नक्सली हिंसाः कभी 90 जिलों में फैली अब 46 तक सिमटी, 871 नक्सलियों की मौत, जानिए कितने जवान हुए शहीद

By भाषा | Updated: September 21, 2020 15:21 IST2020-09-21T15:21:53+5:302020-09-21T15:21:53+5:30

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को बताया कि समझा जाता है कि 11 राज्यों के 90 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं और इन जिलों को गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत रखा गया।

Naxalite violence ever spread 90 districts now reduced 46, 871 naxalites killed how many martyrs died | नक्सली हिंसाः कभी 90 जिलों में फैली अब 46 तक सिमटी, 871 नक्सलियों की मौत, जानिए कितने जवान हुए शहीद

प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि इस अवधि में 4,022 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

Highlightsअब साल 2020 के शुरुआती छह माह में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं की खबरें केवल 46 जिलों से आईं।2015 से 15 अगस्त 2020 तक 350 सुरक्षा कर्मियों और 963 आम नागरिकों के साथ 871 नक्सलियों की मौत हुयी है।

नई दिल्लीः गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि कभी देश के 90 जिलों को अपने कब्जे में ले चुकी नक्सली हिंसा अब 46 जिलों तक सिमट गई है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को बताया कि समझा जाता है कि 11 राज्यों के 90 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं और इन जिलों को गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत रखा गया।

उन्होंने बताया कि सरकार के विभिन्न प्रयासों के फलस्वरूप 2019 में नक्सली हिंसा की घटनाओं की खबर 61 जिलों से आई और अब साल 2020 के शुरुआती छह माह में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं की खबरें केवल 46 जिलों से आईं।

रेड्डी ने यह भी बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में 2015 से 15 अगस्त 2020 तक 350 सुरक्षा कर्मियों और 963 आम नागरिकों के साथ 871 नक्सलियों की मौत हुयी है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि इस अवधि में 4,022 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

पारादीप बंदरगाह का नामकरण बीजू पटनायक के नाम पर करें : रास में बीजद ने की मांग

राज्यसभा में सोमवार को बीजू जनता दल ने ओडिशा के पारादीप बंदरगाह का नाम राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बीजू पटनायक के नाम पर रखे जाने की मांग की। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए बीजद के प्रसन्न आचार्य ने कहा कि देश में महत्वपूर्ण संस्थानों, प्रतिष्ठानों के नाम महान हस्तियों पर रखे जाने की एक अच्छी परंपरा चली है। उन्होंने कहा कि ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बीजू पटनायक ने न केवल देश के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था बल्कि आजादी के बाद देश के विकास में उनका अहम योगदान रहा है।

आचार्य ने कहा कि आधुनिक ओडिशा के मुख्य शिल्पकार कहलाने वाले बीजू पटनायक का ओडिशा के पारादीप बंदरगाह की स्थापना में विशेष योगदान रहा है। आज यह बंदरगाह देश के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है। आचार्य ने मांग की कि पारादीप बंदरगाह का नाम बीजू पटनायक के नाम पर रखा जाना चाहिए। शून्यकाल में ही टीएमसी के जी के वासन ने सिर पर मैला ढोने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद इस प्रथा पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकी है।

वासन ने मांग की कि न केवल मानव गरिमा पर आघात करने वाली इस प्रथा पर रोक लगाई जाए बल्कि इससे जुड़े लोगों को आर्थिक मदद दी जाए ताकि वे अपना कोई काम शुरू कर सम्मानजनक जीवन जी सकें। भाकपा के विनय विश्वम ने मास्क का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में अपने बचाव के लिए मास्क पहनना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मास्क जरूरी होने के बावजूद उन लोगों के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल है जिनकी आजीविका में दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी टेढ़ी खीर है।

सरकार गरीबों के बीच नि:शुल्क मास्क का वितरण करे

विश्वम ने मांग की कि सरकार गरीबों के बीच नि:शुल्क मास्क का वितरण करे ताकि उनके जीवन की रक्षा हो सके। कांग्रेस के पीएल पुनिया ने नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ की सात बटालियन तैनात किए जाने की मंजूरी 2018 में मिलने के बावजूद अब तक तैनाती नहीं हो पाने का मुद्दा उठाया। पुनिया ने कहा कि ये बटालियनें छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले में तैनात की जानी थीं और इसके लिए वहां अवसंरचना भी तैयार की जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि अब जम्मू कश्मीर से सीआरपीएफ की 10 बटालियनों को हटाया कराया गया है और सरकार को चाहिए कि इनमें से सात बटालियनों को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले में तैनात करे। शिवसेना के अनिल देसाई ने कीटनाशकों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में ऐसे कई कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है जिन पर दूसरे देशों में प्रतिबंध लगाया जा चुका है। तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने सरकारी क्षेत्र के उपक्रम भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारियों को लंबे समय से वेतन का भुगतान नहीं हो पाने का मुद्दा उठाया।

इनके अलावा द्रमुक के पी विल्सन और पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज ने भी अपने अपने मुद्दे उठाए। इसके बाद विशेष उल्लेख के जरिये कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल और रिपुन बोरा, मनोनीत रूपा गांगुली, भाजपा के सुभाष चंद्र सिंह, कांता कर्दम, किरोड़ी लाल मीणा और संजय सेठ, सपा के सुखराम सिंह यादव और बीजद के अमर पटनायक ने लोक महत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए।

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