कठुआ गैंगरेप: 8 अभियुक्तों के खिलाफ आज शुरू होगी सुनवाई, निष्पक्षता के लिए सिख वकील नियुक्त
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 16, 2018 07:33 AM2018-04-16T07:33:56+5:302018-04-16T09:10:16+5:30
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक आठ वर्षीय बच्ची का पहले अपहरण किया गया और उसके बाद कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार करने के बाद पत्थर पर पटककर उसकी हत्या कर दी गयी। इस जघन्य मामले ने न केवल जम्मू-कश्मीर पूरे देश को झकझोर दिया।
जम्मू, 16 अप्रैल: कठुआ में हुए आठ साल की बच्ची से बलात्कार मामले के आठ आरोपियों के खिलाफ सुनवाई सोमवार को शुरू होगी। आरोप है कि अभियुक्तों ने बच्ची को 10 जनवरी को अगवा किया और उसे एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा। बच्ची को नशीला पदार्थ देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी। आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल है जिसके खिलाफ एक पृथक आरोपपत्र दायर किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि कठुआ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानून के अनुसार एक आरोपपत्र को सुनवाई के लिए सत्र अदालत के पास भेजेंगे जिसमें सात लोग नामजद हैं। हालांकि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नाबालिग के खिलाफ सुनवाई करेंगे क्योंकि किशोर कानून के तहत यह विशेष अदालत है। जम्मू कश्मीर सरकार ने इस संवेदनशील मामले में सुनवाई के लिए दो विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की है और दोनों ही सिख हैं। इसे इस मामले में हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण को देखते हुए 'तटस्थता' सुनिश्चित करने का प्रयास माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अप्रैल को जम्मू बार एसोसिएशन तथा कठुआ बार एसोसिएशन को आड़े हाथ लिये जाने के बाद अब सुनवाई सुचारू ढंग से चलने की उम्मीद है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में कुछ वकीलों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने जम्मू उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की भी आलोचना की थी जिसने प्रस्ताव पारित करके अदालती कार्यवाही में शामिल नहीं होने को कहा था। अपराध शाखा द्वारा दायर आरोपपत्रों के अनुसार , बकरवाल समुदाय की लड़की का अपहरण , बलात्कार और हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी ताकि इस अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को इलाके से हटाया जा सके। इसमें कठुआ के एक छोटे गांव के एक मंदिर के रखरखाव करने वाले को इस अपराध का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।
सांजी राम ने कथित रूप से विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा , मित्र प्रवेश कुमार उर्फ मन्नु , राम के भतीजे एक नाबालिग और उसके बेटे विशाल उर्फ 'शम्मा' के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया।आरोपपत्र में जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल तिलक राज और उपनिरीक्षक आनंद दत्ता को भी नामजद किया गया है जिन्होंने राम से चार लाख रुपये कथित रूप से लेकर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किये। आठों आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। अपराध शाखा जम्मू बार एसोसिएशन और कठुआ बार एसोसिएशन को उच्चतम न्यायालय के सामने 19 अप्रैल को पेश होने के लिए जारी नोटिस सौंपेंगी।
कठुआ गैंगरेप केस की पूरी टाइम लाइनः-
- 10 जनवरी को साजिश के तहत नाबालिग ने मासूम बच्ची को घोड़ा ढूंढने में मदद की बात कही। वह उसे जंगल की तरफ ले गया। बाद में बच्ची भागने की कोशिश की लेकिन आरोपियों ने उसे धर दबोचा। इसके बाद उसे नशीली दवाएं देकर उसे एक देवी स्थान के ले गए, जहां रेप किया।
- 11 जनवरी को नाबालिग ने अपने दोस्त विशाल को कहा कि अगर वह मजे लूटना जाता है तो आ जाए। परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की। देवीस्थान भी गए लेकिन वहां उन्हें संजी राम ने झांसा दे दिया। दोपहर में दीपक खजुरिया और नाबालिग ने मासूम को फिर नशीली दवाएं दीं।
- 12 जवनरी को मासूम को फिर नशीली दवाएं देकर रेप। पुलिस की जांच शुरू। दीपक खजुरिया खुद जांच टीम में शामिल था जो संजी राम के घर पहुंचा। राम ने उसे रिश्वत की पेशकश की। हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज ने कहा कि वह सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को रिश्वत दे। तिलक राज ने 1। 5 लाख रुपये रिश्वत दिए।
- 13 जनवरी को विशाल, संजी राम और नाबालिग ने देवी स्थान पर पूजा-अर्चना की। इसके बाद लड़की के साथ रेप किया और उसे फिर नशीली दवाएं दीं। इसके बाद बच्ची को मारने के लिए वे एक पुलिया पर ले गए। यहां पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने कहा कि वह कुछ देर और रुक जाएं क्योंकि वह पहले रेप करना चाहता है। इसके बाद उसका गला घोंटकर मार दिा गया।
- 15 जनवरी को आरोपियों ने मासूम के शरीर को जंगल में फेंक दिया।
- 17 जनवरी को जंगल से मासूम बच्ची का शव बरामद।
- शव का पता चलने के करीब हफ्ते भर बाद 23 जनवरी के सरकार ने यह मामला अपराध शाखा को सौंपा जिसने एसआईटी गठित की।
- 10 अप्रैल को इस मामले में एसआईटी ने अपनी 12 पेज की चार्जशीट दाखिल की। जिसमें कठुआ बार एसोसिएशन के वकीलों ने हंगामा किया।
- 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए बार एसोसिएशन को नोटिस भेजा है।
(भाषा इनपुट के साथ )