निर्भया के बाद भी 'भारत की बेटियां' असुरक्षित, हर 15 मिनट में एक रेप

By एसके गुप्ता | Published: March 21, 2020 07:41 AM2020-03-21T07:41:16+5:302020-03-21T07:41:16+5:30

इस साल रेप के देश में कुल 33,356 मामले दर्ज किए गए थे. बाकी मामलों में वषार्ें लगेंगे. यहां तक जिन 666 मामलों में दोषी करार दिया गया है, उनमें अंतिम शब्द लिखने में वर्षों लगेंगे.

Even after Nirbhaya, 'daughters of India' unprotected, one rape every 15 minutes | निर्भया के बाद भी 'भारत की बेटियां' असुरक्षित, हर 15 मिनट में एक रेप

निर्भया के बाद भी 'भारत की बेटियां' असुरक्षित

Highlightsवर्ष 2017 में मध्यप्रदेश में 4882 महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा रेप के मामले दर्ज किए गए थे.एनसीआरबी के मुताबिक वर्ष 2018 में कुल 33356 रेप के मामले दर्ज किए गए.

नई दिल्ली: देश में हर 15 मिनट में एक और एक दिन में 91.28 रेप हो रहे हैं. राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश देश का वह राज्य है जहां सबसे ज्यादा रेप के मामले होते हैं. मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान दूसरा, उत्तर प्रदेश तीसरा और महाराष्ट्र चौथा राज्य है जहां सबसे ज्यादा रेप के केस दर्ज हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 2012 के बाद रेप के मामलों में गिरावट आई है.

वर्ष 2012 में देश के अंदर 24923 महिलाओं के साथ रेप हुआ यानी हर एक घंटे में तीन रेप होते थे. इनमें से एक पीडि़ता निर्भया भी थी, जिसके साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा 32 फीसदी मामलों में दोष सिद्धि हुई और 5822 रेप अपराधियों को सजा सुनाई गई. वर्ष 2018 में रेप के 4708 मामलों में दोषी करार दिया गया. जिनमें से 666 मामले इस साल के ही थे.

इस साल रेप के देश में कुल 33,356 मामले दर्ज किए गए थे. बाकी मामलों में वषार्ें लगेंगे. यहां तक जिन 666 मामलों में दोषी करार दिया गया है, उनमें अंतिम शब्द लिखने में वर्षों लगेंगे. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2018 के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के साथ रेप के मामले में मध्यप्रदेश 5433 की संख्या के साथ एक बार फिर देश के सभी राज्यों से आगे है.

वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश में 4882 महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा रेप के मामले दर्ज किए गए थे. एनसीआरबी के मुताबिक वर्ष 2018 में कुल 33356 रेप के मामले दर्ज किए गए. वर्ष 2017 में 32559, वर्ष 2016 में 38947 और 2015 में 34651 रेप के मामले दर्ज किए गए. वर्ष 2014 में 36735 और वर्ष 2013 में 33707 रेप के मामले दर्ज हुए.

ये है वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना हमारे कानून में मृत्युदंड का प्रावधान तो है, लेकिन सीआरपीसी में यह प्रावधान भी होना चाहिए कि एक निश्चित समयावधि में दोषियों को मृत्युदंड दिया जाए. निर्भया केस में दोषियों ने कानून की इन्हीं खामियों का फायदा उठाया. जिसे दूर करने के लिए सरकार को चाहिए कि वह संसद में एक बिल लाए जिसमें मृत्युदंड मिले दोषियों को एक टाइमफ्रेमवर्क में फांसी पर चढ़ाया जाए. इस बिल में राष्ट्रपति को भी क्षमा याचिका पर विचार के लिए समय सीमा में बांधना जरूरी है. ये बात विशाल जोगदंड, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट ने कही है।

 निर्भया केस में दोषियों ने एक के बाद एक याचिका लगाकर और डेथ वारंट को बार-बार आगे बढ़वाकर न्याय व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए थे. चारों दोषियों ने एक ही अपराध में क्षमा के लिए अलग-अलग याचिका लगाई. कानून की इस कमी में संशोधन की जरूरत है. एक ही अपराध में लिप्त एक ही दोष के लिए कई आरोपी हों तो उन्हें एक ही निश्चित समय सीमा में क्षमा याचिका और पुनर्विचार याचिका के लिए अपील करने की इजाजत होनी चाहिए. जिससे जस्टिस को ज्यादा डीले न किया जा सके. इसमें जेल प्रशासन की भूल रही है. जिसके चलते पहला डेथ वारंट टालना पड़ा. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान में लिया है. ये मनीष पाठक, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है।   

न्याय की यह आधारभूत परिभाषा है कि बेशक 100 अपराधी छूट जाएं लेकिन किसी बेकसूर को सजा नहीं होनी चाहिए. इसलिए मृत्युदंड में न्यायालय अपराधी को अपनी बेगुनाही साबित करने का अंत तक समय देता है. बार-बार डेथ वारंट जारी होने में जेल प्रशासन की चूक बड़ी थी. जिससे दो अपराधियों को ही डेथ वारंट जारी हुआ और बाद में बाकी दो को हुआ. फिर चारों को हुआ. जेल प्रशासन या राज्य सरकार अगर चारों अपराधियों को एक निश्चित समय सीमा में याचिका लगाने का समय देती तो इससे उन्हें बहुत पहले ही सजा हो जाती और दोषियों के वकील को बार-बार आगे तारीख बढ़वाने का मौका नहीं मिलता. ये दीपक त्यागी, अधिवक्ता, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है। 

 पुलिस का कहना है कि दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि रेप के दर्ज मामलों के बाद उनकी पुलिसिया जांच और लैब टेस्ट के बाद उन्हें कोर्ट में भेजा जाता है. जिससे दोषी को सजा मिल सके और दोषी सबूत के अभाव में कानून के शिकंजे से बचकर न निकल सके. इसके अलावा न्यायालय की प्रक्रिया में समय लगता है. जिससे न्यायालय में भेजे गए सभी मामलों में एक साल के अंदर दोष सिद्घि नहीं हो पाती है. लेकिन, पुलिस की हमेशा यह पूरी कोशिश होती है कि पीडि़ता को त्वरित न्याय मिले.

निर्भया केस इसका उदाहरण है. पुलिस ने चारों अपराधियों को जल्द ही पकड़कर कोर्ट के समक्ष पेश किया था और उसके बाद चले ट्रायल में वह जल्द ही दोषी करार दिए गए थे और आज उन्हें फांसी हो गई. .......... बॉक्स : राज्यवार रेप के आंकड़े :

राज्य का नाम - 2018 (वर्ष) 1. मध्य प्रदेश - 5433 2. राजस्थान - 4335 3. उत्तर प्रदेश - 3946 4. महाराष्ट्र - 2142 5. छत्तीसगढ़ - 2,091 6. केरल - 1945 7. असम - 1648 8. दिल्ली - 1 215 9. हरियाणा -1296 10. झारखंड - 1090 11. पश्चिम बंगाल - 1069 ........ बॉक्स : देश में वर्ष 2015, 2016 और 2017 में महिलाओं के प्रति अपराध के राज्यवार आंकड़े : राज्य 2015 2016 2017 (वर्ष) उत्तर प्रदेश 35908 49262 56011 दिल्ली 17222 15310 13076 आंध्र प्रदेश 15967 16362 17909 अरु णाचल प्रदेश 384 367 337 असम 23365 20869 23082

बिहार 13904 13400 14711 छत्तीसगढ़ 5783 5947 7996 गोवा 392 371 369 गुजरात 7777 8532 8133 हरियाणा 9511 9839 11370 हिमाचल प्रदेश 1295 1222 1246 जम्मू कश्मीर 3366 2850 3129 झारखंड 6568 5453 5911 कर्नाटक 12775 14131 14078 केरल 9767 10034 11057 मध्य प्रदेश 24231 26604 29788 महाराष्ट्र 31216 31388 31979 मणिपुर 266 253 236 मेघालय 337 372 567 मिजोरम 158 120 301 नगालैंड 91 105 79 ओडिशा 17200 17837 20098 पंजाब 5340 5105 4620 राजस्थान 28224 27422 25993

सिक्किम 53 153 163 तमिलनाडु 5919 4463 5397 तेलंगाना 15425 15374 17521 त्रिुपरा 1267 1013 972 पश्चिम बंगाल 33318 32513 30992 उत्तराखंड 1465 1588 1944 अंडमान निकोबार 136 108 132 चंडीगढ़ 468 414 453 दादरा व नगर हवेली 25 28 20 दमन और दीव 29 41 26 लक्षद्वीप 9 9 6 पुड्डुचेरी 82 95 147 ------------------- --------- --------- -------- पूरे देश में कुल 329243 338954 359849

Web Title: Even after Nirbhaya, 'daughters of India' unprotected, one rape every 15 minutes

क्राइम अलर्ट से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे