निर्भया केस: तीसरी बार डेथ वॉरंट पर भी 3 मार्च को फांसी पर संशय, जानें कहां अटक सकता है पेच
By भाषा | Published: February 17, 2020 11:52 PM2020-02-17T23:52:45+5:302020-02-17T23:52:45+5:30
Nirbhaya Gangrape: साल 2012 के 16 दिसंबर को एक चलती बस में निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ सामूहिक गैंगरेप हुआ था। आरोपियों ने पीड़िता के साथ ना सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसे बेहद चोटें भी पहुंचाई थी। जिसकी वजह से निर्भया की मौत हो गई।
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को निर्भया से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के चार दोषियों को तीन मार्च को फांसी दिए जाने का निर्देश दिया । हालांकि इस पर अमल को लेकर अब भी संशय बना हुआ है क्योंकि दोषियों में से एक के पास अब भी कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। नए मृत्यु वारंट जारी करने वाली दिल्ली की अदालत के समक्ष दोषियों में से एक पवन गुप्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि उसकी मंशा “उच्चतम न्यायालय के समक्ष सुधारात्मक याचिका और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने की है।”
तिहाड़ के अधिकारियों ने अदालत को बताया था कि पवन ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) की तरफ से चुने गए वकील की सेवा लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अदालत ने गुरुवार को पवन का पक्ष रखने के लिये अधिवक्ता रवि काजी को नियुक्त किया था।
काजी ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा को बताया कि उसकी अपने मुवक्किल से मुलाकात हुई है और उसका इरादा उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका या राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का है। चारों दोषियों में से एक पवन ही है जिसने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है। उसने अब तक दया याचिका भी दायर नहीं की है।
उच्चतम न्यायालय के 2014 के फैसले के मुताबिक दया याचिका खारिज होने की जानकारी दिये जाने के बाद मृत्युदंड दिए जाने से पहले किसी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से 14 दिन का वक्त दिया जाना जरूरी होता है। अदालत ने कहा कि पवन को दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश के बारे में सूचित किया गया था जिसमें उसे विधिक विकल्पों को अपनाने का निर्देश दिया गया था।