नालंदा खुला विश्वविद्यालयः लाखों छात्रों का भविष्य लगा दांव पर, मान्यता पर छाये संकट के बादल

By एस पी सिन्हा | Published: September 14, 2020 03:54 PM2020-09-14T15:54:20+5:302020-09-14T15:54:20+5:30

सरकार ने दस एकड़ जमीन आवंटित कर दिया है, लेकिन अब राज्य सरकार ने अतिरिक्त जमीन देने से इनकार कर दिया है. इस संबंध में विश्वविद्यालय को एक पत्र प्राप्त हुआ है. दरअसल, जब नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी. उस वक्त यह तय हुआ था कि नालंदा जिले में इसकी स्थापना की जाएगी.

Nalanda Open University future millions students stake cloud of crisis over recognition | नालंदा खुला विश्वविद्यालयः लाखों छात्रों का भविष्य लगा दांव पर, मान्यता पर छाये संकट के बादल

राज्य सरकार के इस रुख के बाद नालंदा खुला विश्वविद्यालय की मान्यता पर ही खतरा पैदा हो गया है.

Highlightsसवा लाख से ज्यादा छात्र -छात्रा जुडे़ हैं. लेकिन अब इस विश्वविद्यालय को जमीन नहीं मिली तो इसकी मान्यता समाप्त की जा सकती है.विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 40 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. लेकिन अब तक के राज्य सरकार केवल 10 एकड़ जमीन ही आवंटित कर पाई है.शिक्षा संस्थान की स्थापना के लिए 40 एकड़ जमीन की अनिवार्यता है, जो फिलहाल नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पास नहीं हो पा रही है.

पटनाः बिहार में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के मान्यता पर संकट मंडराने से लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. यह राज्य का इकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है, जिससे सवा लाख से ज्यादा छात्र -छात्रा जुडे़ हैं. लेकिन अब इस विश्वविद्यालय को जमीन नहीं मिली तो इसकी मान्यता समाप्त की जा सकती है.

हालांकि शुरुआत में सरकार ने दस एकड़ जमीन आवंटित कर दिया है, लेकिन अब राज्य सरकार ने अतिरिक्त जमीन देने से इनकार कर दिया है. इस संबंध में विश्वविद्यालय को एक पत्र प्राप्त हुआ है. दरअसल, जब नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी. उस वक्त यह तय हुआ था कि नालंदा जिले में इसकी स्थापना की जाएगी.

नालंदा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 40 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. लेकिन अब तक के राज्य सरकार केवल 10 एकड़ जमीन ही आवंटित कर पाई है. नियमों के मुताबिक किसी भी दूर शिक्षा संस्थान की स्थापना के लिए 40 एकड़ जमीन की अनिवार्यता है, जो फिलहाल नालंदा खुला विश्वविद्यालय के पास नहीं हो पा रही है.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए सरकार से बार-बार मांग रखी है, लेकिन राज्य सरकार ने इस में असमर्थता जाहिर कर दी है. अब राज्य सरकार के इस रुख के बाद नालंदा खुला विश्वविद्यालय की मान्यता पर ही खतरा पैदा हो गया है. साथ ही साथ इस विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के भविष्य पर भी संकट पैदा हो गया है.

बताया जाता है कि बिहार सरकार ने बिहार स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट 2013 का हवाला देते हुए 40 एकड से अधिक जमीन देने से मना कर दिया है. नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ संजीव कुमार के अनुसार 1987 में नालंदा खुला विश्वविद्यालय एक्ट के तहत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी.

नालंदा खुला विश्वविद्यालय द्वारा अतिरिक्त 30 एकड़ की जमीन की मांग जब की गई तो अब शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि प्रावधानों के अनुरूप 10 एकड़ से अधिक जमीन का आवंटन नहीं हो सकता.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसपर आपत्ति जताई है क्योंकि जिस एक्ट का हवाला शिक्षा विभाग द्वारा दिया गया है, वो सिर्फ प्राइवेट विश्वविद्यालयों के लिए है. जबकि नालंदा खुला विश्वविद्यालय कहीं से भी प्राइवेट विश्वविद्यालय नहीं है. यह बिहार सरकार द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है.

Web Title: Nalanda Open University future millions students stake cloud of crisis over recognition

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