नौ साल बाद मां और परिवार से मिला मुंबई इंडियंस का ये खिलाड़ी, तस्वीर हो रही है वायरल

2021-22 में खेले 6 रणजी मैचों की 11 पारियों में कार्तिकेय ने 32 विकेट निकाले थे। आईपीएल-2022 में कार्तिकेय का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा था। मुंबई इंडियंस के लिए खेलने वाले कार्तिकेय की पहचान अब भारत के एक उभरते हुए खिलाड़ी के रूप में है। नौ साल बाद परिवार से मिल रहे कार्तिकेय की कहानी बेहद दिलचस्प है।

By शिवेंद्र राय | Published: August 04, 2022 2:07 PM

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ठळक मुद्देनौ साल बाद मां और परिवार से मिले कुमार कार्तिकेयक्रिकेट में पहचान बनाने के बाद ही घर लौटने का संकल्प लिया थाआईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हैं कुमार कार्तिकेय

नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस की टीम से खेलने वाले स्पिनर कुमार कार्तिकेय ने इस साल कमाल का प्रदर्शन किया था और खूब सुर्खियां बटोरी थीं। अब इस खिलाड़ी की एक फोटो वायरल हो रही है जिसमें कार्तिकेय अपनी मां के साथ दिखाई दे रही हैं। देखने में ये तस्वीर भले ही सामान्य लगे लेकिन इसके पीछे की कहानी आपको स्तब्ध कर देगी। दरअसल क्रिकेटर बनने का सपना पूरा करने के लिए कुमार कार्तिकेय पूरे नौ साल अपनी मां और परिवार से दूर रहे। जब 24 साल के कुमार कार्तिकेय नौ साल बाद अपनी मां और परिवार से मिले तब उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। सोशल मीडिया पर अपनी मां के साथ फोटो साझा करते हुए कार्तिकेय ने लिखा,‘9 साल 3 महीने बाद अपने परिवार और मां से मिला। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ हूं।’

आईपीएल 2022 में पहचान मिलने के बाद कुमार कार्तिकेय की कहानी लोगों तक पहुंची थी। आईपीएल की समाप्ति के बाद एक इंटरव्यू के दौरान कुमार ने कहा था, । मैं 9 साल से घर नहीं गया हूं। मैंने फैसला किया था कि घर तभी लौटूंगा जब मैं जीवन में कुछ हासिल कर लूंगा। मेरी मां और पिताजी ने मुझे बार-बार फोन भी किया। आखिरकार, मैं IPL के बाद घर लौटूंगा।"

कार्तिकेय के संघर्ष की कहानी

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले कुमार कार्तिकेय 15 साल की उम्र में ही घर छोड़कर दिल्ली चले आए थे। कार्तिकेय को यूपी की अंडर-16 टीम में जगह नहीं मिली थी। इसी के बाद कार्तिकेय ने ठान लिया कि घर वापस तभी लौटेंगे जब क्रिकेट के मैदान में नाम कमा लेंगे। लेकिन सफलता की राह इतनी आसान कहां होती है। कार्तिकेय दिल्ली भी पहुंच गए और अपने दोस्त राधेश्याम की मदद से कोच संजय भारद्वाज से भी मिल लिए। लेकिन कार्तिकेय के पास कोचिंग की फीस देने के पैसे नहीं थी। कोच ने कुमार की प्रतिभा को देखते हुए एकेडमी में प्रवेश दे दिया लेकिन कार्तिकेय की मुश्किल यहीं खत्म नहीं हुई। कुमार दिल्ली स्थित एकेडमी से 80 किलोमीटर दूर गाजियाबाद में रहने लगे और एक फैक्ट्री में काम भी करने लगे। कुमार रात में काम करते और दिन में क्रिकेट की कोचिंग लेते थे। इस दौरान 10 रूपये के बिस्कीट का पैसा बचाने के लिए कुमार कई किलोमीटर पैदल चलते थे। जब कोच संजय भारद्वाज को यह बात पता चली तब उन्होंने कुमार को एकेडमाी ही कुक के साथ रहने की जगह दे दी। कोच संजय भारद्वाज ने ये किस्सा सुनाते हुए बताया था कि एकेडमी में जब पहले ही दिन कुक ने उनको लंच दिया तो कार्तिकेय रोने लगे क्योंकि उन्होंने एक साल से लंच नहीं किया था। कुमार कार्तिकेय की पहचान अब भारत के एक उभरते हुए खिलाड़ी के रूप में है।

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