Highlightsचीनी कंपनियों के भारी विरोध को देखते हुए वीवो आईपीएल 2020 के टाइटल स्पॉन्सरशिप से पीछे हटारिपोर्ट्स के मुताबिकस बीसीसीआई वीवो के साथ 2021-2023 सीजन के लिए कर सकता है नया करार
सीमा पर तनाव के बीच चीनी कंपनियों के खिलाफ भारत में जारी जोरदार विरोध को देखते हुए चीनी मोबाइल कंपनी वीवो आईपीएल की स्पॉन्सरशिप से पीछे हट गई है। वीवो ने 2018 में आईपीएल के साथ पांच साल के लिए 2200 करोड़ रुपये का करार किया था और वह बीसीसीआई को हर साल 440 करोड़ रुपये का भुगतान करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीसीसीआई ने मंगलवार को ऐलान किया कि उसके सभी स्पॉन्सर को बरकरार रखा गया है, लेकिन वीवो सोशल मीडिया में हुई कड़ी आलोचना के बाद इस सीजन की स्पॉन्सरशिप से पीछे हट गया है।
पीटीआई के मुताबिक, बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'बीसीसीआई के पदाधिकारियों (अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह) और कंपनी के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत चल रही है। ऐसी पूरी संभावना है कि इस साल टाइटल प्रायोजक वीवो नहीं होगा।'
वीवो ने किया आईपीएल 2020 की स्पॉन्सरशिप से हटने का फैसला
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वीवो ने इस मामले पर टिप्पणी नहीं की है, लेकिन बीसीसीआई के मुताबिक वीवो एक साल के लिए स्पॉन्सरशिप से हटा है और अगले साल वापसी कर सकता है और उसका करार 2021 से 2023 तक रहेगा, जो दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्थिति पर निर्भर करेगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीसीसीआई ने कहा है कि वह 19 सितंबर से यूएी में शुरू होने वाले इस सीजन के लिए नए स्पॉन्सर की तलाश करेगा। हालांकि कोरोना संकट की वजह से बाजार की खराब हालत की वजह से बीसीसीआई को इसमें मशक्कत करनी पड़ सकती है।
वीवो के अलावा आईपीएल से जुड़ी हैं कई अन्य चीनी निवेश वाली कंपनियां
वीवो के अलावा आईपीएल से जुड़ी कई अन्य कंपनियों-पेटीएम, स्विगी, ड्रीम 11 और बायजू में भी चीनी निवेश है। बायजू आईपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइटराइडर्स से जुड़ी है।
आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की रविवार को हुई बैठक के बाद वीवो के साथ स्पॉन्सरशिप बरकरार रखने का फैसला किया गया था। लेकिन आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच द्वारा वीवो के साथ करार जारी रखने के फैसले का विरोध किया था।