर इसे चावल दाल और नींबू के साथ सर्व किया जाता है।

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