नरसिंहपुर का मामलाः थाने में युवक को जहर देने का आरोप, आयोग ने मांगा जवाब
By शिवअनुराग पटैरया | Published: July 10, 2020 06:01 PM2020-07-10T18:01:36+5:302020-07-10T18:02:02+5:30
एसडीओपी अर्जुन उइके का कहना है कि युवक ने घर में चूहामार दवा खाने का प्रयास किया, पर उसे परिजनों ने देख लिया. इस मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, नरसिंहपुर से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.
भोपालः नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में पूछताछ के लिये ठेमी पुलिस थाना लाए गए युवक महेन्द्र सेन को जहर खिलाने का आरोप लगने के बाद टीआई सहित तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया है. मामले की जांच एसडीओपी कर रहे हैं.
इस मामले को लेकर मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर से जवाब मांगा है. युवक के पिता विशाल सेन ने मानव अधिकार आयोग के समक्ष आरोप लगाया कि बीते मंगलवार को सुबह 11 बजे आरक्षक पंकज राजपूत, महेन्द्र को पूछताछ के लिए थाने लेकर गया था.
इसके बाद उसे जहर खिलाकर शाम के समय छोड़ दिया, रास्ते में वह गिर पड़ा. उसे जबलपुर में भर्ती कराया गया है. एसडीओपी अर्जुन उइके का कहना है कि युवक ने घर में चूहामार दवा खाने का प्रयास किया, पर उसे परिजनों ने देख लिया. इस मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, नरसिंहपुर से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है.
कोरोना ड्यूटी करने वाले डाक्टर और स्टाफ को दो महीने से नहीं मिला वेतन:
राजधानी भोपाल में जान जोखिम में डालकर कोरोना ड्यूटी करने वाले डाक्टर और नर्स समेत अन्य मेडिकल स्टाफ को दो महीने से वेतन नहीं मिला है. ये स्थिति तब है, जब सुप्रीम कोर्ट सभी राज्यों के मुख्य सचिव को कोरोना ड्यूटी कर रहे डाक्टर और स्टाफ को तय समय पर वेतन देने के आदेश दे चुका है.
बावजूद इसके राजधानी समेत प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में ड्यूटी कर रहे डाक्टर्स और स्टाफ को वेतन नहीं मिल रहा है. मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डा. राकेश मालवीय का कहना है कि दो महीने से कोरोना ड्यूटी कर रहे डाक्टर्स को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है.
सेंट्रल मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बताई है. इस मामले में आयोग ने मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, मंत्रालय तथा कलेक्टर, भोपाल से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है. साथ ही यह भी पूछा है कि निर्धारित समय में डाक्टर और स्टाफ को क्यों वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है?