Bihar Hooch Tragedy: जहरीली शराब से मौत के बाद सियासी घमासान जारी, मंत्री चौधरी और सुनील ने दिए अलग-अलग बयान, मुआवजा पर रार
By एस पी सिन्हा | Updated: December 19, 2022 19:12 IST2022-12-19T19:11:18+5:302022-12-19T19:12:10+5:30
Bihar Hooch Tragedy: मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने अजब दलील देते हुए कहा है कि उत्पाद अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक दोषियों की संपत्ति को बेचकर पीड़ितों को मुआवजा देने की बात कही गई है।

बिहार में शराबबंदी कानून के तहत कैसे मुआवजा दिया जा सकता है।
पटनाः बिहार के सारण में जहरीली शराब से मौत के बाद सियासी घमासान मचा हुआ है। भाजपा एक ओर जहां मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग कर रही है, वहीं मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि शराब पीने से मौत मामले में कोइ मुआवजे का प्रावधान नहीं है। जबकि सरकार के दो मंत्रियों के अलग-अलग बयान सामने आये हैं।
इसमें मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने अजब दलील देते हुए कहा है कि उत्पाद अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक दोषियों की संपत्ति को बेचकर पीड़ितों को मुआवजा देने की बात कही गई है। जबकि वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि मुआवजा देने का प्रावधान है। मद्य निषेध मंत्री ने कहा कि गोपालगंज में उसी प्रावधान के तहत मुआवजा दिया गया था।
लेकिन फिलहाल सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी तक 38 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और मुआवजा इसलिए नहीं दी जा सकती, क्योंकि शराब पीना संज्ञेय अपराध में शामिल है। मंत्री ने कहा कि उत्पाद एक्ट में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि सरकार शराब पीकर मरने वालों को मुआवजा देगी।
जब बिहार में शराबबंदी कानून लागू हो रहा था, तब भाजपा समेत सभी दलों ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने सरकार की ओर से सफाई पेश करते हुए कहा कि छपरा में घटनाएं अधिक जरूर हुई हैं, लेकिन इस बात को भी देखने की जरूरत है कि बिहार में शराबबंदी कानून के तहत कैसे मुआवजा दिया जा सकता है।
वहीं संसदीय कार्य सह वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रुख साफ किया है। उन्होंने कहा कि शराब से होनेवाली मौतों को लेकर मुआवजे दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि जो कानून है, उसके अनुसार शराब से होनेवाली मौतों में शराब निर्माता और शराब बेचनेवालों से रिकवरी कर पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है।
विजय चौधरी ने कहा कि यहां हम अभी शराब बनाने और बेचनेवालों की पहचान करने की कार्रवाई की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद नियमानुसार पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार की नियति पड़ितों की मदद करनी नहीं होती तो 2016 में नीतीश कुमार द्वारा इसको लेकर कानून नहीं बनाया जाता।
आज जो लोग इस कानून का हवाला देकर मुआवजा की मांग रहे हैं, उनसे यह कहना चाहता हूं कि यह कानून हमारे तरफ से बनाया गया था और इसमें मुआवजा का प्रावधान है। लेकिन, उसी एक्ट में यह भी है कि पब्लिक डिमांड के तहत जैसे पब्लिक डिमांड की राशि रिकवरी की जाती है, उस तरीके से कार्रवाई की जाएगी।
यह तो साफ है कि इसी सरकार ने यह कानून बनाया था। इसके तहत काम किया जाएगा। अभी क़ानूनी प्रक्रिया चल रही है। जिस दिन यहां सप्लायर और और बेचने वाले जिस दिन मामलूम चल जायेंगे। उस दिन यह प्रक्रिया चालू हो जाएगी।