नई दिल्लीः संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने कहा है कि चार अक्टूबर को होने वाली सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के लिए मास्क या फेस कवर पहनना अनिवार्य है।
आयोग ने कहा है कि परीक्षार्थी पारदर्शी बोतलों में सैनिटाइजर भी ला सकते हैं। यूपीएससी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए अधिकारियों का चयन करने के लिए प्रतिवर्ष तीन चरणों में प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार सिविल सेवा परीक्षा आयोजित कराती है।
आयोग ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘सभी परीक्षार्थियों के लिए मास्क/फेस कवर पहनना अनिवार्य है। बिना मास्क के किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी। परीक्षार्थियों को पारदर्शी बोतलों में अपना सैनिटाइजर लाने की अनुमति होगी।’’
उसने कहा कि परीक्षार्थियों को कोविड-19 के नियमों का पालन करना होगा। उन्हें परीक्षा हॉल/कमरों के साथ परिसरों में भी सामाजिक दूरी का पालन करना होगा। इस वर्ष की प्रारंभिक परीक्षा 31 मई को होनी थी लेकिन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के वास्ते लगाये गये लॉकडाउन के कारण इसे टाल दिया गया था।
बयान में कहा गया है कि आयोग पूरे देश में रविवार, चार अक्टूबर को सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा-2020 करेगा। इसमें कहा गया है कि परीक्षा के प्रत्येक सत्र में उपस्थित होने के लिए, परीक्षार्थियों को अपने फोटो आईडी कार्ड, जिसका नंबर ई-एडमिट कार्ड पर दिया गया है, साथ लाना होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करेंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 (एनईपी) के तहत ‘21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ पर आयोजित एक सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय ‘‘शिक्षा पर्व’’ के एक हिस्से के रूप में 10 और 11 सितंबर को इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। बयान में कहा गया, ‘‘शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर तक शिक्षा पर्व मनाया जा रहा है।
देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न वेबिनार, वर्चुअल सम्मेलन और सभाएं आयोजित की जा रही हैं।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री ने सोमवार को एनईपी- 2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार पर आयोजित एक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया था। उन्होंने राज्यपालों के सम्मेलन को भी संबोधित किया था। बयान के मुताबिक एनईपी- 2020 इक्कीसवीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के 34 वर्षों के बाद घोषित किया गया है।
एनईपी-2020 में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों स्तरों पर बड़े सुधारों के लिए निर्देश दिया गया है। सरकार का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को एक न्यायोचित और ज्ञान आधारित उद्योगी समाज बनाना है। इसमें भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली को लागू करने की सोच है जो देश को वैश्विक महाशक्ति में बदलने में सीधे योगदान करेगा। बयान में कहा गया, ‘‘एनईपी में लक्षित व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में प्रतिमान बदलाव लाएगा और प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित एक नए आत्म-निर्भर भारत के लिए एक सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा।’’