विकास दुबेः महाकाल मंदिर प्रांगण में सरेंडर या पकड़ा गया? घटनाक्रम से सभी स्तब्ध, जानिए हर अपडेट
By बृजेश परमार | Published: July 9, 2020 05:27 PM2020-07-09T17:27:35+5:302020-07-09T17:27:35+5:30
विकास ने महाकाल दर्शन किए। सुबह की आरती में शामिल हुआ। उसके बाद वह सप्तऋषि मंदिर के पीछे था कि उसे सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ा। इसके बाद पहुंचे पुलिस कर्मचारियों ने उसे दबोचा और थाने ले गए, जहाँ से अज्ञात स्थान पर ले जाया गया और फिर न्यायालय में पेश किया गया।
उज्जैनः उत्तर प्रदेश में 8 पुलिस कर्मचारियों की हत्या करने वाला दुर्दांत गैंगस्टर विकास दुबे ने आज बड़े ही नाटकीय ढंग से महाकाल मंदिर परिसर में समर्पण किया है।
विकास ने महाकाल दर्शन किए। सुबह की आरती में शामिल हुआ। उसके बाद वह सप्तऋषि मंदिर के पीछे था कि उसे सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ा। इसके बाद पहुंचे पुलिस कर्मचारियों ने उसे दबोचा और थाने ले गए, जहाँ से अज्ञात स्थान पर ले जाया गया और फिर न्यायालय में पेश किया गया।
एक डीएसपी सहित 8 पुलिस कर्मचारियों को अपनी गैंग के सदस्यों के साथ घेर कर गोली मारने वाले विकास दुबे गुरुवार सुबह उज्जैन में पकड़ा गया। उसका पकड़ा जाना बड़े ही नाटकीय अंदाज का रहा है। महाकाल मंदिर में उसने पहुंचकर वीआईपी टिकट खरीदे थे। तीन टिकट खरीदने के दौरान उसने अपना नाम विकास दुबे ही बताया था।
इसके बाद पुलिस और सुरक्षाकर्मियों के साथ ही सामान्य रूप से दर्शनार्थी की तरह मंदिर में प्रवेश किया। यहाँ से मंदिर में नंदी गृह के पीछे बेरिकेड्स से उसने अपने दो अन्य साथियों के साथ जो कि अभिभाषक बताए जा रहे हैं, भगवान के दर्शन किए। यही नहीं प्रत्यक्षदर्शी दर्शनार्थियों के अनुसार विकास ने भगवान की दद्योदक आरती का वीडियो भी अपने मोबाइल में बनाया था। उज्जैन की ही निवासी महिला दर्शनार्थियों ने उससे आरती का वीडियो भी मांगा था।
मंदिर से बाहर आकर विकास सप्तऋषि मंदिर की ओर चला गया था
बाद में मंदिर से बाहर आकर विकास सप्तऋषि मंदिर की ओर चला गया था। प्रत्यक्षदर्शी श्रद्धालु सागर के अनुसार यहीं पर उसे सुरक्षाकर्मियों ने आकर दबोचा और फिर इस दौरान पुलिस को बुलाया गया। दबोचे जाने के दौरान उसने दो-तीन बार चिल्लाया कि मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूँ। कुछ देर में ही महाकाल थाना चौकी पुलिस और थाने की पुलिस आ गई।
यहाँ से उसे महाकाल थाने ले जाया गया। बाद में विकास को पुलिस की जीप में पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। जहाँ पर विकास से तमाम खुफिया एजेंसी और उज्जैन पुलिस के आला अधिकारी पूछताछ में लगे हुए हैं। म.प्र. पुलिस ने विकास के पकड़े जाने की सूचना उत्तर प्रदेश पुलिस को दी थी।
इसके बाद उज्जैन के आला अधिकारियों से उत्तरप्रदेश के पुलिस अधिकारियों का संपर्क हुआ था और दोपहर में हवाई मार्ग से उत्तर प्रदेश पुलिस के उज्जैन पहुंचने की सूचना सामने आ रही थी। अपराह्न के समय विकास को उज्जैन न्यायालय में पेश किया गया। उज्जैन पुलिस की गिरफ्तारी होने से उत्तर प्रदेश पुलिस ने कोर्ट से ट्रांजिस्ट रिमांड पर उसे मांगा, जिस पर न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस को विकास को सौंपा है।
श्रद्धालु और कर्मचारी एकदम हुए घटनाक्रम से स्तब्ध
महाकाल मंदिर प्रांगण में दबोचे गए विकास दुबे ने सबसे पहले मंदिर के काउंटर के पास जाकर अपने साथ लाए हुए बैग को जूता स्टैंड के वहाँ रखने को लेकर मंदिर के कर्मचारी से बातचीत की थी। इस दौरान उसे कोई नहीं पहचान पाया था। इसके बाद उसने वीआईपी टिकट के लिए काउंटर और अन्य स्थान पर संपर्क किया था। वहाँ भी उसे कोई नहीं पहचान पाया था। मंदिर में प्रवेश के दौरान भी उसे कोई नहीं पहचान सका। जब उसे सप्तऋषि मंदिर के पास दबोचा गया और उसने कुछ देर चिल्लाया इसके बाद ही सबको समझ आया।
इस घटनाक्रम को कई श्रद्धालुओं ने भी देखा और मंदिर कर्मचारियों ने भी। मंदिर में प्रवेश के दौरान विकास के साथ उज्जैन के ऋषिनगर निवासी श्रद्धालु महिलाएं विकास से आगे-आगे ही दर्शन करने वालों में शामिल थीं। इसके बाद उन्होंने आरती दर्शन किए। इस दौरान भी विकास अपने तीन साथियों के साथ पीछे के बेरिकेड्स में सामान्य दर्शनार्थी की तरह खड़ा रहा। उसके साथ के युवकों ने आरती के वीडियो बनाए। इस वीडियो को मांगने के लिए महिलाओं ने सोचा था।
बाद में जब सोशल मीडिया पर विकास के पकड़े जाने के फोटो और वीडियो सामने आए तो इस संवादददाता को इन महिलाओं ने बताया कि उसने तो हमारे पीछे खड़े होकर ही दर्शन किए थे। बाहर की तरफ हम लोग आगे-पीछे ही निकले थे। इसी तरह एक अन्य श्रद्धालु सागर के अनुसार वे दर्शन करके जब बाहर प्रांगण में आए। इसके बाद सप्तऋषि मंदिर की तरफ गए तो वहाँ उन्होंने देखा कि एक युवक को सुरक्षाकर्मी पकड़ कर खड़े हैं। कुछ पुलिस जवान आए और फिर सुरक्षाकर्मी और पुलिस जवान युवक को लेकर बाहर की ओर रवाना हो गए। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी के अनुसार जूता स्टैंड पर पहुंचने के दौरान भी विकास ने अपना नाम बताया था और कानपुर भी कहा था।
महाकाल मंदिर के पिछले गेट के वहीं पर स्थित काउंटर से विकास ने टिकट खरीदे थे। काउंटर कर्मचारी गोपाल सिंह कुशवाह ने उसका नाम पूछा था। कुशवाह के मुताबिक विकास के साथ 2-3 लोग और थे। ये सभी दूर खड़े हुए थे। टिकट विकास ने ही लिया था और बैग रखने का भी उसे ने पूछा था। नाम, पता उसने सही बताया था। तात्कालिक रूप से उसे नहीं पहचान पाया था।
महाकाल में लगी एसआईएस सुरक्षा कंपनी के कर्मचारी लखन यादव का कहना था कि पहले विकास ने पीछे के गेट से अंदर आने की कोशिश की थी। फिर उसके बाद वह अगले गेट से आया। उसके साथ के शेष २-३ लोग शुरुआत में ही सीसीटीवी पर नजर आए थे। उसके बाद विकास को टेली किया गया। बाद में 8 लोगों की टीम ने उसे दबोचा। उससे पहले पुलिस और चौकी पुलिस को सूचित कर दिया गया था। पुलिस ने आकर उसे अपने कब्जे में ले लिया।
मंदिर के चौकी प्रभारी सहित थाना प्रभारी और दस का एक दिन पूर्व ही तबादला
गुरुवार को महाकाल मंदिर परिसर से दुर्दांत अपराधी विकास दुबे पकड़ा गया। इसके एक दिन पूर्व ही उज्जैन पुलिस अधीक्षक ने मंदिर के चौकी सहित महाकाल थाना प्रभारी और एक प्रशिक्षु डीएसपी की पोस्टिंग और तबादले किए हैं। जारी आदेश के मुताबिक प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक, निरीक्षक, उपनिरीक्षकों को आगामी आदेश पर्यंत अस्थायी रूप से प्रशासकीय दृष्टि से कार्य हेतु लगाया गया। आदेश के अनुसार परीविक्षाधीन उप पुलिस अधीक्षक संजय कोच्छा को चौकी पानबिहार से नगर पुलिस अधीक्षक कार्यालय माधवनगर (प्रशिक्षण हेतु संबद्ध) किया गया है।
निरीक्षक अरविंद सिंह तोमर को पुलिस लाइन से थाना प्रभारी महाकाल बनाया गया है। निरीक्षक प्रकाश वास्कले थाना महाकाल से थाना प्रभारी नीलगंगा बनाए गए हैं। निरीक्षक संजय मंडलोई को थाना जीवाजीगंज से थाना प्रभारी तराना बनाया गया है। निरीक्षक रविन्द्र बारिया को पुलिस लाइन से खाचरौद थाना प्रभारी के पद पर भेजा गया है।
उप निरीक्षक कैलाश प्रसाद शुक्ला को लाइन से चौकी प्रभारी पानबिहार थाना घट्टिया भेजा गया है। उप निरीक्षक राजेश यादव को पुलिस लाइन से चौकी प्रभारी महाकाल मंदिर चौकी भेजा गया है। निरीक्षक आशा सोलंकी को महाकाल मंदिर चौकी से प्रभारी महिला अपराध सेल बनाया गया है। निरीक्षक हेमसिंह वर्मा को पुलिस लाइन से प्रभारी जिला विशेष शाखा के पद पर भेजा गया है। उपनिरीक्षक अंकित बनौधा को पुलिस लाइन से प्रभारी सीएम हेल्पलाइन पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाया गया है।
2008 में डकैत जगजीवन परिहार ने की थी भस्मारती
महाकाल मंदिर परिसर से पहली बार अपराधी पकड़े गए हो, ऐसा नहीं है। इससे पूर्व भी उत्तर प्रदेश के कुछ अपराधी पकड़े जा चुके हैं। यही नहीं मध्यप्रदेश का नामी डकैत जगजीवन परिहार भी भगवान महाकाल का अनन्य भक्त था। 2008में राखी के आसपास ढाई लाख का इनामी बदमाश उज्जैन पुलिस लाइन में रहने वाली बहन से राखी बंधाने आया था। उसने इस दरमियान भगवान श्री महाकालेश्वर की भस्मारती के दर्शन भी किए थे और आरती में पूरे समय खुले मुंह बैठा रहा था।
उसके दर्शन कर चले जाने के दो दिन बाद मामला मीडिया में सुर्खियों में आने पर पुलिस सक्रिय हुई थी। बाद में सांप निकल जाने और लाठी पीटे जाने की तर्ज पर पुलिस ने जगजीवन परिहार के वाहन चालक जीजा को उठाया था और उससे पूछताछ हुई थी। यहाँ तक कि उसकी बहन से भी पूछताछ की गई थी, जिसमें यह तथ्य सामने आया था कि जगजीवन उज्जैन आकर यहाँ पर करीब सात दिन तक रुका था।