बुल्ली बाई ऐप मामले में कोर्ट ने 'कच्ची उम्र' का हवाला देते हुए तीन आरोपियों को दी जमानत
By भाषा | Published: April 19, 2022 08:52 PM2022-04-19T20:52:01+5:302022-04-19T20:57:41+5:30
बुल्ली बाई ऐप मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को जमानत पर रिहा करते हुए उनके माता-पिताओं या अभिभावकों से कहा कि संभव हो तो वे अपने बच्चों को सोशल मीडिया पर व्यवहार सहित सामाजिक व्यवहार के मानकों की सीख देने के लिए ‘काउंसिलिंग’ करायें।
मुंबई: मुंबई की एक अदालत ने बुल्ली बाई ऐप मामले में आरोपी तीन छात्रों की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि आरोपियों की ‘कम उम्र और नासमझी’ के कारण अन्य आरोपियों द्वारा उनका दुरुपयोग करने की गहरी साजिश हो सकती है।
बांद्रा अदालत के मजिस्ट्रेट केसी राजपूत ने विशाल कुमार झा, श्वेता सिंह और मयंक अग्रवाल को 12 अप्रैल को जमानत मंजूर की थी, वहीं आरोपियों ओंकारेश्वर ठाकुर और नीरज सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इस मामले में विस्तृत आदेश मंगलवार को उपलब्ध कराया गया।
अदालत ने जमानत पर रिहा किये गये आरोपियों के माता-पिताओं या अभिभावकों से कहा कि संभव हो तो वे अपने बच्चों को सोशल मीडिया पर व्यवहार सहित सामाजिक व्यवहार के मानकों की सीख देने के लिए ‘काउंसिलिंग’ करायें।
इससे पहले मजिस्ट्रेट अदालत और सत्र अदालत ने इन सभी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। आरोपियों ने इस मामले में पुलिस के आरोप-पत्र दायर करने के बाद नयी याचिका दायर की थी।
अदालत ने कहा कि दस्तावेजों से यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आरोपी नीरज बिश्नोई, ओंकारेश्वर ठाकुर और नीरज सिंह मुख्य रूप से ऐप के निर्माण और अपलोडिंग तथा सूचना के प्रसार से जुड़े व्यक्ति हैं।
अदालत ने कहा कि आरोपी विशाल कुमार झा, श्वेता सिंह और मयंक अग्रवाल ने उन अभियुक्तों का अनुसरण किया और वे कुछ छोटी-मोटी गतिविधियों में शामिल थे।
अदालत ने कहा कि इस प्रकार विशाल झा, श्वेता और मयंक की भूमिका बिश्नोई, ठाकुर और नीरज सिंह की तुलना में ‘कम गंभीर’ प्रतीत होते हैं।
अदालत के अनुसार बिश्नोई, ठाकुर और नीरज उम्र की दृष्टि से परिपक्व थे और उनमें समझ भी थी। इसके बावजूद उन्होंने कम उम्र के तीन आरोपियों की अपरिपक्वता और नासमझी का दुरुपयोग किया।
अदालत ने कहा कि विशाल, श्वेता और मयंक की परीक्षाएं आने वाली हैं और यदि उन्हें जेल में रखा जाएगा तो इसका उनके भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसलिए इन तीनों पर लगे आरोपों और उनकी आयु को ध्यान में रखते हुए वे जमानत पर रिहा किये जाने के हकदार हैं, क्योंकि उनकी भूमिका ‘‘कम गंभीर है।’’