देश को 34 साल बाद नई शिक्षा नीति: मनचाहे विषय पढ़ने की आजादी, करीब 2.25 लाख सुझाव मिले

By एसके गुप्ता | Published: July 29, 2020 08:56 PM2020-07-29T20:56:39+5:302020-07-29T20:56:39+5:30

मोदी सरकार के उस सपने को साकार किया गया है जिसमें छात्रों को एक हाथ में डिग्री और दूसरे हाथ में स्किल देने की बात शामिल है। इसलिए कक्षा 9वीं के बाद शुरू होने वाले वोकेशन कोर्स अब छठी कक्षा से शुरू हो सकेंगे। छात्रों को 10 दिन की इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।

New education policy after 34 years country got freedom study any subject about 2.25 lakh suggestions | देश को 34 साल बाद नई शिक्षा नीति: मनचाहे विषय पढ़ने की आजादी, करीब 2.25 लाख सुझाव मिले

देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से करीब 2.25 लाख सुझाव नई शिक्षा नीति को लेकर प्राप्त हुए हैं। (photo-ani)

Highlightsउच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव यह किया गया है कि थ्री ईयर डिग्री कोर्स में मल्टीपल एग्जिट और मल्टीपल एंट्री के मौके बनाए गए हैं। साथ ही फोर ईयर डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों को एमए के बाद बिना एमफिल सीधे पीएचडी में दाखिला दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने की जानकारी देते हुए बताया कि अब से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय होगा।

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रीमंडल ने नई शिक्षा नीति 2020 को बुधवार को मंजूरी दे दी है। देश को 34 साल बाद मिली नई शिक्षा नीति में पढ़ाई के साथ-साथ स्किल पर जोर दिया गया है।

इसमें मोदी सरकार के उस सपने को साकार किया गया है जिसमें छात्रों को एक हाथ में डिग्री और दूसरे हाथ में स्किल देने की बात शामिल है। इसलिए कक्षा 9वीं के बाद शुरू होने वाले वोकेशन कोर्स अब छठी कक्षा से शुरू हो सकेंगे। छात्रों को 10 दिन की इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।

उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव यह किया गया है कि थ्री ईयर डिग्री कोर्स में मल्टीपल एग्जिट और मल्टीपल एंट्री के मौके बनाए गए हैं। साथ ही फोर ईयर डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों को एमए के बाद बिना एमफिल सीधे पीएचडी में दाखिला दिया जाएगा।

नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने की जानकारी देते हुए बताया

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने की जानकारी देते हुए बताया कि अब से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय होगा।

उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति को लेकर मांगे गए सुझाव के तहत बड़ा दस्तावेज तैयार हुआ है। देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से करीब 2.25 लाख सुझाव नई शिक्षा नीति को लेकर प्राप्त हुए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय सचिव (उच्च शिक्षा) अमित खरे ने कहा कि 1986 के बाद देश को 34 साल बाद नई शिक्षा नीति मिली है।

उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में तीन साल में छह सेमेस्टर की पढ़ाई करने वाले छात्रों के मन में पढ़ाई छूटने पर डिग्री न मिलने का डर रहता था। ऐसे में सरकार ने नई शिक्षा नीति में छात्रों को कई एग्जिट दिए हैं। एक छात्र एक साल की पढ़ाई करके छोड़ता है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

दो साल की पढ़ाई करता है तो उसे डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा

अगर दो साल की पढ़ाई करता है तो उसे डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा। तीन साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री दी जाएगी। छात्र फोर ईयर डिग्री कोर्स करेगा तो एक साल की एमए होगी और बिना एमफिल किए सीधे पीएचडी में दाखिला मिलेगा।

इसके अलावा छात्रों को पहले, दूसरे और तीसरे साल में पढ़ाई के क्रेडिट भी दिए जाएंगे। यह क्रेडिट पढ़ाई छोड़ने और दोबारा शुरू करने पर फिर से काउंट होंगे जहां से पढ़ाई छोड़ी है। इससे छात्रों को छूटी पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा। छात्र मेजर विषयों के साथ माइनर विषयों की पढ़ाई पर कर सकेंगे। उदाहरण के तौर पर अगर कोई छात्र इंजीनियरिंग पढ़ रहा है तो वह म्यूजिक भी पढ़ सकेगा।

 केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय सचिव (स्कूली शिक्षा) अनीता करवल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में 12वीं कक्षा तक के लिये 5+3+3+4 का फॉर्मूला बनाया गया है। अभी तक स्कूली शिक्षा 10+2  फॉर्मूले पर आधारित थे। नई नीति में तीन से छह साल और कक्षा दो तक 5 वर्ष का फाउंडेशन कोर्स होगा।

प्री-प्राइमरी स्कूल नाम दिया जाएगा

इसे प्री-प्राइमरी स्कूल नाम दिया जाएगा। इसके बाद प्रीपेरटरी स्टेज में कक्षा 3, 4 और 5 को रखा जाएगा। इसके पश्चात् तीन कक्षाएँ 6, 7 व 8 को माध्यमिक स्कूलिंग कहेंगे और आखिर में चौथे फेज में चार साल के लिए 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं की पढ़ाई होगी। अभी तक कक्षा 9वीं के बाद छात्रों को वोकेशन सब्जेक्ट पढ़ने के लिए दिए जाते थे जो अब कक्षा 6 से शुरू हो सकेंगे।

जिससे छात्र बारहवीं की पढ़ाई के साथ एक हाथ में डिग्री और दूसरे हाथ में तकनीकी शिक्षा कौशल लेकर स्कूल से बाहर निकलेगा। छात्र 9 वीं से बारहवीं के बीच में जो भी पढ़ना चाहे वह पढ़ सकेगा। ईसीए, को-करिकुलम और वोकेशन विषयों को अलग श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। इन्हें  भी मुख्य विषयों की तरह ही माना जाएगा। जिससे छात्रों के अंदर का टेलेंट बाहर आ सके।

कस्तूरबा विद्यालयों को दसवीं से अपग्रेड कर 12वीं तक किया जाएगा। स्कूली पाठ्यक्रम काफी ज्यादा है, इसे सीमित किया जाएगा। जिससे छात्रों को तर्कशक्ति और अन्य एक्टीविटी में भाग लेने का मौका मिले। वोकेशनल कोर्स में छात्रों को दस दिन की इंटर्नशिप करनी होगी। जिससे वह उस क्षेत्र की व्यवहारिकता और तकनीकी ज्ञान से परिचित हो सके।

एनटीए का बढ़ा रोल 

नई शिक्षा नीति में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की भूमिका को काफी बड़ा किया गया है। देश के हर विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा यह एजेंसी आयोजित करेगी। एजेंसी को विश्वविद्यालयों को यह ऑफर करना होगा कि वह प्रवेश परीक्षा का आयोजन कर सकती है।

विश्वविद्यालय की मर्जी होगी कि वह एजेंसी की सेवाएं ले या नहीं। एजेंसी को साल में दो बार प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करना होगा। फिलहाल एनटीए जेईई मेन्स, नीट, यूजीसी नेट, इग्नू और जेएनयू सहित कृषि विश्वविद्यालयों की दाखिले की प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करती है।

उच्च शिक्षा में बदलाव के बड़े फैसले :

-एआईसीटी और यूजीसी की जगह हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीई) एक नियामक संस्था रहेगी। एचईसीई के अंतर्गत ही शिक्षण संस्थानों को वित्त, मान्यता, मॉनिटरिंग आदि मसलों के लिए अलग-अलग बॉडी होंगी।

-नियामक संस्थाओं में जो इंस्पेक्शन किंग के नाम पर शिक्षण संस्थानों को परेशानियां आती थी, उसे खत्म करने के लिए संस्थानों की ओर से सेल्फ अस्सेमेंट डिक्लेयरेशन मान्य होगा।

-डिम्ड, राज्य व अन्य विश्वविद्यालय सभी को विश्वविद्यालय कहा जाएगा। जिससे एकरूपता बनेगी।

-सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के फीस निर्धारण को लेकर भी नई शिक्षा नीति में कैपिंग लगाने को लेकर काम किया गया है। जिससे मनमानी फीस वसूलने पर रोक लगेगी।

- विश्वविद्यालयों में कॉलेजों की संख्या काफी बढ़ गई है। देश में इस समय 45 हजार कॉलेज हैं। कई विश्वविद्यालयों में कॉलेजों की संख्या 800 तक है। ऐसे में वहां सालभर परीक्षाएं ही होती रहती हैं। जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। सभी शिक्षण संस्थानों की ग्रेडिंग नेक के जरिए होगी। जिस शिक्षण संस्थान को ज्यादा अच्छी ग्रेडिंग मिलेगी उसे उतनी ही ज्यादा स्वायत्ता प्रदान की जाएगी।

-शिक्षण के लिए ई-कंटेंट मराठी, तमिल, तेलगू, कन्नड, उडिया, बांग्ला सहित आठ क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किया जाएगा। जिससे क्षेत्रीय स्तर पर छात्रों को सीखने में आसानी रहे।

स्कूल शिक्षा में बड़े बदलाव :

-स्कूल में छात्रों की रिपोर्ट कार्ड में छात्र अपना आंकलन दर्ज करेंगे, छात्र के सहपाठी आंकलन दर्ज करेंगे और उसके बाद शिक्षक छात्र का आंकलन दर्ज करेंगे। जिससे 15 वर्ष की पढ़ाई में हर साल छात्र ने क्या सुधार किया उसे पता रहेगा।

-देश के सभी 60 बोर्ड में एकरूपता लाने के लिए नेशनल असेस्मेंट सेंटर यानि परख बनेगा। परख स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए सभी बोर्ड के साथ मिलकर काम करेंगे।

-एनसीईआरटी और एनसीटीई मिलकर देश के शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग और टीचिंग मॉडल बनाएंगी।

-2030 तक ऐसे 2 करोड़ बच्चे जो स्कूलों से बाहर हैं उन्हें स्कूलों में पढ़ाने के लिए व्यवस्था की जाएगी।

-2005 के बाद नया एनसीएफ नहीं बनाया है, नया पाठ्यक्रम बनाया जाएगा।

-2009 के बाद टीचर्स एजुकेशन के लिए नया मॉडल विकसित नहीं किया गया है वह तैयार किया जाएगा।

-बोर्ड परीक्षाओं के लिए नया मॉडल तैयार होगा। इसमें सालाना परीक्षाओं की जगह साल में दो बार परीक्षाओं का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सब्जेक्टिव परीक्षाओं की जगह ऑब्जेक्टिव परीक्षाएं कराने पर भी विचार किया गया है। जिससे रटने की बजाए ज्ञान आधारित परीक्षा से छात्रों का मूल्यांकन किया जा सके।

-पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई मात्र भाषा में या आठवीं तक की पढ़ाई मात्र भाषा में कराई जाए।

Web Title: New education policy after 34 years country got freedom study any subject about 2.25 lakh suggestions

पाठशाला से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे