कोहली की तारीफ करते-करते धोनी ने कह दी बड़ी बात, इंग्लैंड से पहले टेस्ट में हार की भी बताई 'वजह'

एमएस धोनी ने लीड्स में खेले गए तीसरे वनडे के बाद अंपायर से गेंद मांगने पर भी पहली बार अपनी बात रखी।

By विनीत कुमार | Published: August 07, 2018 5:55 PM

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मुंबई, 7 अगस्त: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में शुमार महेंद्र सिंह धोनी ने विराट कोहली की सराहना करते हुए कहा है कि भारतीय कप्तान अब एक 'महानतम (लिजेंड)' बनने की राह पर हैं और इस रुतबे के बेहद करीब हैं। साथ ही धोनी ने लीड्स में खेले गए तीसरे वनडे के बाद अंपायर से गेंद मांगने पर भी पहली बार अपनी बात रखी। 

धोनी ने कोहली की प्रशंसा करते हुए कहा, 'विराट सर्वश्रेष्ठ हैं और पहले ही उस रुतबे तक पहुंच चुके हैं जो महानतम (लिजेंड) के पद के बेहद करीब है। उन्होंने जिस तरह से बैटिंग की है कि मैं उनके लिए खुश हूं। पिछले कुछ सालों में वह शानदार रहे हैं। वह टीम को आगे लेकर गये हैं और एक कप्तान से आप यही चाहते हैं। मैं उन्हें बधाई देना चाहूंगा।'

यह पूछे जाने पर आखिर पहले टेस्ट में टीम इंडिया क्यों हारी, धोनी ने दिलचस्प अंदाज में जवाब देते हुए कहा, 'एक टेस्ट मैच को जीतने के लिए आपको विकेटों की जरूरत होती है और यही जवाब है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी अच्छी बैटिंग करते हैं या पांच दिन कितना अच्छा खेलते हैं। अगर आप 20 विकेट लेते हैं तो आप टेस्ट मैच जीत सकते हैं। अब आप खुद इसका मतलब अपने हिसाब से निकाल लीजिए।' 

लीड्स वनडे में टीम की हार के बाद अंपायर से गेंद लेने के सवाल पर धोनी ने कहा, 'आप हमेशा इस पर काम करते रहते हैं कि क्या हो रहा है। अंपायर से गेंद लेने का मतलब था कि हम देखना चाहते थे कि हमें रिवर्स स्विंग क्यों नहीं मिल रहा है क्योंकि अगले साल इंग्लैंड में हमें वर्ल्ड कप खेलना है। मैंने इसलिए अंपायर गेंद मांगा और इसे अपने बॉलिंग कोच को दे दिया ताकि हम जान सके कि कैसे इसका अच्छा इस्तेमाल कर सकें। साथ ही कैसे हम आखिरी 10 ओवरों में कम रन लुटा सके।'

केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर के अगले साल खेलकूद के लिए सिलेबस में 50 फीसदी कटौती के सवाल पर धोनी ने कहा ये देखना दिलचस्प होगा कि पैरेंट्स इस पहल को कैसे देखते हैं। धोनी के अनुसार, 'खेल आपको काफी कुछ पढ़ाता है। खेल की ओर युवाओं को बढ़ाने के लिए एक स्कूल सही जगह है। जब मैं छठी या सातवीं कक्षा में था तो मुझे नहीं मालूम था कि मैं क्रिकेटर बनूंगा या फुटबॉलर या फिर एथलीट। फिर एक फेज वो भी होता है जब माता-पिता चाहते हैं कि आप खेल से ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान दे। तब 90 फीसदी नंबर को काफी अच्छा माना जाता था लेकिन अब ये केवल एक नंबर है। अगर मैं 24 घंटे भी पढ़ता तो 90 फीसदी नंबर नहीं आते। मैं खेल में अच्छा था और इसने मेरी मदद की। स्कूल के दिन हर किसी के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और आपको काफी कुछ सिखाते हैं।' 

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