हाथरस में सामूहिक बलात्कारः उच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी, देर रात शव जलाया जाना लड़की और परिवार के मानवाधिकारों का हनन
By भाषा | Published: October 13, 2020 09:41 PM2020-10-13T21:41:22+5:302020-10-13T21:44:19+5:30
उच्च न्यायालय ने सोमवार को हाथरस मामले के पीड़ित परिवार और राज्य सरकार के अधिकारियों की सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे मंगलवार को जारी किया गया।
लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई लड़की का शव प्रशासन द्वारा देर रात जलाए जाने की घटना को लड़की और उसके परिवार के लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन करार देते हुए इसकी जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं।
पीठ ने सरकार को हाथरस जैसे मामलों में शवों के अंतिम संस्कार के सिलसिले में नियम तय करने के निर्देश भी दिए हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत ने राज्य सरकार के अधिकारियों, राजनीतिक पार्टियों तथा अन्य पक्षों को इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई भी बयान देने से परहेज करने को कहा है। न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से अपेक्षा की कि वे इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने और परिचर्चा करते वक्त बेहद एहतियात बरतेंगे।
State admn is directed to ensure security of family of the victim so that no harm is caused to them. Inquiry/investigation being carried on, either by SIT or any other agency, be kept in full confidentially & no report is leaked in public: Lucknow Bench of Allahabad HC. #Hathras
— ANI UP (@ANINewsUP) October 13, 2020
उच्च न्यायालय ने सोमवार को हाथरस मामले के पीड़ित परिवार और राज्य सरकार के अधिकारियों की सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे मंगलवार को जारी किया गया। गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली 19 वर्षीय दलित लड़की से चार युवकों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था।
उसके बाद 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान लड़की की मौत हो गई थी। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को पीड़ित परिवार को अदालत में हाजिर होने को कहा था। इसके अलावा गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को भी तलब कर मामले की सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Action of state authorities, in name of law & order situation, is prima facie an infringement upon human rights of victim & her family. She was entitled to decent cremation in accordance with her religious customs which essentially are to be performed by her family: Allahabad HC
— ANI UP (@ANINewsUP) October 13, 2020