लखनऊ में एनकाउंटर में मारा गया शूटर गिरधारी, पुलिस गिरफ्त से भागने की कर रहा था कोशिश
By विनीत कुमार | Published: February 15, 2021 08:30 AM2021-02-15T08:30:33+5:302021-02-15T17:41:57+5:30
गिरधारी ने दिल्ली में सरेंडर किया था। इसके बाद वह यूपी पुलिस की हिरासत में था। पुलिस के अनुसार सोमवार तड़के उसने पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसी दौरान जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।
लखनऊ पुलिस ने एक एनकाउंटर में अजीत सिंह हत्याकांड में शामिल रहे मुख्य आरोपी शूटर गिरधारी विश्वकर्मा को मार गिराया है। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश के दौरान गिरधारी सोमवार सुबह मारा गया। ये एनकाउंटरलखनऊ के विभूति खंड में हुआ।
दिलचस्प ये है कि गिरधारी ने दिल्ली में आत्मसमर्पण किया था और अब 'विकास दुबे' स्टाइल में ही उसका एनकाउंटर हुआ है। दिल्ली में सरेंडर के बाद पुलिस गिरधारी को लखनऊ ले आई थी। कोर्ट से इजाजत के बाद गिरधारी 13 से 16 फरवरी तक के लिए पुलिस की कस्टडी रिमांड पर था।
बहरहाल, रविवार रात पुलिस अजीत सिंह की हत्या में इस्तेमाल हथियारों की बरामदगी के लिए गिरधारी को विभूति खंड लेकर गई थी।
पुलिस के मुताबिक इसी दौरान गिरधारी ने गाड़ी से उतरने के दौरान भागने की कोशिश की। उसने सब इंस्पेक्टर अख्तर उस्मानी की पिस्टल छीन ली और भागने लगा। इसके बाद पुलिस ने उसका पीछा किया और सरेंडर करने को कहा।
खुद को घिरा हुआ देख गिरधारी फायरिंग करने लगा, इस दौरान पुलिस की ओर से जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया। गोली लगने के बाद गिरधारी को पास में लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
लखनऊ का अजीत सिंह हत्याकांड
जनवरी माह में मऊ जिले के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि और हिस्ट्री शीटर अजीत सिंह की राजधानी लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अजीत सिंह आजमगढ़ जिले के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू हत्याकांड में गवाह था।
अजीत सिंह की हत्या विभूति खंड के कठौता चौराहे पर की गई थी। इसके बाद घायल अजीत और उसके एक साथी को लोहिया अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां डॉक्टरों ने अजीत को मृत घोषित कर दिया था। इस हत्याकांड के पीछ गैंगवार को मुख्य वजह बताई जा रही थी।।।
इसके बाद से पुलिस लगातार आरोपियों की तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही है। गिरधारी के सरेंडर के बाद पिछले ही हफ्ते कोर्ट ने 12 फरवरी को उसे पुलिस की हिरासत में तीन दिनों के लिए सौंपने का आदेश दिया था।
पुलिस का तर्क था कि अभियुक्त से घटना में इस्तेमाल की गई पिस्तौल, स्कूटी व मोबाइल की बरामदगी करानी है, इस घटना के लिए धन मुहैया कराने वालों का नाम, पता व उनके खातों का विवरण प्राप्त करना है, अभियुक्त से घटना के बाद छिपने की जगह आदि की जानकारी भी करनी है, लिहाजा उसकी 10 दिन के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की जाए। अदालत ने इस मामले का संज्ञान लेकर तीन दिन की पुलिस हिरासत मंजूर कर ली।