महंत नरेंद्र गिरि मौत मामला: हाई स्कूल परीक्षा सेकंड डिविजन से पास थे, सीख लिया था मोबाइल का इस्तेमाल, कई अहम खुलासे
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 23, 2021 05:06 PM2021-09-23T17:06:50+5:302021-09-23T17:08:08+5:30
Mahant Narendra Giri death case: महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को अपने मठ के एक कमरे में मृत पाये गए थे। पुलिस के मुताबिक, गिरि ने कथित तौर पर पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
प्रयागराजः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्रीमठ बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने अपने कथित सुसाइड नोट में कई खुलासे किया था। महंत नरेंद्र गिरि ने सोमवार को इलाहाबाद के बाघंबरी मठ में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।
खुद को फांसी लगाने से लगभग एक घंटे पहले अपने मोबाइल पर अपनी आत्महत्या का कारण बताते हुए खुद का 4 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियो में शामिल सुसाइड नोट से मेल खाता है। नरेंद्र गिरि के करीबी लोगों ने पुलिस को बताया कि मोबाइल से वीडियो बनाना नहीं जानते थे।
हालांकि यह बात सामने आई है कि 19 सितंबर को अपने एक शिष्य सर्वेश द्विवेदी उर्फ बबलू से वीडियो बनाना सीखा था। सर्वेश महंत नरेंद्र गिरि के विश्वस्त शिष्य थे और मठ में उन्हें मुंशी जी कहा जाता था। पुलिस वीडियो की सत्यता को लेकर आगे की जांच कर रही है।
सुसाइट नोट में दावा किया जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि पढ़ लिखे नहीं थे। हालांकि हाईस्कूल का प्रमाणपत्र मिला है। नरेंद्र गिरि ने परीक्षा सेकंड डिवीजन से पास की थी। 1978 में परीक्षा दिया था। एक बैंक में नौकरी भी करते थे।
महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्रीमठ बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने अपने कथित सुसाइड नोट में अपने शिष्य आनंद गिरि, बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
सोशल मीडिया में जारी इस कथित सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है, “मैं बहुत दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी की होगी।” कथित सुसाइड नोट में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से इन तीन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है जिससे उनकी (महंत की) आत्मा को शांति मिल सके। महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि 13 सितंबर, 2021 को ही उन्होंने आत्महत्या करने का मन बनाया था, लेकिन वह हिम्मत नहीं कर पाये थे।
उन्होंने लिखा है, “आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर उसे वायरल कर देगा, तो मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा। एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। मैं जिस पद पर हूं वह गरिमामयी पद है।”
कथित सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है, “सच्चाई तो बाद में पता चलेगी, लेकिन मैं बदनाम हो जाऊंगा। इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। आनंद गिरि का कहना है कि महाराज यानी मैं, कहां तक सफाई देते रहोगे। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो इस समाज में मैं कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ठीक है।”
इस कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है, “ (मैं) 25 लाख रुपये आदित्य मिश्रा से और 25 लाख रुपये शैलेंद्र सिंह से रीयल एस्टेट के संबंध में मांगता हूं। जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर असत्य, मिथ्या और मनगढ़ंत आरोप लगाया, तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं। एकांत में रहता हूं तो मर जाने की इच्छा होती है।”
कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है, “प्रिय बलवीर गिरि, मठ मंदिर की व्यवस्था जिस प्रकार मैंने की है, उसी प्रकार करना और आशुतोष गिरि एवं अन्य महात्मा बलवीर का उसी प्रकार सहयोग करना। परम पूज्य महंत हरि गोविंद पुरी से निवेदन है कि मढ़ी का महंत बलवीर गिरि को बनाना। महंत रवींद्र पुरी जी आपने हमेशा साथ दिया, मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान रखियेगा।”
इसमें महंत नरेंद्र गिरि ने कथित तौर पर लिखा है, “बलवीर गिरि मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास दी जाए। यही मेरी अंतिम इच्छा है। धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाबी बलवीर गिरि महाराज को दे देना।” इसमें वसीयतनामा का जिक्र करते हुए महंत नरेंद्र गिरि ने कथित तौर पर लिखा है, “प्रिय बलवीर गिरि, मैंने तुम्हारे नाम एक रजिस्ट्री वसीयत की है जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनोगे।”
(इनपुट एजेंसी)