बच्चों को तनाव से बचाएगी प्रैक्टिकल शिक्षा नीति, केंद्रीय मंत्री रमेश निशंक ने जताई उम्मीद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 26, 2020 11:57 AM2020-01-26T11:57:06+5:302020-01-26T12:00:17+5:30
मौसम विज्ञान, सौर ऊर्जा, जनतांत्रिक मूल्य, आतंकवाद की मुखालफत, योग का प्रचार प्रसार, इन सभी क्षेत्रों में भारत की निर्णायक भूमिका रही है। इन क्षेत्रों में भारत पूरे विश्व को नई दिशा दे सकता है।
सरकार व्यावहारिक शिक्षा नीति पर अमल कर रही है जो बच्चों पर किसी प्रकार का अनावश्यक तनाव नहीं डालेगी। इस नीति से बच्चों का बेहतर भविष्य निर्माण होगा। आज भारत विश्व के सबसे युवा देशों में से एक है। 62% से अधिक जनसंख्या कामकाजी आयु वर्ग (15-59 वर्ष) में है। कुल जनसंख्या के 54% से लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं।
साल 2030 तक सर्वाधिक कामकाजी आबादी भारत में होगी। जिसके लिए देश में शत-प्रतिशत साक्षरता अनिवार्य है। जनसांख्यकीय अनुपात को जनसांख्यकीय लाभांश में परिवर्तित करना एक बड़ा लक्ष्य है। केवल अच्छी शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने देश के बच्चों का भविष्य संवारकर इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने लगातार तीसरे साल बच्चों को परीक्षा में तनाव मुक्त रहने के लिए उनसे उनसे सीधा संवाद किया हो। विश्व के इतिहास में संभवत: यह पहली बार हुआ होगा कि किसी देश का प्रधानमंत्री लगातार तीन साल से बच्चों को परीक्षा की तैयारी के गुरुमंत्र दे रहा हो।
प्रधानमंत्री ने न केवल बच्चों को परीक्षा की तैयारी के मंत्र दिए बल्कि जीवन की व्यावहारिक सच्चाइयों से परिचय कराते हुए हर चुनौती का सामना कर आगे बढ़ने करने की प्रेरणा दी। प्रधानमंत्री का बच्चों के साथ यह संवाद न केवल देशभर में देखा गया बल्कि दुनिया के 25 देशों के करोड़ों विद्यार्थी, अभिभावक, अध्यापक सब उनके विचारों से लाभान्वित हुए।
पहली बार इस कार्यक्रम में हमारे दिव्यांग छात्रों ने भी भाग लिया । पीएम मोदी ने कहा कि सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने माता-पिता से भी आग्रह किया कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।
मौसम विज्ञान, सौर ऊर्जा, जनतांत्रिक मूल्य, आतंकवाद की मुखालफत, योग का प्रचार प्रसार, इन सभी क्षेत्रों में भारत की निर्णायक भूमिका रही है। इन क्षेत्रों में भारत पूरे विश्व को नई दिशा दे सकता है। भारत को आर्थिक महाशक्ति और विश्वगुरु बनाने की आधारशिला गुणवत्ता परक, नवाचारयुक्त, शिक्षा ही है। हम ऐसी नयी शिक्षा नीति ला रहे जो भारत केन्द्रित, मूल्यपरक, नवाचारयुक्त, रोजगारपरक, कौशलयुक्त, परिणाम आधारित शिक्षण, जीवनोपयोगी होगी।
यह नीति समाज और राष्ट्र निर्माण में उपयोगी होगी। प्राचीन काल से ही भारत में अध्ययन -अध्यापान की समृद्ध परम्परा रही है। तक्षशिला, वल्लभी और नालन्दा विश्वविद्यालय ज्ञान के केंद्र रहे हैं। संपूर्ण एशिया से विद्यार्थी यहां अध्ययन करने के लिए आते थे। कालचक्र बदला और इसके साथ ही भारत का इतिहास भी बदला।
विदेशी आक्रांताओं ने भारत पर सदियों तक शासन किया और उन्होंने पूरी ताकत से भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक और चेतना की विरासत मिटाने का असफल प्रयास किया। हमारी हस्ती इसलिए नहीं मिटी क्योंकि हमारी जड़ें गहरी और कालजयी हैं। शाश्वत मूल्यों के आधार पर हम अपनी शिक्षा से ‘विश्वगुरु’ बनने की राह पर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘भारत की युवा प्रतिभा (यंग टैलेंट) लाभांश है और हम उन युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए कई प्रकार के जमीनी काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा था,‘ डिग्री से ज्यादा स्किल (कौशल) की जरूरत है और वह स्किल हर स्तर पर हो।’ भारत की कामकाजी जनसंख्या को रोजगार सक्षम कौशल से लैस करना बहुत जरूरी है।