कोविड-19 के डर से पढ़ाई करने विदेश नहीं जा रहे छात्र, इंजीनियरिंग कॉलेजों को संजीवनी मिलने की उम्मीद, 25 हजार छात्रों ने कराया रजिस्ट्रेशन

By एसके गुप्ता | Published: June 20, 2020 07:41 PM2020-06-20T19:41:18+5:302020-06-20T19:41:18+5:30

बैठक में प्रतिभाशाली छात्रों को विदेश की बजाए अपने ही देश में पढ़ाई के अवसर उपलब्ध कराने के लिए योजना पर काम करने के लिए कहा गया है। इससे कम छात्रों की संख्या से जूझ रहे और बंदी की कगार पर खड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों को संजीवनी मिलने की उम्मीद है।

Coronavirus Delhi lockdown Students not going abroad study due fear engineering colleges hope 25 thousand students registered | कोविड-19 के डर से पढ़ाई करने विदेश नहीं जा रहे छात्र, इंजीनियरिंग कॉलेजों को संजीवनी मिलने की उम्मीद, 25 हजार छात्रों ने कराया रजिस्ट्रेशन

इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी फायदा होगा जो छात्रों की कमी के कारण बंदी की कगार पर खड़े हैं। (file photo)

Highlightsकेंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हाल ही में जेईई मेन्स परीक्षा के आवेदन की तारीख को कुछ समय के लिए बढ़ाया गया था।कोविड-19 के चलते विदेशों में पढ़ाई का अवसर गंवा चुके छात्र, अपने देश में इंजीनियरिंग की दाखिला प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर यहां के संस्थानों में दाखिला लेकर पढ़ सकें।जेईई मेन्स की परीक्षा के लिए 25 हजार नए छात्रों ने आवेदन किया है। जिससे इस परीक्षा के लिए छात्रों की संख्या 8.50 लाख से ऊपर पहुंच गई है।

नई दिल्लीः हर साल लाखों छात्र भारत से विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते हैं। इन देशों में अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, चीन और  कनाडा मुख्य रूप से शामिल हैं।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में हाल ही में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में प्रतिभाशाली छात्रों को विदेश की बजाए अपने ही देश में पढ़ाई के अवसर उपलब्ध कराने के लिए योजना पर काम करने के लिए कहा गया है। इससे कम छात्रों की संख्या से जूझ रहे और बंदी की कगार पर खड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों को संजीवनी मिलने की उम्मीद है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हाल ही में जेईई मेन्स परीक्षा के आवेदन की तारीख को कुछ समय के लिए बढ़ाया गया था। यह अवसर इसलिए खोला गया था। जिससे कोविड-19 के चलते विदेशों में पढ़ाई का अवसर गंवा चुके छात्र, अपने देश में इंजीनियरिंग की दाखिला प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर यहां के संस्थानों में दाखिला लेकर पढ़ सकें।

परीक्षा के लिए छात्रों की संख्या 8.50 लाख से ऊपर पहुंच गई है

फिलहाल जेईई मेन्स की परीक्षा के लिए 25 हजार नए छात्रों ने आवेदन किया है। जिससे इस परीक्षा के लिए छात्रों की संख्या 8.50 लाख से ऊपर पहुंच गई है। इससे उन इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी फायदा होगा जो छात्रों की कमी के कारण बंदी की कगार पर खड़े हैं। ऐसे कॉलेजों को छात्र मिल जाएंगे और छात्रों को पढ़ाई के लिए कॉलेज।

केंद्र सरकार ने दो साल पहले विदेशी छात्रों को भारत में पढाई के अवसर देने के लिए स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम शुरू किया था। भारत सरकार ने हर साल इसमें पचास हजार विदेशी छात्रों को पढ़ाने की योजना बनाई है। यह संस्थान देश के आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेज हैं।

जिसमें विदेशी छात्रों के लिए सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया गया। लेकिन स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम में अफ्रीकन और गल्फ (बेहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब) देशों के छात्र ही ज्यादा आ रहे हैं। अब कोरोना महामारी के कारण सरकार अपने देश के छात्रों के लिए भी इन संस्थानों में अवसर उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है।

भारत के करीब साढ़े सात लाख छात्र विदेशों में पढ़ते हैं

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि भारत के करीब साढ़े सात लाख छात्र विदेशों में पढ़ते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा छात्र अमेरिका में पढ़ रहे हैं। ऐसे छात्रों को भारत लाने और अन्य छात्रों को भारत में ही पढ़ाई के अवसर उपलब्ध कराने के लिए उच्च कोटि के गुणवत्तापरक निजी एवं सरकारी विश्वविद्यालय खोलने होंगे।

इस संबंध में इस वर्ष के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए प्रावधान किया गया है। स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत विदेशी और यहां के छात्रों के उच्च शिक्षा में बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए काम किया जा रहा है। सरकार ने देश के 20 उच्च शिक्षण संस्थानों को इंस्टिट्यूट ऑफ़ एमिनेंस भी घोषित किया है। जिन्हें हेफा के माध्यम से फंडिंग देकर आधुनिक शिक्षा के संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि महामारी की कठिन परिस्थिति जिसने हर क्षेत्र में लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इससे छात्रों के बीच अपनी भूमि - भारत में अध्ययन करने और काम करने की इच्छा पैदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

देश में चौथी औद्योगिक क्रांति की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पार्क, स्टार्स, इम्प्रेस, इमप्रिंट और स्ट्राइड जैसी विभिन्न योजनओं को शुरू किया है। जिससे देश के छात्र दुनिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए प्रयोग और नए स्टार्टअप शुरू कर सकेंगे।

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