उत्तर प्रदेश: आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को होगी फांसी! मथुरा जेल में चल रही है तैयारी
By विनीत कुमार | Published: February 17, 2021 03:05 PM2021-02-17T15:05:44+5:302021-02-17T15:14:48+5:30
यूपी के अमरोहा की शबनम पर प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 सदस्यों की हत्या का दोष है। शबनम और सलीम ने 2008 में सभी की हत्या कुल्हाड़ी मारकर कर दी थी।
आजाद भारत के इतिहास में संभवत: पहली बार किसी महिला को उसके जुर्म के लिए फांसी दी जाएगी। ये मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा से जुड़ा है। शबनम को उत्तर प्रदेश के मथुरा में फांसी देने की तैयारी शुरू हो गई है।
न्यूज-18 की एक रिपोर्ट के अनुसार मेरठ से पवन जल्लाद ने भी दो बार आकर मथुरा में फांसी घर का मुआयना किया है। निर्भया मामले के दोषियों को पवन जल्लाद ने ही फांसी पर लटकाया था। बहरहाल, अभी शबनम को फांसी देने की तारीख तय नहीं हुई है।
शबनम को दी जाएगी फांसी! क्या है पूरा मामला
शबनम पर अप्रैल-2008 में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात सदस्यों को कुल्हाड़ी मारकर हत्या करने का दोष सिद्ध हुआ है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट पहले ही दोषी को कोई राहत देने से इनकार कर चुका है।
राष्ट्रपति भी दया की याचिका ठुकरा चुके हैं। ऐसे में शबनम को अगर फांसी पर लटकाया जाता है तो वो आजादी के बाद पहली ऐसी महिला कैदी होगी जिसे फांसी दी जाएगी।
मथुरा जेल में पहली बार महिलाओं के लिए फांसी घर का निर्माण करीब 150 साल पहले हुआ था। हालांकि आजादी के बाद किसी को यहां फांसी नहीं दी गई। इस बीच जेल प्रशासन सूत्रों के अनुसार शबनम की डेथ वारंट मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
इस केस की सुनवाई के बाद अमरोहा की जिला अदालत ने शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने इस फैसले को बरकरार रखा है।
यूपी के अमरोहा कांड की पूरी कहानी
शबनम ने 14 अप्रैल, 2008 की रात प्रेमी सलीम के साथ मिलकर माता-पिता और मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से गला काट कर हत्या कर दी थी।
इस रात जिनकी हत्या की गई, उनमें शिक्षक पिता शौकत अली, पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, बहू अंजुम, रिश्तेदार राबिया और दस महीने का मासूम पोता अर्श शामिल थे।
शबनम एमए पास है और बाद में वह शिक्षामित्र हो गई थी। इस दौरान शबनम का प्रेम प्रसंग गांव के ही आठवीं पास युवक सलीम से शुरू हो गया। शबनम हालांकि सैफी तो सलीम पठान बिरादरी से था।
इसलिए शबनम के परिवार वाले इस रिश्ते का विरोध कर रहे थे। आखिरकार शबनम ने परिवार के खिलाफ जाने का फैसला किया। 14 अप्रैल की रात शबनम ने परिवार वालों को खाने में नींद की गोली मिलाकर सुला दिया।
इसके बाद उसने सलीम को बुलाया और उसके साथ मिलकर सभी की हत्या कर दी। इसके बाद सलीम वहां से भाग गया और शबनम रात भर घर में रही। तड़के उसने शोर मचाया और बताया कि घर में बदमाश आए थे।
पुलिस को हालांकि मोबाइल कॉल डिटेल से शबनम पर शक हुआ। इसके बाद घटना के चौथे दिन सलीम और शबनम को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बाद में दोनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया और हत्या में इस्तेमाल कुल्हाड़ी भी पुलिस को गांव के तालाब से मिल गई।