पटना: पुलिसलाइन तोड़फोड़ मामले में लगी दंगे की धारा, 73 ट्रेनी महिला कांस्टेबलों समेत 175 कांस्टेबलों के खिलाफ FIR

By एस पी सिन्हा | Published: November 7, 2018 01:56 PM2018-11-07T13:56:01+5:302018-11-07T13:56:01+5:30

patna police line ruckus case riot case has been filed 175 constable including 75 women trainee are named | पटना: पुलिसलाइन तोड़फोड़ मामले में लगी दंगे की धारा, 73 ट्रेनी महिला कांस्टेबलों समेत 175 कांस्टेबलों के खिलाफ FIR

पुलिस को घटना का सीसीटीवी फुटेज मिल गया है लेकिन बर्खास्त किए गए लोगों के नाम का अभी तक खुलासा नहीं किया गया है।

बिहार की राजधानी पटना स्थित पुलिस लाइन के अंदर व बाहर दो नवंबर को उत्पात मचाने के मामले को दंगा माना गया है. बुद्धा कॉलोनी थाने में दर्ज चारों प्राथमिकी में इस घटना की प्रवृत्ति को दंगा की श्रेणी में अंकित किया गया है.

पुलिस लाइन कार्यालय के अंदर से लेकर बाहर तक हुई हिंसा के दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है. माना जा रहा कि कार्रवाई के बाद कई पुलिस कर्मियों की नौकरी पर गाज गिरेगी जिससे एक बार फिर से हंगामा खड़ा हो सकता है.

प्राथमिकी के बाद गिरफ्तारी के डर से कई ट्रेनी कांस्टेबल फरार हो गए हैं. पहली प्राथमिकी लाइन डीएसपी मो मसेलउद्दीन के बयान पर दर्ज की गई है. इसी मामले में दर्ज दूसरी प्राथमिकी में दोषियों के ऊपर लोनी थानाध्यक्ष मनोज मोहन के बयान के आधार पर डैमेज पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

तीसरी प्राथमिकी पीरबहोर थानाध्यक्ष गुलाम सरवर के बयान के आधार पर दर्ज की गई है. इसमें कांस्टेबल धीरज कुमार, मनोज कुमार, राजेश कुमार महतो, मनीष कुमार व 50 अज्ञात नामजद आरोपित बनाए गए हैं जबकि राहगीर सुनील कुमार के बयान पर दर्ज चौथी प्राथमिकी दर्ज की गई है.

वहीं मामले के बाद से सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हिंसा में 175 कांस्टेबल नामजद किए गए हैं. पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी है. नामजद पुलिस कर्मियों में 73 महिला ट्रेनी कांस्टेबल शामिल हैं.

इस मामले के आरोपितों की बर्खास्तगी के बाद से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई. पुलिस ने फिलहाल अभी सावधानी बरती है और बर्खास्त लोगों के नामों का फिलहाल खुलासा नहीं किया है. तोड़फोड़ वाले कार्यालयों को फिर से दुरूस्त कर दिया गया है.

बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) की गठबंधन सरकार है। मुजफ्फपुर शेल्टर कांड और अन्य कई हत्याकांडों के चलते राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विपक्ष और मीडिया के निशाने पर हैं। 

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