आग से खेल रहे हैं सरकारी अस्पताल, फायर ऑडिट की अनदेखी, एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 12, 2021 12:43 PM2021-01-12T12:43:28+5:302021-01-12T12:44:43+5:30

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले दिनों महाराष्ट्र के भंडारा जिले के एक अस्पताल में आग लगने से 10 शिशुओं की मौत की घटना को लेकर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.

Bhandara hospital fire Ten newborn babies die Government hospitals ignoring audit accusing each other Maharashtra | आग से खेल रहे हैं सरकारी अस्पताल, फायर ऑडिट की अनदेखी, एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप

फायर व इलेक्ट्रिक ऑडिट को लेकर प्रणाली की उदासीनता के चलते राज्यभर के सरकारी अस्पताल आग से खेल रहे हैं. (file photo)

Highlightsमानवाधिकार आयोग ने मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया.आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई, सात शिशुओं को बचा लिया गया था.

मुंबईः भंडारा जिला अस्पताल में हुए अग्निकांड के पीछे अग्निशमन उपकरणों की विफलता जिम्मेदार दिख रही है. राज्य के जिला सरकारी और महापालिका अस्पतालों में भी अग्निशमन उपकरणों की स्थिति अच्छी नहीं है.

प्रत्येक दो वर्षों में फायर ऑडिट होना अनिवार्य होता है, लेकिन कई अस्पतालों में चार-पांच वर्षों तक भी फायर ऑडिट नहीं होने की हकीकत 'लोकमत समाचार' के सामने आई है. फायर व इलेक्ट्रिक ऑडिट को लेकर प्रणाली की उदासीनता के चलते राज्यभर के सरकारी अस्पताल आग से खेल रहे हैं.

राज्य में महापालिका के कुछ अस्पतालों का फायर ऑडिट पिछले वर्ष के अंत में हुआ है, लेकिन पता चला है कि कई स्थानों के जिला सरकारी अस्पतालों द्वारा लोकनिर्माण विभाग को बताने के बावजूद फायर ऑडिट नहीं हुआ है.

गौरतलब है कि सरकार और महापालिका प्रशासन द्वारा लापरवाह अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करनी की आवश्यकता है, फिर भी उसकी अनदेखी की जाती है. हालात ये हैं कि कई अस्पतालों में आग बुझाने के उपकरण तो हैं, लेकिन उसके एक्सपायरी डेट की ओर कोई ध्यान नहीं देता. कर्मचारी और सुरक्षाकर्मियों का अग्निशमन का पूर्वाभ्यास भी नहीं होता. पुरानी इमारतों के अनेक जगहों पर बिजली की वायरिंग उखड़ी हुई है. कई महापालिकाओं के अस्पतालों में इलेक्ट्रिक ऑडिट भी नहीं हुए हैं.

मुंबई में सारे नियम ताक परः

मुंबई के अस्पताल फुल प्रूफ फायर ऑडिट के बिना शुरू हैं. मुंबई में राज्यभर से मरीज इलाज के लिए आते हैं. यहां के चुनिंदा अस्पतालों को छोड़ दिया जाए तो बहुतांश अस्पतालों में फायर ऑडिट से लेकर अग्निसुरक्षा के नियम ताक पर रखे गए हैं

मुंबई में 16 सामान्य अस्पताल, 5 विशेष अस्पताल, 3 प्रमुख अस्पताल, 175 औषधालय, 208 स्वास्थ्य केंद्र हैं.

2018 में 5 प्रमुख अस्पतालों और 204 औषधालयों के फायर ऑडिट हुए हैं.

इसके बाद 2019 और 2020 मेें ऑडिट का आदेश दिया गया था. हालांकि ,पालिका प्रशासन ने सभी अस्पतालों का ऑडिट होने का दावा किया है.

इलेक्ट्रिक ऑडिट कितने अस्पतालों का हो चुका है, यह जानकारी ही उपलब्ध नहीं है.

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