नई दिल्ली, 20 अप्रैल: बीसीसीआई भारतीय रेलवे को एक फरमान जारी कर सकता है जिसमें केवल स्थायी कर्मचारियों को ही बोर्ड के अंडर-19 टूर्नामेंट 'कूच बेहार ट्रॉफी' में खेलने की अनुमति दी जाएगी। बीसीसीआई की तकनीकी समिति की सिफारिशें अगर आम बैठक में मंजूर कर ली जाती हैं तो ऐसी संभावना है कि भारतीय खेल के सबसे बड़े नियोक्ता को अपनी अंडर-19 टीम खत्म करनी पड़ेगी।
कोलकाता में हाल में तकनीकी समिति की बैठक में इसके सदस्यों को लगा कि रेलवे बीसीसीआई की एकमात्र इकाई है जिसकी जूनियर टीम (अंडर-19) में कर्मचारियों के बच्चे खेलते हैं। बीसीसीआई अधिकारी और तकनीकी समिति के सदस्य ने कहा, 'तकनीकी समिति ने सिफारिश की है कि अब से बीसीसीआई टूर्नामेंट (उम्र से संबंधित ग्रुप से लेकर सीनियर स्तर के टूर्नामेंट) में भाग लेने वाली कोई भी संस्थानिक इकाई केवल अपने कर्मचारियों को ही चुन सकती है।' इस वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें शिकायतें मिली की कि रेलवे के कर्मचारियों के बच्चे अंडर-19 नेशनल टीमों में खेल रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।
रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड की सचिव रेखा यादव से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने समस्या के बारे में कहा, 'हां , अंडर-19 स्तर पर कर्मचारियों के बच्चे खेलते हैं लेकिन इसके पीछे भी एक वास्तविक कारण है। हम सरकारी संस्था हैं और हम बाहर के लोगों को नहीं चुन सकते जैसे कि अन्य राज्य की टीमें कर सकती हैं। लेकिन इन बच्चों का चयन भी ट्रायल्स के बाद ही किया जाता है।'
उन्होंने कहा कि हर साल अंडर-19 स्तर के 20 क्रिकेटरों को नियुक्त करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, 'पहली बात तो, हम प्रतिभाशाली अंडर-19 खिलाड़ियों को नियुक्त करने को तैयार हैं लेकिन हमें इतने खिलाड़ी नहीं मिलते हैं। दूसरी बात, हर साल 15 से 20 साल की उम्र के क्रिकेटरों को नियुक्त करना संभव नहीं है। हमें नियुक्ति संबंधित नीति का पालन करना होता है। हम सिर्फ क्रिकेटरों को ही नियुक्त नहीं कर सकते और ओलंपिक खेलों के खिलाड़ियों की अनदेखी नहीं कर सकते।'
उन्होंने साथ ही यह भी कहा, 'अगर कोई अच्छी प्रतिभा है तो वह मुंबई, दिल्ली या कर्नाटक जैसी टीम की ओर से खेलने को तरजीह देगी। यहां तक कि हमारे कर्मचारियों के प्रतिभाशाली बच्चे किसी अन्य राज्य के लिए खेलना चाहते हैं।'