ये है देश की राजधानी का हाल, दिल्ली से लापता होने 10 बच्चों में से 6 का नहीं चलता कोई पता

By भाषा | Published: October 7, 2018 04:31 PM2018-10-07T16:31:26+5:302018-10-07T16:31:26+5:30

एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पाया है कि दिल्ली में 36 ट्रैफिक सिग्नलों पर 600 से ज्यादा बच्चे भीख मांगते हैं या फिर किसी सामान वगैरह की बिक्री करते हैं।

6 out of 10 missing children in Delhi were not found said report | ये है देश की राजधानी का हाल, दिल्ली से लापता होने 10 बच्चों में से 6 का नहीं चलता कोई पता

इन बच्चों में से कई बच्चों को भीख मंगवाने वारे गिरोह बंधक बना लेते हैं। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, सात अक्टूबर: सड़कों पर रेड लाइट होने के दौरान सामान बेचने या भीख मांगने वाले बच्चे कहां से आते हैं? इन बच्चों की पहचान क्या है? राजधानी में हर साल हजारों बच्चे तस्करी का शिकार होते हैं। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में लापता होने वाले 10 में से छह बच्चों का कभी पता ही नहीं चलता।

अलायंस फॉर पीपुल्स राइट्स (एपीआर) और गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राइ) द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन ‘‘दिल्ली में लापता बच्चे 2018’’ के मुताबिक, पिछले पांच साल में दिल्ली में 26,761 बच्चे लापता हो गए। इनमें से 9,727 बच्चों का ही पता चल सका।

 राष्ट्रीय राजधानी में लापता होने वाले हर 10 बच्चों में छह का पता नहीं चल पाता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों और पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाब के आधार पर रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 63 प्रतिशत लापता बच्चों का पता नहीं चल पता है।

 यह आंकड़ा बाकी देश के 30 प्रतिशत आंकड़े से दोगुना है।

दिल्ली के मयूर विहार के एक ट्रैफिक सिग्नल पर रोजी-रोटी के लिए फूल बेचने वाले मनोज ने कहा, ‘‘गिरोह के लोग कुछ दूरी से इन सिग्नलों पर ऐसे बच्चों पर नजर रखते हैं और जब पुलिस उन्हें बचाने के लिए आती है तो दावा करते हैं कि वे सभी उनके बच्चे हैं।’’

मनोज ने कहा कि इनमें से कई बच्चों को दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाया जाता है और ट्रैफिक सिग्नल पर जो महिलाएं होती हैं, वो ऐसे जाहिर करती हैं कि वो इन बच्चों के अभिभावक हैं।

बच्चों के पुनर्वास की चुनौती

क्राइ की क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) सोहा मोइत्रा ने कहा कि बच्चों का पुनर्वास करना एक बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ अगर बहुत छोटी उम्र में बच्चों की तस्करी हुई हो तो ऐसे बच्चों का पता लगाने में ज्यादा समय लगता है और इस वजह से उन्हें अपने घर के बारे में भी याद नहीं होता। चेहरा पहचानने वाली अद्यतन तकनीक पर काम चल रहा है और पुलिस आश्वस्त है कि बेहद छोटी उम्र में तस्करी के शिकार होने वाले बच्चों के पुनर्वास में इससे मदद मिलेगी।’’

एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पाया है कि दिल्ली में 36 ट्रैफिक सिग्नलों पर 600 से ज्यादा बच्चे भीख मांगते हैं या फिर किसी सामान वगैरह की बिक्री करते हैं। लेकिन यह एक महज नमूना भर है, वास्तविक आंकड़ा बहुत अधिक हो सकता है।

अधिकारी ने कहा कि कई बच्चों को उनके अभिभावक भीख मंगवाते हैं या कलम, फूल या गुब्बारे आदि बेचने के लिए कहते हैं जबकि कई बच्चों को तस्करी कर यहां लाया जाता है।

एनसीपीसीआर के सदस्य यशवंत जैन ने कहा कि बाल अधिकार आयोग ने ट्रैफिक सिग्नलों पर दिखने वाले बच्चों की पुनर्वास योजना के लिए विभिन्न अधिकारियों के साथ ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

Web Title: 6 out of 10 missing children in Delhi were not found said report

क्राइम अलर्ट से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे