World Cup 2023: खेल भावना के नाम पर रहम की मांग जायज नहीं

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में मैथ्यूज इस तरह आउट होनेवाले पहले बल्लेबाज बन गए। मैथ्यूज के पास वनडे के सवा दो सौ मुकाबलों में 193 पारियों का तजुर्बा है और आपको इस अहम नियम का इल्म तक नहीं है!

By रवींद्र चोपड़े | Published: November 8, 2023 11:01 AM2023-11-08T11:01:46+5:302023-11-08T11:06:16+5:30

Demand for mercy in the name of sportsmanship is not justified | World Cup 2023: खेल भावना के नाम पर रहम की मांग जायज नहीं

फाइल फोटो

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Highlightsमैथ्यूज को दो मिनट का ध्यान नहीं रहा, जिसके कारण उनसे यह गलती हुईउन्होंने इतने समय में ही दूसरे हेलमेट की मांग कर दीआखिर में वो बोल्ड हो गए

खेलों में कभी-कभी बड़ी विचित्र परिस्थितियां आती हैं। सोमवार के इस नाटकीय घटनाक्रम पर गौर करें। श्रीलंकाई बल्लेबाज एंजेलो मैथ्यूज आईसीसी विश्व कप के मुकाबले में क्रीज पर आते हैं और उन्हें पता चलता है कि हेलमेट का स्ट्रैप टूटा हुआ है। वह दूसरा हेलमेट मंगाते हैं। इस झमेले में दो मिनट का समय गुजर गया और अंपायर ने मैथ्यूज को टाइम आउट दे दिया।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में मैथ्यूज इस तरह आउट होनेवाले पहले बल्लेबाज बन गए। मैथ्यूज के पास वनडे के सवा दो सौ मुकाबलों में 193 पारियों का तजुर्बा है और आपको इस अहम नियम का इल्म तक नहीं है! श्रीलंकाई टीम भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नौसिखिया नहीं है। क्या उसके सहयोगी स्टाफ को यह नहीं पता कि उसका बल्लेबाज क्रीज पर पहुंचने के बाद पहली गेंद खेलने से पहले दो मिनट जाया कर रहा है!

मैथ्यूज अब विरोधी टीम के कप्तान शाकिब अल हसन को खेल भावना न दिखाने के लिए कोस रहे हैं। शाकिब ने ही टाइम आउट की अपील अंपायर से की थी। मगर दुनिया की कोई भी खेल पंचाट शाकिब को दंडित नहीं कर सकती। शाकिब का आचरण नियम के दायरे में है।

आईसीसी के विश्व कप-2023 नियम 40।1।1 के तहत बल्लेबाज को दो मिनट की समय सीमा खत्म होने से पहले अगली गेंद का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। सोशल मीडिया पर किसी ने एक व्यावहारिक टिप्पणी की कि मैथ्यूज को नियमों के पचड़े में फंसने से बचने के लिए कम से कम एक गेंद टूटे स्ट्रैप वाले हेलमटे के साथ खेलकर फिर नए हेलमेट की मांग करनी थी।

ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि डगआउट में टेबल-कुर्सियां लगाकर बैठा अत्याधुनिक उपकरणों से लैस सहयोगी स्टाफ क्या सिर्फ दिखावे भर के लिए है? इस तरह के मामले में खिलाड़ी को सचेत करने की उसकी जिम्मेदारी नहीं है? रही बात खेल भावना की तो पुरानी कहावत है, ‘घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?’

अन्य खेलों में भी इस तरह की समय मर्यादा है। टेनिस में खिलाड़ी सर्विस के लिए 25 सेकंड से अधिक का समय नहीं ले सकता। इस नियम को भंग करने पर प्रतिद्वंद्वी को अंक दे दिया जाता है। हॉकी में भी पेनल्टी कॉर्नर दिए जाने के बाद 20 सेकंड की समयावधि निर्धारित है, वरना इसे रद्द मान लिया जाता है।

अगर खिलाड़ियों और उनके साथ दिन रात बितानेवाले सहयोगी स्टाफ को इसका इल्म न हो तो गलती किसकी है? आजकल खेल सिर्फ मैदान पर ही नहीं खेले जाते। आधुनिक उपकरणों का प्रयोग शुरू होते ही खेलों का रूप-रंग भी बदला है। हर छोटी-बड़ी चीज पर पैनी निगाह रखी जाती है। इससे टीमों के खिलाड़ियों को इतर पक्ष को ध्यान में रखना ही होगा, वरना फजीहत के लिए तैयार रहना होगा।

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