अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईंबाबा की पैरोल की अर्जी ठुकराई

By भाषा | Published: August 18, 2020 04:03 PM2020-08-18T16:03:26+5:302020-08-18T16:11:46+5:30

नागपुर केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास काट रहे साईबाबा ने अपनी मां के अंतिम संस्कार के बाद की रस्मों में शामिल होने के लिए हैदराबाद जाने के वास्ते पैरोल मांगी थी।

The court turned down the plea of ​​former Delhi University professor Saibaba for parole | अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईंबाबा की पैरोल की अर्जी ठुकराई

जीएन साईंबाबा (फाइल फोटो)

Highlightsसांईबाबा की 74 वर्षीय मां की गत एक अगस्त को मृत्यु हो गई थी। साईबाबा ने पिछले महीने भी अपनी बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल मांगी थी, जिसे जेल अधिकारियों ने खारिज कर दिया था।

नागपुर: बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईंबाबा को दिवंगत मां के अंतिम संस्कार के बाद की रस्मों में शामिल होने के लिए आपात पैरोल देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति जेड ए हक और न्यायमूर्ति ए जी घरोटे ने हालांकि नागपुर जेल के प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे किसी दिन साईबाबा को उनके परिवार के सदस्यों के साथ वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये बात कराने का इंतजाम करें।

माओवादियों के साथ संबंध को लेकर महाराष्ट्र के नागपुर केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास काट रहे साईबाबा ने अपनी मां के अंतिम संस्कार के बाद की रस्मों में शामिल होने के लिए हैदराबाद जाने के वास्ते पैरोल मांगी थी। साईबाबा की 74 वर्षीय मां की गत एक अगस्त को मृत्यु हो गई थी।

अदालत ने आपात पैरोल की याचिका खारिज करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच साईबाबा को नागपुर से हैदराबाद ले जाने के लिए सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था करना मुश्किल होगा। सरकार की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक पी के सतियानाथन ने साईबाबा की याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि अंतिम संस्कार के बाद की अधिकतर रस्में पूरी हो गई हैं।

साईबाबा ने पिछले महीने भी अपनी बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल मांगी थी, जिसे जेल अधिकारियों ने खारिज कर दिया था। साईबाबा 90 प्रतिशत शारीरिक अक्षमताओं के कारण व्हीलचेयर पर है। मार्च 2017 में, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने साईबाबा और चार अन्य व्यक्तियों को माओवादियों से संबंध रखने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की गतिविधियों में लिप्त होने का दोषी ठहराया था।

इनमें एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का एक छात्र भी शामिल था। अदालत ने साईबाबा और अन्य को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। दोषी ठहराया जाने के बाद साईबाबा को नागपुर केंद्रीय जेल में रखा गया है। 

Web Title: The court turned down the plea of ​​former Delhi University professor Saibaba for parole

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