बेतियाः दो लड़कियों ने की शादी, सुरक्षा की गुहार, भेजा गया घर, कहा-एक-दूसरे के बगैर नहीं रह सकती
By एस पी सिन्हा | Published: September 9, 2020 04:02 PM2020-09-09T16:02:14+5:302020-09-09T16:10:51+5:30
अपने को पति-पत्नी बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाने लगीं. पंजाब के जालंधर कोर्ट में समलैंगिक शादी कर दो लड़कियां नगर के कालीबाग ओपी में पहुंच गईं. लड़कियों ने कहा कि दोनों ने पंजाब के जालंधर न्यायालय में समलैंगिक शादी की है.
पटनाः समलैंगिक विवाह का प्रचलन अब धीरे- धीरे छोटे शहरों में भी बढ़ने लगा है. ताजा मामला बिहार के पश्चिम चंपारण जिले (बेतिया) में सामने आई, जिसने सभी को चौंका दिया है. दरअसल लोग तब हैरान हो गये, जब नगर थाना में दो लड़की पहुंची और अपने आपको पति- पत्नी बताने लगी.
यहां तक कि अपने को पति-पत्नी बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाने लगीं. पंजाब के जालंधर कोर्ट में समलैंगिक शादी कर दो लड़कियां नगर के कालीबाग ओपी में पहुंच गईं. लड़कियों ने कहा कि दोनों ने पंजाब के जालंधर न्यायालय में समलैंगिक शादी की है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार दूल्हा-दुल्हन बनी दोनों लड़कियां पुलिस के समक्ष शादी से संबंधित कागजात भी प्रस्तुत कीं. दोनों ने कहा कि वे एक-दूसरे के बगैर नहीं रह सकती हैं. लेकिन उनके परिवार वाले इस रिश्ते को मानने से इन्कार कर रहे हैं. दूल्हा बनी नगमा रामनगर की निवासी है. जबकि दुल्हन इशरत बेतिया कालीबाग ओपी के एक मोहल्ले की रहने वाली है.
दोनों का परिवार जलंधर में रहता था. दोनों एक- दूसरे के पड़ोस में रहते थे. इसी दौरान दोनों में प्यार हुआ. जब इसकी भनक इशरत के परिजनों को लगी तो उन लोगों ने इशरत पर पाबंदी लगाई. आखिरकार दोनों घर से भाग गईं और बीते 23 जुलाई को जलंधर कोर्ट में शादी कर ली.
शादी करने के बाद इशरत जब अपने घर पहुंचीं तो परिजनों ने रखने से इंकार कर दिया. थानाध्यक्ष राकेश कुमार भाष्कर ने बताया कि नगमा व उसकी पत्नी बनी इशरत को रामनगर स्थित उसके घर पर पुलिस की सुरक्षा में भेज दिया है. नगमा के स्वजनों ने इशरत को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया है.
ऐसे में देखना होगा कि अब समलैंगिक विवाह करने वाले इस प्रेमी जोडे़ के प्यार की नाव कहां तक पहुंचती है? लिहाजा बेतिया जैसे छोटे से शहर में ऐसी घटना को देखकर पुलिस के साथ साथ आम लोग भी हैरान हैं और इस रिश्ते को गलत बता रहें हैं. यह अलग बात है कि कोर्ट ने इस तरह के संबंध को मान्यता दे दी है. लेकिन सामाजिक स्तर पर अभी भी समलैंगिंक विवाह करने वाले लोगों के लिए राह आसान नहीं है.