प्रतिबंधित संगठन PFI के द्वारा किया जा रहा था टार्गेट किलिंग का काम, एनआईए की जांच में हुए कई खुलासे
By एस पी सिन्हा | Published: February 8, 2023 04:04 PM2023-02-08T16:04:07+5:302023-02-08T16:04:07+5:30
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि पीएफआई संगठन पर सरकार की कार्रवाई के बाद अब यह धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए अब सिर्फ टार्गेट किलिंग पर ही काम कर रहा है।
पटना: देश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित किये जाने के बाद बिहार में सक्रिये पीएफआई ने अपना प्लान बदल दिया है। अब पीएफआई सेना की तरह ट्रेनिग देने की जगह महत्वपूर्ण लोगों को टारगेट कर उन्हें जान से मारने की योजना बना रहा है। इस बात की जानकारी इस संगठन की जांच कर रहे एनआईए की टीम ने दी है।
एनआईए ने कहा कि इस संगठन पर सरकार की कार्रवाई के बाद अब यह धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए अब सिर्फ टार्गेट किलिंग पर ही काम कर रहा है। मुजफ्फरपुर के बरूराज थाना के परसानीनाथ स्थित मो. कादिर अंसारी के घर बीते सितंबर-अक्टूबर में पीएफआई की गुप्त बैठक करने का खुलासा हुआ है।
सोमवार को मो. कादिर के घर छापेमारी के दौरान पीएफआई का बैनर व घर से दो तलवार मिलने के बाद एनआईए ने बरूराज थाने में पांच के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। पूर्वी चंपारण के चकिया के बेलाल उर्फ इरशाद की गिरफ्तारी के बाद बरूराज में छापेमारी की गई। खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक फरार चल रहा बिहार पीएफआई माड्यूल का सदस्य याकूब इस साजिश का प्रमुख सूत्रधार है।
खुफिया एजेंसी और एनआईए की जांच में यह पता चला है कि बिहार चकिया इलाके के रहने वाला याकूब पिछले डेढ़ सालों से सशस्त्र ट्रेनिंग दे रहा था। लेकिन, जबसे पीएफआई पर प्रतिबंध लगा उसने अपने काम करने का तरीका बदल दिया। एनआईए को पूर्वी चंपारण के मेहसी, चकिया व मुजफ्फरपुर के बरूराज से लेकर दरभंगा तक पीएफआई का लिंक मिला है।
इस इलाके के पीएफआई मेंबर का तार तमलिनाडू के मो. रोसलेन से भी जुड़ा हुआ है। प्रतिबंधित संगठन पीएफआई को मजबूत करने के लिए उत्तर बिहार में पीएफआई की ट्रेनिंग, भर्ती और अन्य गतिविधियां गुपचुप तरीके से अंजाम दी जा रही है। एनआईए ने प्राथमिकी में खुलासा किया है कि इरशाद पीएफआई के कई सदस्यों जिसमें तमलिनाडू के मो. रोसलेन, दरभंगा के मो. सनाउल्लाह, मधुबनी के तौसीफ के संपर्क में आया।
बेलाल का बरूराज का कादिर अंसारी संबंधी है। केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बाद रियाज मारूफ ने वॉट्सएप पर एक वॉयस क्लिप बेलाल को भेजा। वॉट्सएप के माध्यम से ही सुल्तान और अफरोज को बैठक की जानकारी दी गई। तब जाकर परसौनी गांव में गुप्त बैठक हुई।
सूत्रों के अनुसार पीएफआई के इस बिहार माड्यूल ने महत्वपूर्ण टार्गेट की सूची बना रखी थी। जिसके लिए याकूब के पास हथियार और गोली पहुंचाए जा रहे थे। ऐसी वारदात को अंजाम देने का मकसद था कि पीएफआई प्रतिबंधित होने के बाद भी दोबारा अपनी मौजूदगी दर्ज करा सके। एनआईए की तफ्तीश में यह बात भी सामने आई है।
पिछले डेढ़ साल में याकूब बिहार में करीब एक दर्जन सशस्त्र ट्रेनिंग कैंप चला चुका है। यह कैंप फुलवारी शरीफ, बेतिया, दरभंगा, मोतिहारी, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, मधुबनी और बिहारशरीफ में संचालित किए गए थे। एजेंसियों को इस बात का भी अंदेशा है कि अपने ऐसे खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए पीएफ आई मॉड्यूल ने करीब आधा दर्जन "हाई टारगेट" की सूची भी बना रखी थी।