HighlightsYuzvendra Chahal-Dhanashree Verma divorce: तलाक के लिए दायर संयुक्त याचिका पर फैसला सुना दिया है। Yuzvendra Chahal-Dhanashree Verma divorce: पक्षों ने सहमति की शर्तों का पालन किया है।Yuzvendra Chahal-Dhanashree Verma divorce:उद्देश्य सुलह की संभावना तलाशने के लिए समय देना है।
Yuzvendra Chahal-Dhanashree Verma divorce: मुंबई की एक कुटुंब अदालत ने बृहस्पतिवार को क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और उनकी अलग रह रही पत्नी धनश्री वर्मा की आपसी सहमति से तलाक के लिए दायर संयुक्त याचिका को मंजूर कर लिया। एक-दूसरे से अलग रह रहे दंपति बांद्रा स्थित अदालत में पेश हुए। चहल के वकील नितिन गुप्ता ने बताया कि कुटुंब अदालत ने चहल और वर्मा द्वारा आपसी सहमति से तलाक के लिए दायर संयुक्त याचिका पर फैसला सुना दिया है। अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों ने सहमति की शर्तों का पालन किया है।
गुप्ता ने कहा, ‘‘कुटुंब अदालत ने चहल और वर्मा द्वारा आपसी सहमति से तलाक के अनुरोध वाली संयुक्त याचिका मंजूर कर ली है।’’ चहल और वर्मा की शादी दिसंबर 2020 में हुई थी। उनकी याचिका के अनुसार, वे जून 2022 में अलग हो गए। पांच फरवरी को, उन्होंने आपसी सहमति से तलाक का अनुरोध करते हुए कुटुंब अदालत में संयुक्त रूप से एक याचिका दायर की थी।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को कुटुंब अदालत को निर्देश दिया था कि वह बृहस्पतिवार तक तलाक की याचिका पर फैसला करे क्योंकि चहल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आगामी क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के कारण बाद में अदालत नहीं आ सकेंगे। आईपीएल टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट 22 मार्च से शुरू होने वाला है। चहल पंजाब किंग्स टीम का हिस्सा हैं।
उच्च न्यायालय ने युजवेंद्र चहल और उनकी अलग रह रही पत्नी धनश्री वर्मा द्वारा तलाक की याचिका दायर करने के बाद सुलह के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य छह महीने की अवधि से भी छूट दे दी थी। चहल और वर्मा ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक संयुक्त याचिका दायर की थी, जिसमें अनुरोध किया गया था कि उनके मामले में सुलह के लिए छह माह की अवधि को माफ कर दिया जाए, क्योंकि उन्होंने आपसी सहमति से तलाक के लिए याचिका दायर की है। अधिवक्ता नितिन गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में कुटुंब अदालत को तलाक याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था।
कुटुंब अदालत ने 20 फरवरी को दोनों को सुलह की अवधि से छूट देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद दोनों ने कुटुंब अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, तलाक दिए जाने से पहले जोड़े को छह महीने की इस अवधि को पूरा करना पड़ता है। इसका उद्देश्य सुलह की संभावना तलाशने के लिए समय देना है।
कुटुंब अदालत ने इस आधार पर अवधि को माफ करने से इनकार कर दिया था कि सहमति की शर्तों का केवल आंशिक अनुपालन किया गया था, जिसके तहत चहल को धनश्री को 4.75 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। कुटुंब अदालत ने कहा कि चहल ने 2.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
अदालत ने एक विवाह परामर्शदाता की रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मध्यस्थता प्रयासों का केवल आंशिक अनुपालन किया गया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि सहमति की शर्तों का अनुपालन किया गया था, क्योंकि इसमें तलाक का आदेश प्राप्त होने के बाद ही स्थायी गुजारा भत्ते की दूसरी किस्त के भुगतान का प्रावधान था।