कभी सोचा नहीं था कि कोई महिला क्रिकेटर पुरुष प्रधान बीसीसीआई का हिस्सा होगी: पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी

रंगास्वामी उस दौर में क्रिकेट खेलती थी, जब महिला क्रिकेट उपेक्षित था और बीसीसीआई से मान्यता नहीं मिली थी।

By भाषा | Published: October 11, 2019 01:21 PM2019-10-11T13:21:39+5:302019-10-11T13:21:39+5:30

Never imagined to sit on the cricket board, says shanta rangaswamy | कभी सोचा नहीं था कि कोई महिला क्रिकेटर पुरुष प्रधान बीसीसीआई का हिस्सा होगी: पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी

कभी सोचा नहीं था कि कोई महिला क्रिकेटर पुरुष प्रधान बीसीसीआई का हिस्सा होगी: पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी

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Highlightsशांता रंगास्वामी ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि कोई महिला क्रिकेटर पुरुष प्रधान भारतीय क्रिकेट बोर्ड का हिस्सा बनेगी।रंगास्वामी का भारतीय क्रिकेटर्स संघ (आईसीए) चुनाव में निर्विरोध चुना जाना तय है।

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर।बीसीसीआई की नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद का हिस्सा बनने जा रही भारत की पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि कोई महिला क्रिकेटर पुरुष प्रधान भारतीय क्रिकेट बोर्ड का हिस्सा बनेगी। रंगास्वामी का भारतीय क्रिकेटर्स संघ (आईसीए) चुनाव में निर्विरोध चुना जाना तय है। वह बीसीसीआई की शीर्ष परिषद में उसकी महिला प्रतिनिधि होगी।

पैसठ बरस की रंगास्वामी ने प्रेस ट्रस्ट से कहा, ‘‘मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बोर्ड का हिस्सा बनूंगी। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि कोई पुरुष क्रिकेटर भी इसमें होगा, हमें तो छोड़ दीजिए। कुछ लोग लोढा सिफारिशों की आलोचना कर रहे होंगे, लेकिन उसी की वजह से बोर्ड में हमें प्रतिनिधित्व मिला है। यह पुरुषों के गढ में जगह बनाने जैसा है।’’

रंगास्वामी उस दौर में क्रिकेट खेलती थी, जब महिला क्रिकेट उपेक्षित था और बीसीसीआई से मान्यता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई में महिला का प्रतिनिधित्व बहुत बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा कि रिटायर हो चुकी अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटरों को भी रणजी ट्रॉफी क्रिकेटरों के समान पेंशन मिलनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू क्रिकेटरों को बीसीसीआई पेंशन मिलनी चाहिये और उनकी मैच फीस में बढोतरी होनी चाहिए। रंगास्वामी ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहती कि रणजी क्रिकेटरों को पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। मेरा सिर्फ इतना कहना है कि महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को उनके समान पेंशन मिलनी चाहिए। घरेलू क्रिकेटरों को अंडर 19 लड़कों के समान मैच फीस मिलना भी सही नहीं है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 15 साल में महिला क्रिकेट में कोचिंग को बढ़ावा देने के लिए कुछ खास नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘कई लेवल दो की महिला कोच लेवल तीन तक नहीं पहुंच सकीं। वे पेशेवर कोचिंग में नहीं जा सकी। मैं यह नहीं कहती कि महिला टीम का कोच पुरूष नहीं हो सकता, लेकिन महिलाओं को सहयोगी स्टाफ का हिस्सा होना चाहिए।’’

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