बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाया रोक, स्कीन-टू-स्कीन कांटेक्ट के बिना स्तन दबाने को नहीं माना था यौन उत्पीड़न

By अनुराग आनंद | Published: January 27, 2021 04:39 PM2021-01-27T16:39:55+5:302021-01-27T16:44:07+5:30

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यौन उत्पीड़न के एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला काफी परेशान करने वाला है। 

Supreme Court stays Bombay HC's controversial order on skin-to-skin sexual assault | बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाया रोक, स्कीन-टू-स्कीन कांटेक्ट के बिना स्तन दबाने को नहीं माना था यौन उत्पीड़न

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsबॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि कपड़ा पहने होने पर 12 साल की बच्ची के स्तन को दबाना यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा।बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि बच्ची के टॉप को उतारने या फिर गलत इरादे से उसके कपड़े के अंदर हाथ डालने पर ही उसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा।

नई दिल्ली:बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले दिनों अपने एक फैसले में स्कीन-टू-स्कीन कांटेक्ट के बिना लड़की के स्तन दबाने को यौन उत्पीड़न मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद इस फैसले पर लोग अपने-अपने मुताबिक राय जाहिर कर रहे थे। बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर भी इस मामले में बहस तेज हो गई।

टाइम्स नाऊ के मुताबिक, अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के स्किन-टू-स्किन यौन उत्पीड़न के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपना पक्ष रखा है।

उन्होंने कोर्ट में कहा कि 19 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा यौन उत्पीड़न के मामले में सुनाए गए फैसले में कहा गया कि आरोपी ने बच्ची के टॉप खोलकर या उसके अंदर हाथ डालकर स्तन नहीं दबाया है, इसलिए यह यौन उत्पीड़न का मामला नहीं है। 

कोर्ट से वेणुगोपाल ने कहा कि यह फैसला पीड़ित व दूसरे लोगों के लिए काफी परेशान करने वाला है। सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाया है।

जानें यौन शोषण के बारे में अब बॉम्बे हाई कोर्ट की नई परिभाषा-

आउटलुक के मुताबिक बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले दिनों कहा था कि 12 साल की बच्ची के स्तन को दबाना यौन शोषण नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह प्रमाणित न हो जाए कि शख्स ने बच्ची के टॉप को उतारा या फिर गलत इरादे से उसके कपड़े के अंदर हाथ डाला। कोर्ट ने कहा था कि यदि ऐसा होता है तो इसे लड़की या महिला के सील भंग करने का इरादा माना जा सकता है। 

यही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक स्कीन-टू-स्कीन कांटेक्ट न होता हो तो 'मात्र छेड़खानी' यौन हमले के अंतर्गत नहीं आता है। बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट एक ऐसे आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसे नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए जेल की सजा निचली अदालत में सुनाया गया था।

कोर्ट ने इस वजह से मामले को यौन उत्पीड़न मानने से किया इनकार

न्यायमूर्ति पुष्पा गणेदीवाला की एकल न्यायाधीश पीठ ने फैसला सुनाते हुए निचली अदालत से व्यक्ति को सुनाए गए सजा को संशोधित किया है। न्यायाधीश ने कहा कि शख्स ने कपड़े उतारकर बच्चे के शरीर के किसी हिस्से को छूआ नहीं है और न ही दबाया है, ऐसे में हम इसे यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं मान सकते हैं। 

कपड़ा पहने बच्ची के स्तन दबाने के मामले में IPC की धारा 354 के तहत होगी सजा: कोर्ट

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह आरोप निश्चित रूप से आईपीसी की धारा 354 की एक परिभाषा में आता है, जो एक महिला की विनम्रता को अपमानित करने के लिए दंडित करता है। ऐसे में इस मामले में कार्रवाई यौन उत्पीड़न के मामले में न कर आईपीसी की धारा 354 के तहत की जा सकती है। साफ है कि कोर्ट ने आरोपी की सजा को कम कर दिया।

आरोपी ने अमरूद भेंट करने के बहाने पीड़िता बच्ची का किया था उत्पीड़न-

दरअसल, इस मामले का आरोपी अमरूद भेंट करने के बहाने पीड़िता बच्ची को बहला फुसला कर अपने घर ले गया था। बाद में, जब लड़की की मां मौके पर पहुंची, तो उसने अपनी बेटी को वहां रोते हुए देखा। जब मां ने पूछा तो बेटी ने उसे पूरी घटना सुनाई। इसके बाद महिला ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

Web Title: Supreme Court stays Bombay HC's controversial order on skin-to-skin sexual assault

क्राइम अलर्ट से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे