खौफनाक: दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने की थी 2 साल पहले हत्या, परिवार को करता रहा गुमराह, जानिए कैसे पहुंचा जेल

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 2, 2023 02:38 PM2023-10-02T14:38:30+5:302023-10-02T14:44:34+5:30

दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल ने अपनी पूर्व महिला सहकर्मी की गला दबाकर हत्या कर दी और दो साल तक मृतका के परिजनों के साथ-साथ अपने विभाग को गुमराह करता रहा।

Head Constable of Delhi Police killed her 2 years ago, misled the family, know how he went to jail | खौफनाक: दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने की थी 2 साल पहले हत्या, परिवार को करता रहा गुमराह, जानिए कैसे पहुंचा जेल

फाइल फोटो

Highlightsदिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने 2 साल पहले अपनी पूर्व महिला सहकर्मी की गला दबाकर हत्या कीइस रहस्य पर से पर्दा उस वक्त उठा जब खुद दिल्ली पुलिस ने हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा को गिरफ्तार कियाहेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा शादीशुदा होने के बावजूद मृतका मोना यादव से शादी करना चाहता था

नई दिल्ली: पुलिस का दायित्व होता है कि वो समाज को अपराध मुक्त रखे, लेकिन कभी-कभी कुछ पुलिसवाले ही ऐसा कृत्य करते हैं कि जिससे पूरा पुलिस विभाग बदनाम हो जाता है। जी हां, ऐसा ही एक वाकया दिल्ली पुलिस के साथ उस वक्त जुड़ गया, जब एक हेड कांस्टेबल ने अपनी पूर्व महिला सहकर्मी की हत्या कर दी और दो साल तक अपने विभाग और पूरे समाज को गुमराह करता रहा।

समाचार वेबसाइट एनडीटीवी के अनुसार इस रहस्य पर से पर्दा उस वक्त उठा, जब खुद दिल्ली पुलिस ने अपने हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा को साल 2021 में अपने पूर्व सहकर्मी मोना यादव की हत्या के आरोप में बीते रविवार को गिरफ्तार किया।

कल्त के आरोपी हेड कांस्टेबल राणा पर आरोप है कि उनसे दो साल पहले उसने कथित तौर पर मोना यादव की गला दबाकर हत्या कर दी थी और उसके बाद उसका शव नहर में फेंक दिया था। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अगर मृतका मोना यादव के परिवार और खासतौर पर उसकी बड़ी बहन ने कड़ा संघर्ष किया और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और मोना यादव के हत्यारे सुरेंद्र राणा को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा।

मामले में मोना की बड़ी बहन ने बताया कि बहन के हत्यारे को जेल पहुंचाने के लिए वो एक नहीं कई बार दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के कार्यालय में गईं और वहां रोई। तब जाकर पुलिस अधिकारी ने आदेश जारी किया और फिर महकमे ने अपने ही अधिकारी को हत्या के आरोप में जेल भेजा।

पहचान न जाहिर करने की शर्त पर मृतका मोना यादव की बड़ी बहन ने कहा कि वे मूलतः उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से हैं। उन्होंने बताया कि वो तीन बहनें थीं। जिसमें मोना सबसे छोटी थी। उनके पिता यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे। जिनकी साल 2011 में गोली लगने से मौत हो गई थी।

उन्होंने कहा, "सभी बहनों में मोना सबसे अच्छी छात्रा थी। हमारे पिता चाहते थे कि मोना एक आईएएस अधिकारी बने और उनकी मृत्यु के बाद हम बहनों ने तय किया कि पिता के सपने को साकार करेंगे और मोना को आईएसएस बनाएंगे।"

मृतका की बहन ने कहा, "साल 2014 में 27 साल की मोना को दिल्ली पुलिस में नौकरी मिल गई। कंट्रोल रूम में पोस्टिंग के दौरान उसकी मुलाकात हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा से हुई। हेड कांस्टेबल राणा पहले से शादीशुदा था लेकिन बावजूद वो मोना से शादी करना चाहता था और जब उसने राणा का प्रस्ताव ठुकरा दिया तो उसने कथित तौर पर साल 2021 में मोना की हत्या कर दी।"

इस संबंध में दिल्ली पुलिस ने बताया कि मोना की हत्या के आरोप में न केवल हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा बल्कि मामले को छुपाने में कथित तौर पर राणा की मदद करने के आरोप में उसके दो बहनोईयों को भी गिरफ्तार किया गया है।

मोना की बहन ने बताया कि राणा अक्सर उनके घर आता था और उन लोगों ने भी कभी उसके गलत इरादे का संदेह नहीं किया। साल 2020 में मोना को उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी मिल गई। इसके बाद वो मुखर्जी नगर में रहने लगी और सिविल सेवा की तैयारी करने लगी।"

उन्होंने कहा, "चूंकि सुरेंद्र उसकी देखभाल करता था। इसलिए हमें कभी उस पर शक नहीं हुआ फिर अचानक साल 2021 में मोना लापता हो गई। हमने सुरेंद्र से पूछा लेकिन उसने इस मामले में कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया। उसके बाद हमने अक्टूबर 2021 में मोना की गुमशुदगी की रिपोर्ट मुखर्जी नगर थाने में दर्ज कराई और उस वक्त सुरेंद्र भी हमारे साथ था।"

हेड कांस्टेबल सुरेंद्र ने मोना के परिवार को यह विश्वास दिलाया कि वो जीवित है और अपने अपराध को छुपाने के लिए उसने एक साजिश रची। उस ने अपने जीजा राबिन को अरविंद के नाम से से मोना के घर वालों को फोन करवाया और अरविंद ने कहा कि उसने और मोना ने शादी कर ली है, लेकिन वो छिपकर रहे हैं क्योंकि उसका परिवार मोना और उसकी शादी के विरोध में है।

मोना की बहन ने कहा, "हमें संदेह था क्योंकि मोना हमसे बात नहीं कर रही थी? वह एक शिक्षित महिला थी और हमने उसे कभी भी कुछ भी करने से नहीं रोका था।"

मोना के परिवार को अपने झूठ के जाल में फंसाने के लिए आरोपी सुरेंद्र ने एक महिला का कोविड टीकाकरण मोना के नाम पर कराया। उसके बाद से मोना की बहन को सुरेंद्र पर शक हुआ, लेकिन उनके पास सुरेंद्र के खिलफ कोई सबूत नहीं था। जब वो मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन में बात करने पहुंची तो पुलिस वालों ने कहा कि वो भाग गई है। पूरा परिवार बिखर गया था लेकिन मोना की बहन ने उम्मीद नहीं खोई।

मामले में एफआईआर दर्ज हुई गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने के आठ महीने के बाद लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। करीब दो महीने पहले मोना की बहन ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से मुलाकात की थी और उनसे सारी बात बताई। पुलिस कमिश्नर अरोड़ा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए फौरन मामले की जांच मुखर्जी नगर थाने से क्राइम ब्रांच को सौंप दी। जिसने दो महीने के भीतर इस केस को सुलझा लिया और अपने ही डिपार्टमेंट के हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा को मोना यादव की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

अब मोना की बहन को इतजार है कि दिल्ली पुलिस सुरेंद्र राणा समेत सभी आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाये। इसके साथ ही उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से माग की है कि वो मोना के अवशेष बरामद करें ताकि परिवार मोना का अंतिम संस्कार कर सके।

Web Title: Head Constable of Delhi Police killed her 2 years ago, misled the family, know how he went to jail

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