हर टेस्ट को अपना आखिरी समझकर खेलता हूं: हनुमा विहारी

Hanuma Vihari: वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 289 रन बनाने वाले हनुमा विहारी ने कहा है कि वह अपना हर टेस्ट आखिरी समझकर खेलते हैं

By भाषा | Published: September 6, 2019 02:02 PM2019-09-06T14:02:03+5:302019-09-06T14:02:03+5:30

For me, every Test match is my last, says Hanuma Vihari | हर टेस्ट को अपना आखिरी समझकर खेलता हूं: हनुमा विहारी

विंडीज दौर पर हनुमा विहारी बेहद कामयाब रहे

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Highlightsहनुमा विहारी ने विंडीज दौरे पर 2 टेस्ट मैचों में बनाए 289 रनहनुमा विहारी ने अब तक अपने 6 टेस्ट मैचों में 456 रन बनाए हैं

नई दिल्ली, छह सितंबर: अक्सर क्रिकेटर अपने प्रदर्शन का श्रेय टीम में जगह पक्की होने को देते हैं लेकिन हनुमा विहारी अपने हर टेस्ट को ‘आखिरी टेस्ट’ समझकर खेलते हैं ताकि आत्ममुग्धता से बच सकें।

आंध्र के इस 25 वर्षीय बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 2-0 से मिली जीत में 291 रन बनाकर रोहित शर्मा की जगह अंतिम एकादश में उन्हें उतारने के टीम प्रबंधन के फैसले को सही साबित कर दिया।

विहारी ने पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा,‘‘बेशक मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं लेकिन मैं स्पष्ट सोच के साथ इस दौरे पर गया था । मैने मैच दर मैच रणनीति बनाई और हर मैच को अपने आखिरी मैच की तरह खेला। इससे मुझे इस सोच के साथ उतरने में मदद मिली कि मेरे पास खोने के लिये कुछ नहीं है।’’

ये कामयाबी घरेलू क्रिकेट में सालों की मेहनत का नतीजा है: विहारी

कप्तान विराट कोहली ने हाल ही में कहा था कि विहारी बल्लेबाजी करता है तो ड्रेसिंग रूम में सुकून का माहौल रहता है। उन्होंने विहारी को वेस्टइंडीज दौरे की खोज भी बताया। इस पर विहारी ने कहा,‘‘यदि चेंज रूम में सबको आप पर इतना भरोसा है तो और क्या चाहिये। यह सबसे बढ़िया तारीफ है और खुद कप्तान ने की है तो मुझे और क्या चाहिये।’’

छह टेस्ट में एक शतक और तीन अर्धशतक समेत 456 रन बना चुके विहारी ने कहा,‘‘यह बरसों की कड़ी मेहनत का नतीजा है जो मैने घरेलू क्रिकेट में की है। भारत के लिये खेलने से पहले मैने 60 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं।’’

उन्होंने कहा,‘‘मैने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दबाव के हालात का सामना किया है जिससे मैं बड़ी चुनौतियों के लिये तैयार हुआ। आंध्र क्रिकेट संघ और चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।’’

चुनौतियों का डटकर सामना करना है हनुमा विहारी की क्षमता

विहारी ने कहा कि उनके छोटे लेकिन प्रभावी अंतरराष्ट्रीय करियर का कारण चुनौतियों का डटकर सामना करने की उनकी क्षमता है। मेलबर्न में पारी का आगाज करने वाले इस बल्लेबाज ने कहा,‘‘ऑस्ट्रेलिया में पारी की शुरुआत करना मेरी इसी मानसिकता की देन था। मैं स्वाभाविक रूप से सलामी बल्लेबाज नहीं हूं और वह बहुत बड़ी चुनौती थी।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ या तो मैं बैठकर रोता रहता कि मुझसे पारी का आगाज क्यो कराया जा रहा है या चुनौती का सामना करने के लिये खुद को तैयार करता। मैने दूसरा विकल्प चुना।’’ हैदराबाद के रहने वाले विहारी की बल्लेबाजी की शैली उनके शहर के स्टाइलिश बल्लेबाजों वीवीएस लक्ष्मण और मोहम्मद अजहरूद्दीन से जुदा है।

पिता की मौत के बाद हमने मुश्किल भरे दिन झेले: विहारी

उन्होंने कहा,‘‘मेरा हमेशा से विश्वास रक्षात्मक खेल पर फोकस करने पर रहा है। रक्षात्मक तकनीक सही होने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आप किसी भी गेंदबाज पर दबाव बना सकते हैं। आक्रामक खेलने पर गेंदबाजों को मौके मिल जाते हैं।’’ सिर्फ 12 बरस की उम्र में अपने पिता को खोने वाले विहारी ने कहा,‘‘ मैं 12 बरस का ही था और मेरी बहन 14 बरस की जब मेरे पिता का देहांत हो गया। मेरी मां विजयलक्ष्मी गृहिणी हैं। वह काफी कठिन दिन थे ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरी मां ने पिता की पेंशन पर मेरा घर चलाया। उन्होंने मुझे अपने सपने पूरे करने की सहूलियत दी और कभी हमें महसूस नहीं होने दिया कि हम अभाव में हैं। मुझे आज भी समझ में नहीं आता कि उन्होंने यह सब कैसे किया।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ अब मैने हैदराबाद में घर बना लिया है । मैं अपनी मां को आराम देना चाहता हूं।’’

 

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