प्रधानमंत्री की तरफ से बेटियों को मिलेंगे हर साल 2 लाख!, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नाम बंट रहा है फेक फॉर्म
By सैयद मोबीन | Published: August 6, 2019 06:34 PM2019-08-06T18:34:22+5:302019-08-06T18:34:22+5:30
नागरिकों को इस फेक फॉर्म के भरने और मिनिस्ट्री में पोस्ट करने के पीछे अपना कीमती समय और पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि यह फॉर्म लेकर कोई आता है तो उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर लिखवानी चाहिए ताकि इस तरह के फ्रॉड को बढ़ावा देने से बचाया जा सके.
गवर्नमेंट स्कीम का लाभ चाहे लाभार्थियों को मिले न मिले लेकिन इससे पहले ही दलालों की कमाई जरूर शुरू हो जाती है. अपनी दुकानदारी चलाने के लिए वे नए-नए हथकंडे अपनाते रहते हैं. इसी कड़ी में एक फॉर्म सर्कुलेट किया जा रहा है.
इसमें बताया जा रहा है कि 8 से 32 साल की हर बेटी को प्रधानमंत्री की ओर से 2 लाख रुपए मिलेंगे. पहले तो फॉर्म की जेराक्स कॉपी के लिए ही 5 रुपए वसूले जा रहे हैं और फॉर्म भरकर मंत्रालय में पोस्ट करवाने के लिए 200 से 500 रुपए लिए जा रहे हैं. मेट्रो एक्सप्रेस ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि ये फॉर्म पूरी तरह फेक है. वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के तहत ऐसी कोई स्कीम ही नहीं है. इससे सिर्फ दलालों की जेब भर रही है.
सारी पर्सनल डिटेल्स भरनी है फॉर्म में
फॉर्म में लिखा है कि 8 से 32 साल की हर बेटी को प्रधानमंत्री की ओर से 2 लाख रुपए दिए जाने वाले हैं. यह स्कीम शहर और ग्रामीण दोनों के लिए है. फॉर्म में नाम, पता, वार्षिक आमदनी, जन्मतिथि, शैक्षणिक योग्यता, आधार कार्ड नंबर, पता, ई-मेल आईडी, रिलीजन, कास्ट, बैंक अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड की जानकारी देनी है. इस पर ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर और मुहर के लिए भी कॉलम छोड़ा गया है.
समय और पैसा न करें बर्बाद
नागरिकों को इस फेक फॉर्म के भरने और मिनिस्ट्री में पोस्ट करने के पीछे अपना कीमती समय और पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि यह फॉर्म लेकर कोई आता है तो उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर लिखवानी चाहिए ताकि इस तरह के फ्रॉड को बढ़ावा देने से बचाया जा सके.
इस फेक फॉर्म के सर्कुलेट होने का प्रमाण शहर की तुलना में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है क्योंकि ग्रामीणों को इस स्कीम के लालच में आसानी से कन्विस किया जा सकता है. फॉर्म में ग्राम प्रधान के हस्ताक्षर और मुहर भी जरूरी बताई गई है. ग्राम प्रधान भी बगैर किसी जांच पड़ताल किए हस्ताक्षर और मुहर लगा रहे हैं. इससे इस फ्रॉड को बढ़ावा मिल रहा है.
मिनिस्ट्री ने जारी किया नोटिफिकेशन
इस संदर्भ में सेंट्रल गवर्नमेंट की वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्ट्री ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. नोटिफिकेशन में बताया गया है कि इस तरह की कोई भी स्कीम मिनिस्ट्री की ओर से नहीं चलाई जा रही है. ये फॉर्म फेक है.
नोटिफिकेशन के मुताबिक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्कीम का मुख्य उद्देश्य पीसीपीएनडीटी एक्ट (कन्या भू्रण हत्या को रोकना) को सख्ती से लागू करना, गर्ल्स चाइल्ड के एजूकेशन को बढ़ावा देना और महिला सशक्तिकरण करना है. ये डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर) स्कीम नहीं है. इस पर स्टेट गवर्नमेंट, जिला प्रशासन द्वारा अमल किया जाता है. मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक इस तरह के फ्रॉड केसेस के मामले में कलेक्टर या वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट ऑफिसर से शिकायत की जा सकती है. उन्हें इस मामले में कार्रवाई करने का अधिकार है.
यूपी से हुई थी शुरुआत
मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक इस फॉर्म के सर्कुलेट होने की शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई थी. यूपी में इस संदर्भ में एफआईआर भी दर्ज करवाई गई और सीबीआई को भी इसकी जांच सौंपी गई है. इसके बाद हरियाना, उत्ताराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली में यह फॉर्म स्प्रेड हुआ.
बिहार, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल से भी भरे हुए फॉर्म मिनिस्ट्री तक पहुंचे. अब महाराष्ट्र में ये फॉर्म तेजी से स्प्रेड हो रहा है. सेंट्रल मिनिस्ट्री को स्पीड पोस्ट से ऐसे लाखों फॉर्म प्राप्त हुए हैं, जिन्हें बगैर किसी सूचना के डिस्ट्रॉय किया जा रहा है.