HighlightsAnshuman Gaekwad passes away: भारत के लिए 40 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले।Anshuman Gaekwad passes away: प्रथम श्रेणी में 12000 से अधिक रन बनाए।Anshuman Gaekwad passes away: 34 शतक और 47 अर्द्धशतक शामिल हैं।
Anshuman Gaekwad passes away: भारत के पूर्व बल्लेबाज और कोच अंशुमान गायकवाड़ का बुधवार को वडोदरा के भाईलाल अमीन जनरल अस्पताल में रक्त कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बीसीसीआई ने गायकवाड़ के कैंसर के इलाज में सहायता के लिए 1 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की थी। गायकवाड़ ने 40 टेस्ट मैचों में दो शतक और दस अर्द्धशतक जमाए। करियर औसत 32 के पार रहा। प्रथम श्रेणी आंकड़े 40 से ऊपर रहा और 12000 से अधिक रन बनाए। 34 शतक और 47 अर्द्धशतक शामिल हैं।
वह 2000 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता रही भारतीय टीम के कोच भी थे। गायकवाड़ का लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल में ब्लड कैंसर का इलाज चल रहा था। वह लंदन में लंबा समय बिताने के बाद पिछले महीने स्वदेश लौट थे। बीसीसीआई ने गायकवाड़ के इलाज के लिए एक करोड़ रुपये दिए थे।
इसके साथ ही 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्यों ने भी इस क्रिकेटर की मदद के लिए अपना योगदान दिया। गायकवाड़ ने 22 साल के करियर में 205 प्रथम श्रेणी मैच भी खेले हैं। उनके कोच रहते भारतीय टीम ने 1998 में शारजाह में त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर शानदार जीत दर्ज की थी।
अनिल कुंबले ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में जब टेस्ट पारी में 10 विकेट चटकाए थे तब भी वह टीम के कोच थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘श्री अंशुमान गायकवाड़ जी को क्रिकेट में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा। बीसीसीआई द्वारा कर्नल सी.के. नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
वह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और एक बेहतरीन कोच थे। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति। ’’ भारतीय क्रिकेट बोर्ड सचिव जय शाह ने भी दिवंगत क्रिकेटर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अंशुमान गायकवाड़ के परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। पूरे क्रिकेट जगत के लिए यह दुखद है। उनकी आत्मा को शांति मिले। ’’
सलामी बल्लेबाज गायकवाड़ अपने रक्षण के लिए मशहूर थे। 1974 और 1984 के बीच भारतीय टीम में सुनील गावस्कर के साथी के रूप में दूसरे सलामी बल्लेबाज की भूमिका के लिए चेतन चौहान और उनके बीच प्रतिद्वंद्विता रही। एक मिलनसार व्यक्तित्व के धनी गायकवाड़ ने इमरान खान की पाकिस्तानी टीम के खिलाफ दोहरा शतक बनाया जो उस समय का सबसे धीमा दोहरा शतक था।
यह मैच जालंधर में खेला गया था। बाद में उन्होंने 1998 और 1999 के बीच भारतीय टीम को कोचिंग दी और जब वह कोच थे तो कोटला में कुंबले के 10 विकेट लिए थे। युवा हरभजन सिंह ने उनके नेतृत्व में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और जिस तरह से उन्होंने खुद को पेश किया, उसके लिए हमेशा 'अंगशु सर' के बारे में श्रद्धा से बात करते थे। उन्होंने राष्ट्रीय चयनकर्ता के रूप में भी काम किया, बड़ौदा क्रिकेट संघ का नेतृत्व किया और बीमार पड़ने से ठीक पहले वह आईसीए प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई शीर्ष परिषद के सदस्य थे।