Nirbhaya Case: SC में सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश ने लगाया जेल में यौन उत्पीड़न का आरोप
By भाषा | Published: January 28, 2020 03:28 PM2020-01-28T15:28:16+5:302020-01-28T15:34:04+5:30
वरिष्ठ अधिवक्ता ने मौत की सजा के मामले में कई फैसलों और दया करने के राष्ट्रपति के अधिकार का हवाला दिया। उन्होने यह भी दलील दी कि राष्ट्रपति ने दुर्भावनापूर्ण, मनमाने और सामग्री के बगैर ही दया याचिका खारिज की। यह पीठ राष्ट्रपति द्वारा 17 जनवरी को मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्भया प्रकरण के चार दोषियों में से एक मुकेश कुमार सिंह से सवाल किया कि वह यह आरोप कैसे लगा सकता है कि उसकी दया याचिका अस्वीकार करते समय राष्ट्रपति ने सही तरीके से विचार नहीं किया। इसके साथ ही वकील ने कहा कि जेल में उसके साथ यौन उत्पीड़न की घटना भी घटी है। ऐसे में न्यायालय को इस मामले में अपने फैसले पर विचार करने की जरुरत है।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने मुकेश कुमार सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश से सवाल किया कि वह यह दावा कैसे कर सकते हैं कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पर विचार के समय सारे तथ्य नहीं रखे गये थे।
पीठ ने सवाल किया, ‘‘आप कैसे कह सकते हैं कि ये तथ्य राष्ट्रपति महोदय के समक्ष नहीं रखे गये थे? आप यह कैसे कह सकते हैं कि राष्ट्रपति ने सही तरीके से विचार नहीं किया?’’ दोषी के वकील ने जब यह कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गये थे तो सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सारा रिकार्ड, साक्ष्य और फैसला पेश किया गया था। मुकेश कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका अस्वीकार करने में प्रक्रियागत खामियां हैं। उसका दावा है कि दया याचिका पर विचार करते समय उसे एकांत में रखने सहित कतिपय परिस्थितियों और प्रक्रियागत खामियों को नजरअंदाज किया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने मौत की सजा के मामले में कई फैसलों और दया करने के राष्ट्रपति के अधिकार का हवाला दिया। उन्होने यह भी दलील दी कि राष्ट्रपति ने दुर्भावनापूर्ण, मनमाने और सामग्री के बगैर ही दया याचिका खारिज की। यह पीठ राष्ट्रपति द्वारा 17 जनवरी को मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।
दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों को एक फरवरी को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिये आवश्यक वारंट जारी किया था। 23 वर्षीय निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया का बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।