नई दिल्ली, 06 जुलाई: विधि आयोग ने सट्टेबाजी या बेटिंग को क्रिकेट समेत सभी खेलों में कानूनी तौर पर वैध बना देने की सिफारिश की है। ये बातें सुप्रीम कोर्ट में लोढ़ा कमिटी द्वारा भारतीय क्रिकेट में सुधार को लेकर की गई पेशकश को लेकर चल रही मामले की सुनवाई के दौरान सामने आई है।
विधि आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सट्टेबाजी और गैम्बलिंग को क्रिकेट समेत खेलों में विनियमत गविविधियों के तौर पर अनुमति दे दी जानी चाहिए, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत कर योग्य हो और इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के रूप में भी प्रयोग किया जाए।
विधि आयोग ने 'लीगल फ्रेमवर्क: गैम्बलिंग ऐंड स्पोर्ट्स बेटिंग इन इंडिया' नामक अपनी रिपोर्ट में कहा है सट्टेबाजी और गैम्बलिंग पर पूरी तरह से बैन लगाना संभव नहीं है इसलिए इसके 'प्रभावी विनियमन' के लिए यही 'एकमात्र व्यवहार्य समाधान' है।
इस सिफारिश में ये भी कहा गया है कि इस प्रक्रिया को कैशलेस ट्रांजैक्शन के माध्यम से और पैन कार्ड को अनिवार्य करके चलाया जा सकता है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के खतरे से बचा जा सके।
दुनिया के कई देशों में सट्टेबाज वैध है। अकेले यूके में गैम्बलिंग कंपनियों ने पिछले साल 14 अरब पाउंड का कारोबार किया था। इससे सरकार को ज्यादा टैक्स मिलता है और लोगों को रोजगार मिलने का अवसर बढ़ता है।
18 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपनी सुनवाई में कहा था कि लोढ़ा कमिटी द्वारा क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश में कानून का अधिनियम शामिल है, इसलिए विधि आयोग और सरकार द्वारा परीक्षण किया जाना चाहिए। इसके बाद ही विधि आयोग ने इस मामले पर अपनी सिफारिश देते हुए सट्टेबाजी को भारत में वैध किए जाने की सिफारिश की है।