आसरा शेल्टर होम कांडः जानें मनीषा दयाल का सफरनामा, एक मेडिकल छात्रा से कैसे बनी करोड़ों की मालकिन
By एस पी सिन्हा | Updated: August 13, 2018 18:49 IST2018-08-13T18:49:54+5:302018-08-13T18:49:54+5:30
इस घटना में गिरफ्तार हुई आसरा होम की कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल का पॉलिटिकल कनेक्शन सामने आने के कुछ देर पहले उनका फेसबुक एकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिया गया।

आसरा शेल्टर होम कांडः जानें मनीषा दयाल का सफरनामा, एक मेडिकल छात्रा से कैसे बनी करोड़ों की मालकिन
पटना, 13 अगस्त: बिहार के राजधानी पटना के राजीव नगर स्थित आसरा आश्रय गृह में दो युवतियों की मौत के बाद वहां की कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल काफी सुर्खियों में हैं। बताया जाता है कि मनीषा मेडिकल की पढाई करते-करते पटना की पेज थ्री पार्टियों का चेहरा बन गई फिर मेडिकल की पढाई छोड कर उसने एमबीए किया और फिर एनजीओ का काम शुरू किया। बताया जाता है कि इसके बाद मनीषा दयाल उर्फ मिलि करोडों रुपये की मालकिन बन गई।
मनीषा दयालः ग्लैमर और सियासी कनेक्शन
शुरुआती दौर से ही मनीषा का ग्लैमर से नजदीकी नाता रहा है। शुरू में उसने मॉडलिंग भी की। बाद में कई मॉडलिंग प्रतियोगिता करवाने में भी मनीषा का नाम सामने आया। खेल प्रतियोगिताओं में भी मनीषा की दिलचस्पी थी। मनीषा दयाल का लंबा-चौडा सियासी और खाकी कनेक्शन भी है। एक नेता उसके दूर के संबंधी बताये जाते हैं। जबकि पुलिस महकमे में भी मनीषा की अच्छी पहुंच है। बडी सिफारिश होने के कारण ही मनीषा के एनजीओ को आसरा गृह चलाने का काम मिला था। खबर यहां तक है कि आगे भी उसे कई बडे काम मिलने वाले थे. बडी पैरवी का ही असर था कि चार लडकियों के भागने की कोशिश करने के बावजूद मनीषा के एनजीओ के ऊपर एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। जबकि उस रोज भी एनजीओ की लापरवाही सामने आई थी।
पढ़ाई के लिए गया से पटना आई मनीषा
जानकारी के अनुसार मूल रूप से बिहार के गया की रहने वाली मनीषा ने अपनी स्कूली शिक्षा गया से हासिल की। उसके बाद मनीषा 1995 में मेडिकल की पढाई के लिए पटना आ गई। हालांकि किन्हीं कारणों से मनीषा ने मेडिकल की पढाई पूरी नहीं की और 1996 में बिजनेस मैन जीवन वर्मा के साथ उसने शादी कर ली। शादी के बाद मनीषा ने फिर से बीकॉम में एडमिशन लेकर अपनी आगे की पढाई शुरू की। उसके बाद फाइनेंस में एमबीए कर अपने पति के साथ गारमेंट का बिजनेस में उनका हाथ बंटाने लगी।
जानकारों के अनुसार मनीषा के प्रोफेशनल जीवन की शुरुआत सही मायने में यहीं से शुरू हो गई और मनीषा अपने पति के साथ मिलकर बिजनेस को आगे बढाने लगी। उनकी कंपनी के कपडों की सप्लाई झारखंड और बंगाल तक में होने लगी। इसके साथ ही मनीषा पटना में अन्य सामाजिक संस्थाओं से जुडती गई। उनके जानने वाले बताते हैं कि वे नशा मुक्ति केंद्र से जुड कर नशे के खिलाफ अभियान भी चलाने लगी। 2011 में मनीषा पिता की मृत्यु के बाद कुछ दिनों के लिए डिप्रेशन में चली गई। लेकिन उसने फिर से एक साल बाद एक शुरुआत की और अपने काम को आगे बढाया।
पटना की हाई प्रोफाइल सोसाइटी की खास
बताया जाता है कि धीरे-धीरे मनीषा ने अपना काम आगे बढाया और 2014 में उसने महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को लेकर काम करना शुरू किया। 2016 में मनीषा ने अपने सहयोगी चिरंतन के साथ मिलकर कॉरपोरेट क्रिकेट लीग कराया और इसके बाद तो मनीषा पटना की हाई प्रोफाइल सोसाइटी की खास बनती चली गई। कई बडे सामाजिक कार्यक्रमों और पेज थ्री पार्टियों में मनीषा राजनीतिक, सामाजिक जगत की कई बडी नामचीन हस्तियों के साथ नजर आने लगी। अनुमाया ह्यूमन रिसोर्सेज फाउंडेशन में बतौर सचिव कार्य करते हुए वो आगे बढने लगी।
मनीषा अपने सहयोगी चिरंतन के साथ ही आसरा शेल्टर होम की कोषाध्यक्ष भी बनी। पटना में पिंकिशी फाउंडेशन के तहत मनीषा सावन महोत्सव, फैशन शो जैसे कार्यक्रम का आयोजन करने लगी। कुछ इस तरह मनीषा धीरे-धीरे पटना की चर्चित हस्तियों में शुमार हो गई। मनीषा के करीबी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भले ही उसके खिलाफ ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमे उन पर गलत काम करने का आरोप लगा है। लेकिन हमें उनके व्यवहार से कभी ऐसा नहीं महसूस हुआ। वो सबसे बडे अच्छे से मिलती है और एक स्ट्रांग वीमेन के रूप में हमारे साथ आती है।
वहीं, इस घटना में गिरफ्तार हुई आसरा होम की कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल का पॉलिटिकल कनेक्शन सामने आने के कुछ देर पहले उनका फेसबुक एकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिया गया। वैसे मनीषा दयाल से जब पूछा गया तो उसने बताया कि शुक्रवार को हमलोग चार-साढे बजे थाने से होम पहुंचे। हम चार-पांच लोग दोनों संवासिनों को लेकर पीएमसीएच गये। संवासिनों को साढे चार-पांच बजे होम से हॉस्पिटल ले जाया गया। जबकि पीएमसीएच के रजिस्टर में 9. 26 दर्ज है। आखिर करीब पांच घंटे तक दो संवासिनें कहां थी? लेकिन मनीषा के पास इसका जवाब नही है। मनीषा ने अपनी गिरफ्तारी से पहले कहा था कि मुझपर सारे गलत आरोप लगाए गए हैं। आसरा गृह की युवतियां पहले से ही बीमार थीं और उसी वजह से उनकी मौत हो गई।