विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट! जांच समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
By विनीत कुमार | Published: April 21, 2021 10:39 AM2021-04-21T10:39:39+5:302021-04-21T10:43:37+5:30
विकास दुबे का एनकाउंटर पिछले साल यूपी पुलिस ने किया था। पुलिस के अनुसार उज्जैन से सड़क मार्ग से लाते समय विकास दुबे ने भागने की कोशिश की थी और इसलिए उसका एनकाउंटर किया गया था। कई लोग हालांकि इस थ्योरी पर सवाल उठा रहे थे। अब यूपी पुलिस को हालांकि इस मामले में बड़ी राहत मिली है।
पिछले साल गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद उसे एनकाउंटर में मारे जाने के सिलसिले में उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यों वाली एक न्यायिक जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जांच समिति ने ये भी कहा है कि पब्लिक, मीडिया और विकास दुबे का परिवार कोई भी ठोस सबूत सामने लेकर नहीं आ सका।
विकास दुबे को पिछले साल यूपी पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था। पुलिस तब विकास दुबे के गिरफ्चार किए जाने के बाद उसे उज्जैन से कानपुर सड़क मार्ग से ला रही थी।
पुलिस के अनुसार कानपुर जिले की सीमा में प्रवेश के कुछ देर बाद ही वो गाड़ी पलट गई थी, जिसमें विकास दुबे अन्य पुलिसकर्मियों के साथ बैठा हुआ था। इसके बाद विकास दुबे ने मौके को देखते हुए एक पुलिसकर्मी से उसकी बंदूक छिनी और भागने की कोशिश की।
पुलिस के अनुसार इस दौरान विकास दुबे ने फायरिंग भी की थी। पुलिस ने उसे रूकने को कहा लेकिन वह नहीं माना और ऐसे में पुलिस को उसका एनकाउंटकर करना पड़ा।
विकास दुबे एनकाउंटर: रिपोर्ट में क्या कहा गया है
यूपी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास जमा कराई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की एनकाउंटर की बात के खंडन के लिए कोई सबूत नहीं है लेकिन इसके समर्थन में पर्याप्त सबूत हैं।
इस जांच समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन याचिकाओं के बाद किया गया था जिसमें विकास दुबे के एनकाउंर के मामले में जांच की मांग की गई थी। ऐसे आरोप लगाए गए थे कि पुलिस ने फेक-एनकाउंटर में विकास दुबे को मार डाला।
सूत्रों के अनुसार जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व वाली इस जांच समिति के सामने कोई भी पुलिस के खिलाफ सबूत लेकर नहीं आया। सूत्रों के अनुसार विकास दुबे की पत्नी या परिवार का कोई सदस्य भी किसी ठोस सबूत के साथ आगे नहीं आया।
गौरतलब है कि पिछले साल दो-तीन जुलाई की रात को कानपुर के बिकरू गांव में जब विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा की अगुवाई में पुलिस दल पहुंचा तो कुछ ही देर बाद छतों से गोलियां बरसाई गईं जिसमें पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गये। इस मामले में बाद में पुलिस ने सरगना विकास दुबे समेत कई अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया है।