बैंक धोखाधड़ी: एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी, अन्य के ठिकानों पर छापेमारी, 787 करोड़ की धोखाधड़ी
By भाषा | Published: June 26, 2020 07:54 PM2020-06-26T19:54:10+5:302020-06-26T19:54:10+5:30
सीबीआई ने रतुल पुरी पर नकेल कसा है। 787 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। पुरी मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे हैं। यह मामला उनकी कंपनी मोजर बेयर सोलर लिमिटेड से जुड़ा है।
नई दिल्लीःसीबीआई ने 787 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में रतुल पुरी, उनके पिता और अन्य लोगों के कार्यालय तथा आवासीय परिसरों समेत सात स्थानों पर शुक्रवार को तलाशी ली।
यह मामला उनकी कंपनी मोजर बेयर सोलर लिमिटेड से जुड़ा है। रतुल पुरी मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे हैं। अधिकारियों ने बताया कि रतुल पुरी के पिता दीपक पुरी के कार्यालय और आवासीय परिसर पर भी तलाशी ली गई। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस कंपनी को दिए कर्ज में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को हुए कथित 787 करोड़ रुपये के नुकसान के संबंध में बृहस्पतिवार को मामला दर्ज किया था।
सीबीआई के प्रवक्ता आर. के. गौड़ ने कहा, ‘‘यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी ने पंजाब नेशनल बैंक नीत कंसोर्टियम से अलग-अलग तरीके से करीब 787.25 करोड़ रुपये की ठगी की। इस कंसोर्टियम में एसबीआई, एक्जिम बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पुरी और अन्य आरोपी निदेशकों के दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और अन्नूपुर (मध्यप्रदेश) में सात स्थानों पर छापेमारी शुरू की। तलाशी लेने वाली एजेंसी की टीम ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर एहतियाती कदम के तौर पर निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का इस्तेमाल किया।
बैंक धोखाधड़ी : सीबीआई ने सात स्थानों पर छापे मारे
सीबीआई ने 787 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में रतुल पुरी, उनके पिता और अन्य लोगों के कार्यालय तथा आवासीय परिसरों समेत सात स्थानों पर शुक्रवार को तलाशी ली। उन्होंने बताया कि रतुल पुरी के पिता दीपक पुरी के कार्यालय और आवासीय परिसर पर भी तलाशी ली गई।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस कंपनी को दिए कर्ज में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को हुए कथित 787 करोड़ रुपये के नुकसान के संबंध में बृहस्पतिवार को मामला दर्ज किया था। एजेंसी की तलाशी लेने वाली टीम ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर एहतियाती कदम के तौर पर निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का इस्तेमाल किया है।
न्यायालय ने यस बैंक, पीएमसी बैंक के ग्राहकों से अलग-अलग व्यवहार पर आरबीआई, केंद्र से जवाब मांगा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार से पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ओपरेटिव बैंक (पीएमसी) और यस बैंक के जमाकर्ताओं के साथ अलग अलग व्यवहार को लेकर सवाल उठाया है। न्यायालय ने पूछा है कि घोटाले से प्रभावित पीएमसी बैंक के ग्राहक यस बैंक के ग्राहकों के मुकाबले किस प्रकार से अलग हैं। उल्लेखनीय है कि यस बैंक के मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुये सरकार कदम उठाया और भारतीय स्टेट बैंक सहित कई निवेशकों में बैंक में पूंजी डाली।
अदालत ने पाया कि केंद्र सरकार की मार्च की अधिसूचना के मुताबिक यस बैंक को उबारने में केंद्रीय बैंक और सरकार की भूमिका काफी अहम रही। पहले यस बैंक लिमिटेड पुनर्गठन योजना 2020 लायी गयी और बाद में इसमें निवेश भी किया गया।
अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें रिजर्व बैंक को पीएमसी बैंक में रखी गई जमा की सुरक्षा और घटनाक्रम के बारे में वक्तव्य जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जमाकर्ताओं को उनकी राशि का ब्याज सहित पूरा भुगतान किया जाना चाहिये। न्यायमूर्ति राजीव शकधर को केन्द्र ने सूचित किया कि भारत सरकार ने घोटाले से प्रभावित यस बैंक में किसी तरह का निवेश नहीं किया।
सरकारी बैंक एसबीआई ने भी पुनर्गठन योजना मंजूर होने के बाद यस बैंक की शेयर पूंजी में निवेश किया
यहां तक कि सरकारी बैंक एसबीआई ने भी पुनर्गठन योजना मंजूर होने के बाद यस बैंक की शेयर पूंजी में निवेश किया है। केंद्र सरकार का यह जवाब अदालत के पिछले सवाल पर आया है जिसमें अदालत ने सरकार से पीएमसी बैंक को किसी तरह की मदद देने अथवा उसमें कोई कोष डालने के उसके इरादे के बारे में पूछा था, जैसा उसने कथित तौर पर यस बैंक के मामले में किया। इसके बाद अदालत ने बृहस्पतिवार को आदेश जारी किया जो शुक्रवार को उपलब्ध हुआ।
अदालत ने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थिति में रिजर्व बैंक हलफनामा दायर कर बताए कि यस बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए ‘जनहित’ में काम करने के लिए किसने उसे प्रेरणा दी और केंद्र सरकार यह बताए कि उसने इसके लिए पुनर्गठन योजना क्यों मंजूर की।’’ अदालत ने आरबीआई और केंद्र सरकार को अतिरिक्ति हलफनामा दायर कर उन दस्तावेजों को अदालत के संज्ञान में लाने के लिए कहा जो उसके यस बैंक को बचाने के निर्णय और पुनर्गठन योजना को मंजूर करने के कारणों की पुष्टि करें। अदालत ने दोनों को इसके लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। मामले पर अगली सुनवायी छह अगस्त को होगी।