पृथ्वी शॉ का आलोचकों को जोरदार जवाब, कहा, 'सबको हमेशा खुश नहीं रख सकता, बल्ले से देना चाहता हूं जवाब'

Prithvi Shaw: टीम इंडिया के स्टार ओपनर पृथ्वी शॉ ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि मैं हमेशा सबको खुश नहीं रख सकता, केवल रचनात्मक आलोचनाओं को ही सुनूंगा

By अभिषेक पाण्डेय | Published: April 09, 2020 12:04 PM

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ठळक मुद्देमैंने महसूस किया कि मैं शत-प्रतिशत लोगों को हमेशा खुश नहीं रख सकता: पृथ्वी शॉकठिन समय किसी व्यक्ति के चरित्र की भी परीक्षा होता है: पृथ्वी शॉ

मुंबई के युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को भारतीय क्रिकेट का अगला सुपरस्टार माना जा रहा है। उन्होंने 2018 में अपने डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ते हुए शानदार शुरुआत की, लेकिन उसके एक महीने बाद ही ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वह बिना एक भी मैच खेले चोट की वजह से बाहर हो गए, इसके बाद शॉ इससे पहले कि वापसी कर पाते, उन पर बीसीसीआई ने डोपिंग की वजह से 8 महीने का बैन लगा दिया। 

लेकिन इस युवा बल्लेबाज ने घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन करते हुए 2020 में जोरदार वापसी की और न्यूजीलैंड दौरे पर टीम इंडिया के लिए खेले।

हालांकि इस युवा बल्लेबाज की करियर के शुरुआती दिनों में खुद को न संभालने का आरोप लगाते हुए कई लोग आलोचना भी करते हैं। कइयों को लगता है कि अंडर-19 वर्ल्ड कप की खिताबी जीत और डेब्यू टेस्ट में शतक के रूप करियर में जल्द मिली सफलता पृथ्वी शॉ पर हावी हो गई। 

बल्ले से देना चाहता हूं आलोचकों को जवाब: पृथ्वी शॉ

लेकिन इस 20 वर्षीय बल्लेबाजों ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि कुछ चीजें उनके नियंत्रण के बाहर थी, जिससे उन्हें झटका लगा।   

पृथ्वी शॉ ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, 'हां, अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतना और मेरे टेस्ट डेब्यू में शतक जमाना मेरे लिए बड़े लम्हे थे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये मेरे ऊपर हावी हो गए थे। डोपिंग बैन जैसी चीजें मेरे नियंत्रण में थी, लेकिन पिंडली की चोट जैसी दुर्भाग्यपूर्ण चीज मेरे नियंत्रण में नहीं थी।'

अपने आलोचकों को जवाब देते हुए शॉ ने कहा, 'मैंने महसूस किया कि मैं शत-प्रतिशत लोगों को हमेशा खुश नहीं रख सकता। हालांकि मैं जानता हूं कि आलोचना भी जिंदगी का हिस्सा है। मेरा उद्देश्य रचनात्मक आलोचना को सकारात्मक रूप से लेते हुए सुधार करना है। 2019 उतना अच्छा नहीं था, लेकिन हर चीज के साथ हमेशा अच्छी चीजें जुड़ी होती है। मैं हर चीज का जवाब अपने बैट से देना चाहता हूं। कठिन समय किसी व्यक्ति के चरित्र की भी परीक्षा होता है। मैं शुक्रगुजार हूं कि मेरे पास मेरे पिता, मेरे करीबी दोस्त और मेरी मैनेजमेंट एजेंसी है, जो कठिन समय में मेरे साथ खड़े रहे।'

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